चेन्नई,६ दिसंबर (सुनीलकुमार/वीएनआई)रोते बिलखते समर्थको के जन सैलाब ने आज यहा अपनी अम्मा को अंतिम विदा दी. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार मेरीना बीच में कर दिया गया. उन्हे उनके गुरू एमजीआर की समाधिस्थल के पास दफनाया गया.जिंदगी से लंबी जंग लड़ने के कल रात साढ़े ग्यारह बजे अपोलो अस्पताल में उनका निधन हो गया था. उनके निधन से राज्यभर में शोक की लहर दौड़ गयी. अनेक लोगो ने शोक स्वरूप अपने मूंडवा लिये. उनकी विश्वस्त सहयोगी शशिकला और उनके पुत्र ने अंतिम संस्कार से जुड़े सारे कर्मकांड को संपन्न किया.उनकी पार्थिव देह को जिस वाहन मे काफिले ले साथ समआधि स्थल ले जाया गया, शशि कला भी उस पर सवार् थे
जयललिता का पार्थिव शरीर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए उनके पोएश गार्डन स्थित आवास के बगल में राजाजी हॉल में रखा गया था. उनके अंतिम दर्शन के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अनेक राज्यो के मुख्यमंत्री,पूर्व प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह, कॉग्रेस् उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित देश के कई प्रमुख नेता चेन्नई पहुंचे .
जयललिता के निधन पर देश के लगभग सभी प्रमुख नेताओं ने शोक प्रकट किया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी शोक प्रकट किया है. तमिलनाडु सरकार ने जयललिता के निधन पर सात दिनों का शोक व तीन दिन की छुट्टी घोषित की है. केरल सरकार ने भी आज अपने यहां छुट्टी घोषित कर दी है. केंद्र सरकार व बिहार सरकार ने भी एक-एक दिन का शोक घोषित किया है. इस कारण राष्ट्रध्वज आधा नीचे कर दिया गया है. केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में वरिष्ठ मंत्री वेंकैया नायडू पहले से ही चेन्नई पहुंच गये थे
तमिलनाडु के मशहूर फिल्म अभिनेता, राजनेता व पूर्व मुख्यमंत्री एवं अन्न्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्रन जयललिता के राजनीतिक गुरू थे . जयललिता जीवन पर्यंत एमजीआर के सानिध्य में रहीं और मृत्यु के बाद भी उनके अंतिम संस्कार के लिए एमजीआर की समाधि के बगल में ही जगह चुनी गयी है.
दशकों तक तमिलनाडु की राजनीति में बेहद सक्रिय जया अपने शानदार व्यक्तित्व के लिए जानी जाती थी. फिल्मी पृष्ठभूमि से राजनीति में आये जया का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा . राज्य की मुख्यमंत्री रहने के बावजूद राष्ट्रीय राजनीति में उनका दबदबा कायम रहा