नई दिल्ली,18 दिसंबर(वी एन आई) लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नए सेना प्रमुख के रूप में नियुक्ति की घोषणा होते ही विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस और वाम दलों ने इसे सेना मे वरिष्ठता की परंपरा को ताक पर रखे जाने का आरोप लगाया है.उनका कहना है कि सरकार ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों को छोड़कर रावत को क्यो चु्ना , और इसे लेकर सवाल उठाए हैं जबकि बीजेपी ने इस पर पलटवार करते हुए कि राजनीतिक दलों द्वारा नए सेना प्रमुख की नियुक्ति पर सवाल करना देशभक्ति नहीं है.
कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि हर संस्था की अपनी मर्यादा होती है और वरिष्ठता का सम्मान किया जाता है. उन्होंने कहा, 'हम नए सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की काबिलियत पर उंगली नहीं उठा रहे लेकिन सवाल उठता है कि आखिर क्यों वरिष्ठ अधिकारियों को छोड़कर वरियता क्रम में चौथे स्थान वाले अधिकारी को सेना प्रमुख नामित किया गया.'
सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेना, सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयुक्त) एवं अन्य उच्च पदों पर हुई नियुक्तियों को लेकर विवाद हो रहा है.
बीजेपी ने इस पर पलटवार करते हुए कि राजनीतिक दलों द्वारा नए सेना प्रमुख की नियुक्ति पर सवाल करना देशभक्ति नहीं है.केन्द्रीय मंत्री मुखतार अब्बास नक्वी ने सेना की नियुक्ति को विवादो से दूर रखने की बात कही पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा, 'ऐसी टिप्पणियों से सेना के मनोबल को ठेस पहुंचेगी.' राव ने कहा, 'सेना को राजनीति में घसीटने की कोशिशों की हम आलोचना करते हैं. ये टिप्पणियां कुछ ऐसी हैं कि कोई भी देशभक्त राजनीतिज्ञ नहीं करना चाहेगा.'
सबसे वरिष्ठ सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी जो पूर्वी कमान के प्रमुख हैं, और दक्षिणी कमान के प्रमुख पीएम हरीज जनरल रावर से सीनियर है
सरकार में स्थित सूत्रों ने कहा कि वर्तमान चुनौतियों जैसे - सीमा पार से जारी आतंकवाद, पश्चिम से जारी छद्म युद्ध और पूर्वोत्तर की स्थिति को देखते हुए लेफ्टिनेंट जनरल रावत को सबसे उपयुक्त पाया गया.