गाजियाबाद, 22 फरवरी (वीएनआई)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत ने आज 1996 के गाजियाबाद फर्जी मुठभेड़ के चर्चित मामले मेंचार पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह चारों पुलिसकर्मी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के भोजपुर में दो दशक पुराने एक फर्जी मुठभेड़ मामले में चार लोगों की हत्या के दोषी पाए गए थे।
अदालत ने 20 फरवरी को भोजपुर पुलिस थाने के प्रमुख लाल सिंह, उप निरीक्षक योगेंद्र सिंह और कांस्टेबल रणवीर सिंह, सूर्यभान और सुभाष को 8 नवंबर, 1996 की फर्जी मुठभेड़ के लिए दोषी करार दिया था।
रणवीर सिंह की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो चुकी है। अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत लाल सिंह पर 2 लाख रुपये, योगेंद्र सिंह पर एक लाख रुपये और सुभाष और सूर्यभान पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया।
सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील राजन दहिया ने मामले को दुर्लभ करार दिया और कहा कि पुलिसकर्मियों का उद्देश्य 'साहसी गोलीबारी' की आड़ में पदोन्नति हासिल करना था। इसके लिए इन्होंने जसबीर सिंह, अशोक कुमार, प्रवेश और जलालुद्दीन की हत्या कर दी। सीबीआई के वकील ने कहा, समाज की मांग है कि इन पुलिसकर्मियों को फांसी की सजा दी जाए। दहिया के जवाब में बचाव पक्ष के वकील शम्मी शर्मा ने कहा कि गोलीबारी दुर्लभ मामला नहीं थी। इसलिए इन चारों को मृत्युदंड नहीं बल्कि आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए।