नई दिल्ली 18 मार्च (वीएनआई) वासंतिक नवरात्र भगवती की आराधना के साथ आज से शुरू हुआ। इस बार नवरात्र आठ दिनों का है। पहले दिन दिन श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना कर भगवती की पूजा-अर्चना की और नवरात्र व्रत का संकल्प ले व्रत शुरू किया। सुबह सुबह ही से घरों व मंदिरों में कलश स्थापना का सिलसिला शुरू हो गया। श्रद्धालु पूरे नवरात्र दुर्गा सप्तशती का पाठ करेंगे। नवरात्र की तैयारियां को ध्यान मे रखते हुए देर रात तक पूजा सामग्री की खरीददारी होती रही।
हिंदु नववर्ष विक्रम संवत 2080 आज से शुरू हो गया|प्रकांड विद्वानों के अनुसार नवरात्रि में देवी की पूजा का खास महत्व है। दुर्गा का अर्थ है परमात्मा की वह शक्ति, जो स्थिर और गतिमान है, लेकिन संतुलित भी है। किसी भी तरह की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है। यह शक्ति हमें देवी मां की पूजा करने से मिलती है। चैत्र नवरात्र की शुरुआत पर रविवार को विभिन्न शहरों के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन देवी दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा हो रही है। राज्य के दूर-दराज इलाके से श्रद्घालु देवी मां के दर्शन के लिए काशी पहुंच रहे हैं और परिवार की सुख-शांति के लिए मन्नतें मांग रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए मंदिर परिसरों के बाहर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है।
भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है। शैल पुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी और इनके दर्शन मात्र से वैवाहिक कष्ट दूर होते हैं। नवरात्रि में देवी की पूजा का खास महत्व है। दुर्गा का अर्थ है परमात्मा की वह शक्ति, जो स्थिर और गतिमान है, लेकिन संतुलित भी है। किसी भी तरह की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है। यह शक्ति हमें देवी मां की पूजा करने से मिलती है। चैत्र नवरात्र का समापन 25 मार्च को रामनवमी के पर्व के साथ होगा। शास्त्रों के ज्ञा्ता एवम अनेक विद्वानों के अनुसार अनुसार 18 मार्च को शुरू हो रहे नवरात्र की पूर्णाहुति 25 मार्च को है।
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