यूरोप मे न/न केवल शाकाहारी बल्कि दूध,दही,पनीर जैसे पशु उत्पादो के बिना वाले रेस्त्रां,जानवरो की चर्बी रहित साबुन वाले सैलून का चलन हो रहा है तेज

By Shobhna Jain | Posted on 26th Dec 2016 | देश
altimg
बर्लिन, 26 दिसंबर (वीएनआई) यूरोप, खास तौर पर जर्मनी घूमने आने वाले विशुद्ध शाकाहारी लोगो को अगर आशंका है कि शायद उन्हे वहा विशुद्ध शाकाहारी भोजन मिल पायेगा या भी नही, तो वे बेफिक्र हो जाये क्योंकि अब वहा ऐसे रेस्त्रां काफी खुल गये है जहा न/न केवल शाकाहारी भोजन मिल सकता है बल्कि ऐसा भोजन मिलता है जिनमे पशु उत्पा्दो यानि दूध,पनीर ,दही जैसे उत्पादो का भी इस्तेमाल नही होता है.वीगन इस समय जर्मनी में जोरों पर है. सोया की कॉफी और बगैर अंडे का केक बेचने वाले कॉफी हाउसों की बर्लिन में भरमार हो गई है. अब तो ऐसे कपड़ों की भी मांग बढ़ गई है जिसमें किसी भी तरह के पशु उत्पाद का इस्तेमाल नहीं हुआ है. चाहे वह बेल्ट हो या जूता. इनमें भी माइक्रोफाइबर का इस्तेमाल होता है. यही नही वहा ऐसे सैलून भी खूब खुल रहे है जहा जानवर कीचर्बी से बने साबुन,तेल,लोशन तक इस्तेमाल नही होते है. सर्विस सेक्टर ने भी इस ट्रेंड को अपना लिया है. क्या आप जानते है कि माइक टॉयसन जैसे ताकतवर मुक्क्केबाज चेंपियन शाकाहारी है डॉयचे वेले हिंदी समाचार सेवा के अनुसार यूरोप में शाकाहारी ही नहीं ऐसे शुद्ध वीगन खाने की भी यहां कोई कमी नहीं है, जिनमें जानवरों से मिलने वाली किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया है. खुद को ट्रेंडी वीगन कहने वाले दो फैशन ब्लॉगर्स तो एक वीगन फास्ट फूड रेस्तरां चलाते हैं, जहां खूब भीड़ रहती है. डैंडी डाइनर पूरी तरह से वीगन फास्ट फूड रेस्तरां है. इसकी शुरुआत दो फैशन ब्लॉगरों याकोब हाउप्ट और डाविड रोथ ने की. याकोब हाउप्ट कहते हैं, "आप खुद को पहनावे से दिखाते हैं, कि किस ब्रांड का कपड़ा पहन रहे हैं. और आप अपने को इससे दिखाते हैं कि आप क्या खा रहे हैं, क्या नहीं खा रहे हैं. खाने के मामले में वीगन होना इस समय मेगाट्रेंड बन है और अब हम वीगन फास्टफूड के राजा हैं." ट्रेंड्स के लिए अपनी समझ को उन्होंने अपना बिजनेस मॉडल बना लिया. अपने वेबपेज पर वे सालों से मर्दों के फैशन पर ब्लॉग लिखते हैं. दोनों ही पशुओं से जुड़ी हर चीज से परहेज करते हैं. उनका फास्टफूड रेस्तरां इस समय पूरी तरह फैशन में है. आन्या राइषर्ट ने वीगन लोगों के लिए पहला सैलून बनाने में हाथ बंटाया है. इस सैलून में कुर्सी और सोफे से लेकर साबुन, शैंपू और क्रीम किसी में पशु उत्पाद का इस्तेमाल नहीं हुआ है. राइषर्ट कहती हैं, "यदि आप किसी दूसरी जगह हों तो अक्सर पूछा जाता है कि शैम्पू में क्या है. ज्यादातर लोगों को कुछ पता नहीं है. वे भीगे बालों के साथ सैलून में जाते हैं, बाल कटवाते हैं और फिर चले जाते हैं. वे जब यहां आते हैं तो उन्हें पता होता है कि उनका वीगन ड्रिंक के साथ स्वागत होगा." वीगन जिंदगी जीना पिछले सालों में बहुत आसान हो गया है. दुनिया के पहले वीगन सुपरमार्केट के रैक्स, वैकल्पिक मीट व मिल्क प्रोडक्ट से भरे पड़े हैं, सोया कर्ड से लेकर टोफू सलामी तक. पहली दुकान 2011 में खुली थी. अब यूरोप में दस दुकानें हैं. पश्चिमी देशों में कुछ साल पहले तक माहौल कुछ ऐसा था कि अगर आप कहें कि आप मांस नहीं खाते, तो आपको हैरत भरी नजरों से देखा जाता. पर अब यहां शाकाहारी ही नहीं, वीगन लोगों की भी तादाद बढ़ती जा रही है. यह भ्रम है कि मांस खाने वाले खिलाड़ी ज्यादा ताकतवर होते हैं. अपने-अपने खेलों को सबसे बड़े दिग्गज रहे इन खिलाड़ियों को देखिए. ये लोग मांस छूते तक नहीं और वह सब हासिल किया जो एक खिलाड़ी अपने करियर में करना चाहता है.
सम्बंधित खबरें

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

रत्न और आदमी
Posted on 4th Mar 2017
© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india