भोपाल, 14 मई । 'नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा' के प्रभारी विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि इस यात्रा ने लोगों में नर्मदा के प्रति अपनेपन का भाव जगाया है, लोग नर्मदा नदी की अविरलता, पवित्रता के लिए प्रतिबद्ध हो गए है, इससे लगता है कि यह यात्रा देश की अन्य नदियों की हालत बदलने की इबारत लिखने का काम करेगी।
नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से 11 दिसंबर, 2016 को शुरूहुए इस यात्रा का समापन 15 मई को होने जा रहा है। समापन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। विपक्षी कांग्रेस की नजर में हालांकि यह सेवा यात्रा महज दिखावा है, क्योंकि नर्मदा में रेत खनन का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है और इससे मुख्यमंत्री के रिश्तेदार जुड़े हुए हैं। कांग्रेस इसके कई लिखित सबूत व फोटो प्रधानमंत्री को भेज चुकी है और अपेक्षा रखती है कि प्रधानमंत्री नैतिकता का ध्यान रखते हुए शिवराज सिंह चौहान के इस तामझाम से खुद को दूर रखेंगे। लेकिन सत्ताधारी अगर तामझाम नहीं करेंगे तो उनका काम कैसे चलेगा!
लगभग साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबा रास्ता तय करने के बाद यात्रा प्रभारी और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "इस यात्रा ने जनांदोलन का रूप ले लिया है, सांप्रदायिक समरसता का भाव देखने को मिला और दुनिया ने नर्मदा के महत्व को जाना, देश में नदियों की हालत को बदलने के लिए चलने वाले अभियान में पथ प्रदर्शक का काम करेगी।"
शर्मा ने आगे कहा, "हमारी परंपरा में नदियां मोक्ष का मार्ग मानी गई हैं। हमारे यहां नदियां समाज को केवल जल या पर्यावरणीय पारिस्थितिकी देने भर को नहीं हैं। ये मनुष्य के समस्त सांसारिक कर्तव्यों के विसर्जन की वाहिनी भी हैं। कई तरह के कर्मकांडों का निष्पादन भी नदियों के प्रवाह के बीच होता है। हालांकि, समय के साथ इस विसर्जन आदि के क्रिया-कलापों ने नदियों को सर्वाधिक और व्यापक नुकसान भी पहुंचाया है। इतना ही नहीं राजनीतिक और प्रशासनिक तंत्र की उदासीनता के चलते कई नदियां तो दम तक तोड़ चुकी हैं।"
शर्मा ने एक सवाल के जवाब में कहा, "नदियों की हालत पर अदालतों तक को चिंता जतानी पड़ रही है और गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों को जीवित व्यक्ति मानने का निर्देश देने को मजबूर हुई हैं। वहीं मध्यप्रदेश, देश का ऐसा प्रथम राज्य है, जिसकी विधानसभा ने नर्मदा नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा प्रदान करके नदी संरक्षण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है।"
उन्होंने आगे कहा, "नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से जो यात्रा शुरू हुई थी, वह पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सरकार द्वारा साधु, संत, समाज के नेतृत्व में चलाई जा रही यह यात्रा इस सदी का सबसे बड़ा जन आंदोलन बन गया है, जिसने न केवल समस्त भारत, बल्कि विश्वभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है।"
यात्रा के अनुभवों को सांझा करते हुए शर्मा ने कहा, "इस यात्रा ने जहां लोगों को नर्मदा के संरक्षण के लिए जागरूक किया, वहीं सामाजिक कुरीतियों से भी दूर रहने का संकल्प दिलाया। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से लेकर नशा मुक्ति तक के संकल्प लिए जा रहे हैं। लोगों को यह विश्वास हो चला है कि यह समाज अब नशा मुक्त होगा, क्योंकि नर्मदा नदी के दोनों ओर पांच किलोमीटर की परिधि में शराब दुकानें बंद कर दी गई हैं।"
शर्मा ने कहा कि देश की कई राज्य सरकारों ने नदी संरक्षण के इस 'शिवराज मंडल' को अपनाने का मन बनाया है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने गंगा नदी को बचाने के लिए ऐसी ही सेवा यात्रा प्रारंभ करने की न केवल घोषणा की, बल्कि इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नर्मदा सेवा यात्रा के स्वरूप और इसके 'मंडल' को सराहा है और अन्य नदियों के संरक्षण के लिए इसे उपयोगी बताया है।
उन्होंने इस यात्रा को सामाजिक समरसता का प्रतीक बताते हुए कहा कि नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा इस मायने में भी विशिष्ट है कि इसमें सभी धर्मो के धर्म गुरुओं की भागीदारी देखने को मिली है।
शर्मा ने कहा कि नदी संरक्षण के लिए कार्य करने वाले बलवीर सिंह सेचिवाल, जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह, पर्यावरणविद् सुनीता नारायण, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि यूरी एफन्सिएव ने इसमें शामिल होकर सदी के सबसे बड़े जन-आंदोलन को स्वयं अनुभव किया है। --आईएएनएस