नई दिल्ली 14 फरवरी (अनुपमा जैन,वीएनआई) क्या आप जानते है मदर टेरेसा, अर्जुन,राजा राम मोहन राय, जवाहर,जॉन एफ. कैनेडी, क्वीन एलिजाबेथ और मि. लिंकन महज विशिष्ट हस्तिया ही नही बल्कि राष्ट्रपति भवन के भव्य मुगल गार्डन मे खुशबू महकाते गुलाब है,मुगल गार्डन जहा शहनाई एवं वंदेमातरम की धुनों पर थिरकते संगीतमय फव्वारे है, जहा चारो तरफ मुस्कराते महकते फूलो के साथ आध्यात्मिक उद्द्यान भी है.जो विभिन्न पंथों एवं संस्कृतियों में अंतर के बावजूद, सहअस्तित्व का संदेश देता है। इस उद्यान में विभिन्न पंथों के लिए महत्त्वपूर्ण लगभग 40 पौधे हैं. निश्चय ही इस उद्यान से दर्शक यह सोचने पर विवश हो जाता हैं कि जब विभिन्न प्रकार के पौधे मिल-जुलकर फल-फूल सकते हैं तो विभिन्न समुदाय ऐसा क्यों नहीं कर सकते. और यही पर है अद्भुत नक्षत्र उद्यान यह माना जाता है कि इन पौधों की उपस्थिति और वृक्ष के निकट ध्यानस्थ होने से स्वस्थ मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक प्रभाव पड़ता है . प्राकृतिक सौन्द्र्य के साथ भव्यता और अनूठेपन के संगम वाले राष्ट्रपति भवन के इसी भव्य मुगल गार्डन को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उदघाटन के बाद लोकतंत्र की जीवंत परंपरा के अनुरूप आज से वसंत के एक माह के लिये आम आदमी के लिये खोल दिया गया.
राष्ट्रपति भवन का मुगल उद्यान विश्व के सबस सुन्दर उद्यानों में से एक माना जाता है। यदि राष्ट्रपति भवन वास्तुकला की श्रेष्ठ कृति है तो 15 एकड़ के मुगल उद्यान को इसकी आत्मा माना जाता है। इसका सौंदर्य वास्तव में इसकी बनावट और इसकी वनस्पति में निहित है, जिसमें वृक्ष, झाड़ियां, लताएं, लॉन और मौसमी फूल शामिल हैं। यह उद्यान जम्मू और कश्मीर के मुगल उद्यान, ताज महल के चारों ओर के उद्यान तथा फारसी और भारतीय मिनियेचर पेंटिंगों से प्रेरित है। मुगल उद्यान में ब्रिटिश उद्यान कला की अनेक खूबियां शामिल हैं। विभिन्न ऊंचाइयों पर स्थित मुगल नहरें और टैरेस तथा फूलदार झाड़ियां यूरोपीय फूलों की क्यारियों, लॉन और सदाबहार बाड़ के साथ सुंदर ढंग से संयोजित हैं। ज्योमितीय सजावट और जल का प्रयोग, जो मुगल उद्यान की मूल विशेषता है, ब्रिटिश उद्यान के व्यवस्थित विन्यास के साथ जोड़े गए हैं। देशी वृक्ष और झाड़ियां, फव्वारे, जल धाराएं और सरोवर शीतलता और निर्मलता का अहसास कराते हैं यही नही इसके जैव-विविधता पार्क में मोर, हिरन, बत्तख, टर्की, गिनी फाउल, कछुआ, तोता, खरगोश तथा प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं। इसके खास नक्षत्र उद्यान की स्थापना वर्ष 2006 के दौरान, राशि चिह्नों से संबंधित वृक्षों की विभिन्न किस्मों के 27 पौधों के रोपण के साथ की गई थी। हिन्दू ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति का जन्म आकाश के 27 नक्षत्रों अर्थात् उन 27 या 28 मंडलों में से किसी एक होता है जिनमें से चन्द्रमा अपने मासिक चक्र के दौरान गुजरता है। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक तारामंडल किसी एक वृक्ष से संबंधित है। यह माना जाता है कि इन पौधों की उपस्थिति और वृक्ष के निकट ध्यानस्थ होने से स्वस्थ मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक प्रभाव पड़ता है। इनका उच्च औषधीय, सामाजिक, सौंदर्यात्मक और आर्थिक महत्व भी है।
