ग्रेनाइट और मार्बल उद्योग मे सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों पर 28% जीएसटी लगाये जाने से गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न होगा-विकास दर भी प्रभावित होगी

By Shobhna Jain | Posted on 4th Jun 2017 | देश
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नई दिल्ली, 4 जून (वीएनआई) केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नये जीएसटी बिल के कारण छोटे,मझोले एवं लघु उद्योग- एमएसएमई पर 28% जीएसटी लागू किये जाने के प्रस्ताव का छोटे,मझोले एवं लघु उद्योग ने कड़ा विरोध जताया है और मांग की है केंद्र सरकार इस प्रस्तावित बिल पर छोटे,मझोले एवं लघु उद्योग के हितों को ध्यान में रखें तुरंत पुनर्विचार करे। इन्होने कहा है कि इस नियम के कारण उपभोक्ताओं के साथ साथ व्यापा्रियो पर भी भार पडेगा और इन उद्योगों के सामने जीविका का गंभीर संकट खडा हो जायेगा। इस उद्द्योग से जुड़े प्रतिनिधियो के अनुसार छोटे उद्योगों के लोगों के लिए यह मुद्दा व्यवसाय को बचाने का प्रश्न है जीएसटी काउंसिल के नियमों के अनुसार जीएसटी टैक्स 5% और 12% के बराबर या उससे कम होना चाहिए। पर प्रस्तावित 28% बहुत ज्यादा है।महगाई बढने से उपभोक्ता चीन की बनी घटिया और सस्ती टाइल्स का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हो जाएंगे जिसके कारण देश की घरेलू उत्पाद और विकास दर प्रभावित होगी और नीचे गिर सकती है। एमएसएमई जीएसटी संग्राम समिति के उपाध्यक्ष ए जॉय कुमार विनाकोट के अनुसार जो टैक्स के नये के स्लैब बनाये गये हैं वो टैक्स के नियम के हिसाब से लग्जरी आइटमों पर ये टैक्स लगता है। लघु एवं सुक्ष्म उद्योग के मौजूदा टैक्स सिस्टम में हर राज्य का अलग-अगल टैक्स नियम बना होता है, जिसके अंदर 5% से 14.5% तक टैक्स लगाया जाता है। ्व्यापारियो के अनुसार लघु एवं छोटे उद्योग व्यवसाय के अंदर जिनकी सालाना लागत 5 करोड है उनको इस सैंट्रल एक्सरसाइज डयूटी से बाहर रखा गया है। इस नियम के कारण उपभोक्ताओं और व्यापारी पर भी ज्यादा भार पडेगा । मौजूदा समय में राज्य सरकारों की ओर से उद्योग और सुक्ष्म और लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए सब्सिडी भी दिये जाने की व्यवस्था रही है। युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर ये उद्योग जो अभी दे पा रहे हैं 28% कर का भाग केन्द्र सरकार के द्वारा लगाये जाने से उस पर भी संकट खडा हो जायेगा। और महगाई बढने से उपभोक्ता चीन की बनी घटिया और सस्ती टाइल्स का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हो जाएंगे जिसके कारण देश की घरेलू उत्पाद और विकास दर प्रभावित होगी और नीचे गिर सकती है। व्यापारियो का कहना है कि 28% जीएसटी के लागू होने की दशा में बहुत सारी फैक्ट्री , जो एन पी ए के अन्तर्गत भारत के अलग अलग हिस्सों से है, ग्रेनाइट और मार्बल खदानों को बंद करना पडेगा और बाजार में कच्चे माल की कमी हो जायेगी, विदेशी मुद्रा की विनिमय दर भी प्रभावित होगी । 28% प्रतिशत जीएसटी टैक्स बढोत्तरी और भेदभाव के विरोध में छोटे और लघु और सुक्ष्म उद्योग के व्यापारियो ने जगत 1 जून से 3 जून 2017 तक सभी व्यापारिक गतिविधियों को बंद रखा और गत 2 जून दिल्ली के जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण धरना आयोजित किया जिसमें कई सांसदों के अलावा राज्यों के व्यापार संगठन के साथ उन राज्यों के विधानसभा प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

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