भारत का आतंकवाद के 'बेतहाशा' बढ़ते खतरे के बीच सीसीआईटी अपनाने का आग्रह

By Shobhna Jain | Posted on 3rd Oct 2017 | देश
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संयुक्त राष्ट्र, 3 अक्टूबर (वीएनआई)| भारत ने आतंकवाद के 'बेतहाशा' बढ़ते खतरे के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) को अपनाने को कहा है, जो 21 वर्षो से आतंकवाद की परिभाषा के सवाल पर अटका है। 

संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत के कानूनी सलाहकार येदला उमाशंकर ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा की कानूनी मामलों की एक समिति को बताया, आतंकवादी देशों से बढ़ते बेतहाशा खतरे के बीच हम यहां संयुक्त राष्ट्र में अभी तक सीसीआईटी अपनाने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा, हमने खुद को 'आतंकवादी' कौन है, इसकी परिभाषा जैसे मुद्दों पर खुद को उलझा रखा है। हम उम्मीद करते हैं कि सभी महाद्वीपों में आतंकवाद के बढ़ते गंभीर खतरे के मद्देनजर, इन मुद्दों पर सहयोग करने की वास्तविक राजनीतिक इच्छा पैदा हो। भारत ने 1996 में सीसीआईटी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कुछ देशों द्वारा कुछ आतंकवादियों के 'स्वतंत्रता सेनानी' होने का दावा करने के बीच यह प्रस्ताव इस विवाद को लेकर अटका हुआ है कि किसे आतंकवादी कहा जाए।

आतंकवाद से लड़ाई के लिए अंतराष्ट्रीय सहयोग की तात्कालिक जरूरत पर बल देते हुए उमाशंकर ने कहा, कोई भी देश, भले ही वह कितना भी सम्पन्न या ताकतवर हो, अकेले यह लड़ाई नहीं जीत सकता। उन्होंने साथ ही कहा, आतंकवाद सीमाओं में फर्क नहीं करता और इसका मुख्य कारण आतंकवादियों और उनके संगठनों के अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क और वे उद्देश्य हैं, जिनके लिए वे काम करते हैं। उमाशंकर ने कहा कि भारत आतंकवादियों के वित्त पोषण को लेकर चिंतित है और उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धन मुहैया कराने या आपराधिक मामलों में उनका बचाव करने वाले देशों या उनकी एजेंसियों की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद रोधी कार्यालय (ओसीटी) के गठन का स्वागत करता है और उसे उम्मीद है कि इससे आतंकवाद से लड़ने के लिए वर्तमान साझेदारियां मजबूत होंगी और नई साझेदारियां विकसित होंगी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जून में ओसीटी का गठन किया था, जो महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के लिए एक उच्च प्राथमिकता वाला एजेंडा था।


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