यही पर है आध्यात्मिक उद्यान, जो विभिन्न पंथों एवं संस्कृतियों में अंतर के बावजूद, सहअस्तित्व का संदेश देता है। इस उद्यान में विभिन्न पंथों के लिए महत्त्वपूर्ण लगभग 40 पौधे हैं। उद्यान से दर्शक यह सोचने पर विवश होते हैं कि जब विभिन्न प्रकार के पौधे मिल-जुलकर फल-फूल सकते हैं तो विभिन्न समुदाय ऐसा क्यों नहीं कर सकते? इन महत्त्वपूर्ण प्रजातियों में रुद्राक्ष, चन्दन, कदम्ब, बरगद, पारस पीपल, अंजीर, खजूर, कृष्ण बरगद, नारियल आदि शामिल हैं। एक जल प्रपात के साथ कमल और कुमद की विभिन्न किस्मों से युक्त एक सरोवर देखा जा सकता है।
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राष्ट्रपति संपदा 154 हैक्टेयर (380 एकड़) से अधिक के क्षेत्रफल में फैली हुई है। इसमें से 139 हेक्टेयर में 160 प्रजातियों के लगभग 5000 वृक्ष, लॉन तथा खुला स्थान है, जबकि 15 हैक्टेयर में इमारतें और सड़कें हैं। , राष्ट्रपति सम्पदा के बीचों-बीच मुगल उद्यान तथा सम्पदा की अन्य दूसरी इमारतों तथा समूची दृश्यावली के निर्माण का श्रेय सर एडविन लुट्येंस को जाताहै जो अपने समय के एक प्रमुख वास्तुकार थे। इस परिसर का निर्माण कार्य 1911 में ब्रिटिश भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय के बाद शुरू हुआ और यह 1929 में पूरा हुआ।
उद्यान में गुलाबों की 120 से अधिक प्रसिद्ध प्रजातियां हैं। फरवरी-मार्च में ये भरपूर खिलते हैं। विशेष गुलाबों में हरा गुलाब और एंजेलिक शामिल हैं। ‘ट्यूलिप’ ‘साइक्लामेन’, जिन्हें अपने शानदार रंगों के लिए जाना जाता है, इस वर्ष मुगल उद्यान के प्रमुख आकर्षण हैं। लगभग 10,000 ट्यूलिप खिले हुए हैं। मुगल उद्यान में 70 से अधिक मौसमी फूल हैं।
राष्ट्रपति वर्ष में, केन्द्रीय लॉन में दो बार, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर और 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस पर केंद्रीय लॉन में दो भव्य स्वागत-भोज आयोजित करते हैं।
केंद्रीय लॉन और लोंग उद्यान के दोनों ओर मौसमी पौधों के बीच में 2500 डहेलियों की एक कतारें भी देखी जा सकती हैं। प्रस्तर स्तंभों के दो मंडप, जो नीचे की ओर लटके हुए हैं और हाथियों के सूंड का आभास देते हैं, लाँग उद्यान में देखे जा सकते हैं, इसके लंबे पैदल पथ के दोनों ओर गुलाब उगाए गए हैं।
लगभग 33 औषधीय और सुगंधित पौधे औषधीय उद्यान में देखे जा सकते हैं। प्रत्येक पौधे के लाभ उद्यान की क्यारियों के कोने पर बताए गए हैं। रतनजोत; मधुमेह के लिए सुरक्षित मिठास देने वाला स्टेविया, इसबगोल, दमिश्क गुलाब, अश्वगंधा, ब्राह़मी, पुदीना, तुलसी, जिरेनियम आदि यहां मौजूद हैं।
बोंसाई उद्यान व कैक्टस उद्यान भी इस उद्द्यान के विशेष उद्द्यान है.संगीतमय फव्वारे भी इस का विशेष आक्र्षण है इस की स्थापना 2005 में की गई थी और यह शहनाई एवं वंदेमातरम की धुनों पर थिरकता है। प्रकाश और ध्वनि की लय के साथ समरूप जल पैटर्न निर्मित करने के लिए 12 संगीतमय फव्वारे बनाए गए हैं।
वार्षिक ‘उद्यानोत्सव’ हर वर्ष लाखो दर्शकों को आकर्षित करता है। वी एन आई