पाकिस्तान के नये सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरक बिक्रम सिंह के अधीन काम कर चुके है

By Shobhna Jain | Posted on 27th Nov 2016 | देश
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नई दिल्ली,२७ नवंबर (वी एन आई) पाकिस्तान में जनरल राहील शरीफ की जगह नए सेना प्रमुख बनाए गए जनरल कमर जावेद बाजवा जनरल बाजवा ने साल 2007 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में ब्रिगेड कमांडर के तौर पर भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के अधीन काम किया था.पाक अधिकृत कश्मीर और उत्तरी इलाकों के मामलों से निपटने में माहिर माने जाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल कमर जावेद बाजवा आगामी ३० नवंबर को जनरल राहील की औपचारिक रिटायरमेंट के बाद पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व संभालेंगे जनरल बिक्रम सिंह ने बाजवा को 'पूरा पेशेवर' और 'उत्कृष्ट प्रदर्शन वाला' सैन्य अफसर बताया है लेकिन साथ हीकहा है कि भारत को उनसेसतर्क रहने की जरूरत है. वह कहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र में उनका प्रदर्शन सराहनीय था, लेकिन जब एक सैन्य अधिकारी अपने देश लौटता है तो चीज़ें बदल जाती हैं. देश में उन्हें राष्ट्रीय हितों के हिसाब से काम करना पड़ता है.' जनरल सिंह ने कहा, 'जनरल बाजवा 10वीं कोर के कमांडर रह चुके हैं, जो वहां की सबसे बड़ी कोर है. उन्हें भारत के प्रति अपने देश की नीति के बारे में बहुत अच्छे से जानकारी है. मुझे लगता है कि जहां तक पाकिस्तानी सेना की कश्मीर नीति का सवाल है, तो उसमें कोई बदलाव नहीं आने वाला.' हालांकि उन्होंने इसके साथ कहा कि कमर बाजवा के आने के बाद अगर पाकिस्तानी सेना की रणनीति में बड़ा बदलाव आता है तो भारत को सतर्क रहने की जरूरत होगी. पाक अधिकृत कश्मीर और उत्तरी इलाकों के मामलों से निपटने में माहिर माने जाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल कमर जावेद बाजवा आगामी ३० नवंबर को जनरल राहील की औपचारिक रिटायरमेंट के बाद पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व संभालेंगे. इस प्रमुख के पुराने सहयोगियों का कहना है कि वह चर्चाओं में रहना पसंद नहीं करते. ऐसे में अब देखना यही है कि वह आने वाले दिनों में किस तरह की सुर्खियां बटौरते हैं.का भारत को लेकर क्या रवैया होगा? यह ऐसा सवाल है जिस पर इस वक्त सभी की निगाह है... बाजवा के पास पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और उत्तरी क्षेत्रों में व्यापक भागदारी के कारण नियंत्रण रेखा से जुड़े मामलों का माहिर माना जाता है. ऐसे में आशंका है कि राहील शरीफ की तरह ही भारत के प्रति सख्त रुख अपनाए रह सकते हैं. हालांकि कई जानकारों का कहना है कि भारत के प्रति उनके रुख का आंकलन करना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी.वी एन आई

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