विक्रम संवत

By Shobhna Jain | Posted on 16th Mar 2018 | देश
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                                    सुनील कुमार ,वी एन  आई ,नयी  दिल्ली 16 -03-2018

 

समय , धन से अधिक मूल्यवान   है क्योंकि  आप अधिक  धन   पा   सकते   हैं ,  अधिक समय   नहीं   

विक्रम संवत हिन्दू पंचांग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। यह संवत 57 ई.पू. आरम्भ होती है। इसका प्रणेता नेपाल के लिच्छव वंशके प्रथम राजा धर्मपाल भूमिवर्मा विक्रमादित्य को माना जाता है। कुछ  लोग  कहते  हैं  कि  संवत् भारतवर्ष के सम्राट विक्रमादित्य ने शुरु किया था लेकिन समय के गणना में वो सही नहीं रहता। क्योंकि मगधके सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय ने उज्जयनी और अयोध्या पर विजय प्राप्त किया और खुद को 'विक्रमादित्य' सम्राटका उपाधि दी। उससे पहले कहीं और कभी भी विक्रमादित्य का उल्लेख नहीं है।

बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। यह बारह राशियाँ बारह सौर मास हैं। जिस दिन सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है उसी दिन की संक्रांति होती है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है। उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। चंद्र वर्ष सौर वर्ष से 11 दिन 3 घाटी 48 पल छोटा है। इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है।

 

ये संवत नेपाल काआधिकारिक संवत् है। आज भी नेपाल में यही संवत राष्ट्रीय संवत् है।

 


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