नई दिल्ली,28 फरवरी (शोभनाजैन/वीएनआई) भारत मे कनाडा के गुजराती मूल के भारत वंशी नादिर पटेल का मोगरे, गेंदे और गुलाब के फूलो से सजा और महकता आवास... आवास के विशाल उंचे उंचे दरखतो वाले हरे भरे लॉन मे बिछी कुर्सियो पर आध्यात्मिक गुरू , और आर्ट ऑफ लिविंग जीवन शैली के जनक श्री श्री रविशंकर के सान्निध्य मे कुर्ते पायजामे के भा्रतीय परिधान मे ध्यान साधना करते श्री पटेल, और उनके साथ कुर्ते पायजामे के साथ फिरोजी रंग का रेशमी दुपट्टा ओढे उप उच्चायुक्त जे ड्यूटॉन सहित ध्यान साधना करते अन्य देशी विदेशी विशिष्ट जन.श्री श्री रविशंकर साधको को समझा रहे है ध्यान् कैसे लगाये, भटकते मन को कैसे एकाग्र करे, शांति आखिर क्या है, संतोष कैसे मिले. साधक गुरू जी से ध्यान लगाने के बारे मे अपनी जिग्यासे पूछ रहे है.श्री श्री ध्यान साधना के आसन तरीके बता रहे है' क्या सब को पता लगा कि आप सब ने मिल कर २३ मिनट ११ सेंकड का ध्यान आसन कर् लिया है, ध्यन लगाना कठिन नही है, बस जरूरत प्रयास करने की है'. आज आयोजन है आध्यात्मिक डिप्लोमेसी का... ध्यान से उठ कर श्री पटेल वी एन आई से अनौपचारिक बातचीत मे सवालो के जबाव मे कहते है' आप इस आयोजन को आध्यात्मिक डिप्लोमेसी कह सकती है, मकसद है सभी को जोडना,,विश्व बंधुत्व की भावना से'.आज पहली मर्तबा मैने ध्यान लगाया' मुस्कराते हुए कहते है ' तरो ताजा अनुभव कर रहा हू.' गौरतलब है कि श्री पटेल के माता पिता गुजरात से कनाडा जा बसे थे अब यही भारत वंशी भारत मे कनाडा के उच्चायुक्त है और दोनो देशो के बीच सेतु बने है.
ध्यान साधना के बाद श्री श्री रविशंकर आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा नई दिल्ली मे आगामी 11 से 13 मार्च को होने वाले 'विशाल विश्व सासंकृतिक महोत्सव' मे सभी को आने का न्यौता देते हुए कहते है कि दरअसल यह 'सांस्कृतिक ओलंपिक़' होगा लेकिन इसमे स्पर्धा होगी सभी इसमे सौहार्द भावना से हिस्सा लेंगे. उन्होने बताया कि दुनिया मे अपनी तरह के इस पहले आयोजन मे दुनिया के लगभग 150 देशो से लगभग 35,000 कलाकार हिस्सा लेंगे जो सभी एक मंच पर बैठेंगे. वे बताते है आयोजन मे काफी देशो के राष्ट्राध्यक्ष भी हिस्सा लेंगे, उन्होने बताया कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव मे दुनिया भर से 35 लाख लोग हिस्सा लेंगे जो लोगों में शांति के आदर्श को प्रतिपादित करेगा। वे कहते है ' महोत्सव वसुधैव कुटुंबकम् का प्रतीक होगाI उन्होने कहा "हम पूर्ण उत्साह और अधिक से अधिक गति के साथ वसुधैव कुटुंबकम के सपने को साकार करने के लिए प्रेरित हैं, जहाँ जीवन एक उत्सव और सम्पूर्ण विश्व एक परिवार बन जाएगा,भीतरी और बाहरी शान्ति, दोनों संभव हैं; और एक तनाव मुक्त, हिंसा मुक्त समाज का निर्माण सेवा और मानवीय मूल्यों के पुन:जागरण द्वारा किया जा सकता है|।'
ध्यान साधना सत्र मे मौजूद आर्ट ऑफ लिविंग की संस्था अंतर राष्ट्रीय मानवीय मूल्यो की एसोसियेशन के निदेशक नीरज कोहली के अनुसार मानवतावादी गुरू जी की प्रेरणा से आयोजित यह महोत्सव मानवजाति की विविधता में एकता का सजीव उदाहरण होगा जिसका ध्येय विश्व मे शांति प्रसार विश्व बंधुत्व की भवना का प्रसार करेगा.
ध्यान साधना के बाद सभी वापस लौट रहे है,गेंदे, मोगरे और गुलाब की पत्तियो से सजी कतारो के बीच गुजरते हुए वहा बज रहे शांति भजन के मद्धम स्वर की गूंज सुनाई दे रहे है, शांति.. शांति. वी एन आई