होली के नाम पर बदतमीजी और छेड़खानी को लेकर सी.एस.डब्ल्यू ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर किया प्रदर्शन

By Shobhna Jain | Posted on 1st Mar 2018 | देश
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नई दिल्ली, 01 मार्च, (वीएनआई), संघर्षशील महिला केंद्र (सी.एस.डब्ल्यू) कार्यकर्ताओं और जीसस एंड मैरी कॉलेज की छात्राओं, शिक्षकों ने राजधानी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में आज होली के दौरान होने वाली बदतमीजी और छेड़खानी के खिलाफ दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन किया| 

सी.एस.डब्ल्यू ने अपने प्रदर्शन के माध्यम से होली के दौरान गुंडागर्दी और महिलाओं के उत्पीड़न की रोकथाम के लिए उचित कदम लेने की मांग उठायी साथ उनके प्रतिनिधिमंडल ने जॉइंट पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर उनको महिलाओं की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने को लेकर ज्ञापन भी सौंपा| बाद में, पुलिस उपायुक्त श्री मधुर वर्मा ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित किया और उनको ज्ञापन की सभी मांगें मानने का आश्वासन दिया| सम्बंधित शिक्षकों और महिला कार्यकर्ताओं ने होली पर होने वाली बदतमीजी को लेकर छात्राओं के बीच अपनी बात भी रखी|

गौरतलब है कि हाल ही में दिल्ली और आस-पास के एनसीआर क्षेत्र में होली के दौरान महिलाओं और छात्राओं पर वीर्य से भरे हुए कंडोम और गुब्बारे फेंके जाने की घटनाएँ सामने आई हैं| कल 28 फरवरी को जीसस एंड मैरी कॉलेज की एक छात्रा और उससे पहले श्रीराम कॉलेज की एक छात्रा के खिलाफ ऐसी वारदात होने की घटना आई है| इसके अतिरिक्त, महिलाओं और युवतियों पर जबरदस्ती रंग, गंदगी, पानी भरे गुब्बारे फेंक कर शारीरिक हमला करना होली के त्यौहार में आम है| ऐसे तो आम जनता भी इसका शिकार होते हैं परन्तु महिलाओं को विशेषकर निशाना बनाया जाता है और उनकी शिकायतों पर कार्रवाई कम ही की जाती है|  होली ज्यों-ज्यों नजदीक आता है दिल्ली-एनसीआर में हालत इतनी खराब हो जाती है कि महिलाओं को मजबूरन स्कूल, कॉलेज अथवा काम पर जाना बंद करना पड़ता है|

सी.एस.डब्ल्यू ने आगे बताया कि महिलाओं को ज्यादा उत्पीड़ित इसलिए किया जाता है क्योंकि आम तौर पर ये मानसिकता है कि महिलाएं सामान्यतः घबराहट, डर अथवा शर्मिंदगी से आवाज नहीं उठाती, शिकायत नहीं करती| हालांकि ऐसे हमले ‘बुरा न मानो होली है’ कहकर किये जाते हैं परन्तु इसके पीछे महिलाओं को उत्पीड़ित और परेशान करने की मंशा होती है| इसमें निहित कामुक मंशा का पता इससे भी चलता है कि पानी/रंग/गंदगी भरे गुब्बारे महिलाओं के शरीर  के संवेदनशील अंगों पर फेंके जाते हैं और होली जूलूस (पुरुषों का) उन्ही जगहों को निशाना बनाते हैं जहाँ ज्यादा महिलाएं रहती हैं| आश्चर्य वाली बात है कि हर साल दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस में शराब पीकर हॉस्टल में पढने वाले छात्रों का एक जुलूस सड़कों पर आ जाता है और जानबूझकर महिला छात्रावास के बाहर भद्दे-भद्दे नारे लगाते हैं और अश्लील इशारे करते हैं| हतप्रभ करने वाली बात ये है कि पुलिस इस जुलूस को रोकने की जगह जुलूस के साथ चलते हुए पाया जाता है| ऐसे अश्लील हरकत करने वालों पर पुलिस भी कम ही कार्रवाई करती है इसी कारण से गुंडागर्दी को और बढ़ावा मिलता है| कई बार जब पीड़िता हताश होकर पुलिस पीसीआर वैन को कॉल करती है तो पुलिस की मंशा ठोस कार्रवाई करने की जगह समझौता करवाने की ज्यादा होती है| ‘सहमती’ से होली खेलने का अनुरोध करने वाली होर्डिंग और प्रचार भी अप्रभावी साबित हो रहे हैं| असमाजिक तत्व सार्वजनिक वाहन, पैदल चल रहा व्यक्ति और महिलाओं को निशाना बनाते है| इसलिए इस गुंडागर्दी के रोकथाम के लिए निवारक उपाय और कठोर कदम उठाना चाहिए|

ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें रखी गयी हैं:
1. आने वाले सप्ताह में और होली के दिन ज्यादा पुलिस की तैनाती की जाए|
2. पुलिस द्वारा होली जुलूस पर रोकथाम जिसके कारण सड़कों पर चलने वाले लोगों को विशेषकर महिलाओं को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है|
3. दिल्ली परिवहन निगम को निर्देश कि ड्राईवर और कंडक्टर, पुलिस को ऐसे शरारती तत्वों की सूचना दें, जो महिलाओं के साथ ज़बरदस्ती होली खेलने और उत्पीड़न करने का प्रयास करते दिखें|
4. दिल्ली विश्वविद्यालय को हॉस्टल के छात्रों का होली जुलूस पर रोक लगाने के सख्त निर्देश|
5. गुंडागर्दी और महिला उत्पीड़न के रोकथाम के लिए निवासी कल्याण संघ(आरडब्लूऐ) और स्थानीय अधिकारियों को उचित दिशा-निर्देश जारी किया जाए|
6. दिल्ली पुलिस के सभी थानों को मजबूत निर्देश दिया जाए कि वो सभी शिकायतों को दर्ज करे और गुंडागर्दी करने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई करे|
7. होली से पहले गुब्बारे बेचने पर पाबंदी लगा देने की सिफारिश की जाए|
8. नुकसानदेह केमिकल रंगों जिससे शरीर को क्षति पहुँचती है, पर बैन लगाने की सिफारिश की जाए|

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