जनमतसंग्रह मे भारी हार के बाद इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने इस्तीफा दिया

By Shobhna Jain | Posted on 5th Dec 2016 | विदेश
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रोम 05 दिसंबर (वीएनआई) . जनमतसंग्रह मे भारी हार के बाद इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने इस्तीफा दे दिया है ,रेंजी ने आज तड़के घोषणा की थी कि 68 वर्ष पुराने संविधान मे सुधार पर जनमत संग्रह में हार मिलने के बाद वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं प्रधानमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा ‘सरकार चलाने का मेरा अनुभव यहीं समाप्त होता है.’गौरतलब है कि रेंजी ने इस जनमत संग्रह में अपना भविष्य दांव पर लगा दिया था. उन्होंने इस जनमत संग्रह ‘नो कैंप’ की ‘‘असाधारण स्पष्ट’’ जीत के बाद यह घोषणा की.इस जनमत संग्रह के लिए इटली के पीएम का प्रस्ताव था कि सीनेटर्स की संख्या 315 से घटाकर 100 कर दी जाए। सरकारी आकलन के अनुसार के अनुसार फाइव स्टार मूवमेंट के नेतृत्व में नो कैंप ने मतदान करने वालों के 59.5 प्रतिशत समर्थन के साथ जनमत संग्रह में जीत हासिल की. 5 करोड़ से ज्यादा इटली की जनता मे से करीब 70 प्रतिशत इतालवी कल मतदान करने लिए योग्य थे जिन्होने रविवार को वोट डाला इसमे संविधान संशोधन के खिलाफ 60 फीसदी वोट पड़े। इस जनमत संग्रह में काफी कुछ दांव पर लगा होने और विभिन्न अहम मामलों के इससे जुड़े होने के कारण असाधारण रूप से बड़ी संख्या में मतदान हुआ.रविवार को हुए एग्जिट पोल में रेंजी के प्रस्ताव के खिलाफ करीब 60 और पक्ष में 40 फीसदी वोटिंग के बाद उन्होंने पहले अपनी हार मान ली थी। रेंजी ने कहा कि वह अपनी कैबिनेट की अंतिम बैठक के बाद अपना इस्तीफा सौंपने के लिए आज राष्ट्रपति सर्जियो मैटारेला से मुलाकात करेंगे. इसके बाद मैटारेला पर नई सरकार की नियुक्ति की जिम्मेदारी होगी. यदि वह ऐसा नहीं कर पाएंगे तो उन पर शीघ्र चुनाव कराने की जिम्मेदारी होगी.मैटियो रेंजी ने कहा था कि सुधार से ब्यूरोक्रेसी में कमी आएगी और देश प्रतिस्पर्धा की ओर आगे बढ़ेगा। जबकि, उनके विरोधी यूरोप और अमेरिका की तरह सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे थे जनमत संग्रह के नतीजों का इंतजार यूरोप समेत दुनियाभर के निवेशक उत्सुकता से कर रहे थे । विशेषज्ञ मान रहे थे कि जनमत संग्रह में सरकार की जीत के बाद यूरोपीय बाजारों में तेजी देखने को मिलेगी जिसका असर सकारात्मक असर भारत समेत दुनियाभर के बाजारों पर होगा। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इटली में होने वाले जनमत संग्रह के नतीजे यूरोप समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों की चाल तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। इस इस्तीफे के बाद इटली में आई राजनीतिक अस्थिरता के असर के चलते यूरो 20 महीने के निचले स्तर पर फिसल गया है। इटली के इस जनमत संग्रह को ब्रेक्जिट जैसी घटना के तौर पर ही देखा जा रहा है। माना जा रहा है जनमत संग्रह मे भारी हार के बाद कि राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी जो यूरोपीय करंसी और शेयर बाजार के लिए नकारात्मक होगा। जिसका नकारात्मक असर भारत समेत तमाम इमर्जिंग मार्केट्स पर देखने को मिलेगा। अधिकतर विशेषज्ञ इस बात की सर्वाधिक संभावना देखते हैं कि रेंजी के बाद प्रशासन की जिम्मेदारी साल 2018 में चुनाव होने तक उनकी ही डेमोक्रेटिक पार्टी का कोई केयरटेकर संभालेगा. रेंजी के बाद काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालने के लिए वित्त मंत्री पियर कालरे पैडोआन सर्वाधिक लोकप्रिय उम्मीदवार हैं. इटली के प्रधानमंत्री को औपचारिक रूप से काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स का अध्यक्ष कहा जाता है. वी एन आई

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