"अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं, तो इंक़लाब लिख जाता हूं"- भगत सिंह
नई दिल्ली,28 सितंबर (वीएनआई)”क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है, स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है “. इन शब्दों को जीवन का आदर्श मानने वाले शहीद भगत सिंह का सोच और विचारधारा क्रांति से लबरेज थी. मात्र 23 वर्ष की उम्र में देश की आजादी के लिये हंसतें हंसतें फॉसी के तख्तें पर झूल जाने वालें भगत सिंह देश ्को एक ऐसी विचार धारा दे गयें जो आदर्श समाज की बुनियाद हैं. भगत सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.भगत सिंह की जयंती पर उनके अनमोल विचार सभी के लिए प्रेरणादायक हैं-
" क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है“
“यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा धैय्य किसी को मारना नहीं था, हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था"
अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये”
“मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा , आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ। पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है"
”क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।”
“लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा… मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।“
“इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं, तो इंक़लाब लिख जाता हूं।”
“जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं”
“किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं।”
“क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे"
”क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है” वी एन आई