नई दिल्ली 10 जून (अनुपमा जैन,वीएनआई) भारत के प्रदेश मे एक ऐसा भी गांव है जहां शौचालय न बनाने पर सज़ा दी जाती है और बनवाने पर ईनाम दिया जाता है, यही नही अब इस गांव मे साफ़-सफ़ाई के चलते दूसरे गांव के लड़कों की तुलना में इस गांव के लड़कों के लिए शादी के रिश्ते भी ज़्यादा आते हैं. महाराष्ट्र के रायगढ ज़िले की करज़ात तहसील के तमनाथ गांँव मे शौचालय न बनवाने पर सज़ा बतौर घर के मालिक का नाम एक दीवार पर लिख दिया जाता है परंतु अगर वो व्यक्ति जब शौचालय बनवा लेता है तो उसका नाम दीवार से हटा दिया जाता है और उसे इनाम के तौर पर पांच हज़ार रुपए भी दिए जाते हैं. इस गाँव की सबसे बड़ी खासियत यह है की यहाँ की सारी सफाई ग्रामवासी स्वयं करते है, सफाई व्यवस्था के लिए वो किसी भी तरह प्रशासन पर आश्रित नहीं है।
इस पूरे गांव के ग्रामवासी को, वो चाहे महिला हो, पुरुष हो या बच्चे हो जहाँ गन्दगी नज़र आती है , सफाई पर लग जाते है फिर चाहे वो सुबह का वक़्त हो, दोपहर का या शाम का। सफाई के प्रति जागरूकता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की यदि सड़क पर चलते हुए किसी ग्रामवासी को कोई कचरा नज़र आता है तो वो रूककर पहले उसे उठाकर कूड़ेदान में डालेगा फिर आगे जाएगा। यहां नालियां और सड़कें बिल्कुल साफ़ दिखती हैं. गांव में पशुओं को बांधने के लिए भी अलग जगह है
मीडिया समाचारो के अनुसार सफ़ाई के इस अभियान की शुरुआत तकरीबन पंद्रह साल पहले ग्राम वासी संतोष भोईर ने की थी. उन्हें इसकी प्रेरणा उनके पिता से मिली.संतोष के अनुसार , \"पहले मेरे घर के सामने ही गांव वाले गोबर डाल दिया करते थे जिससे मक्खियां आदि भिनभिनाती थीं. इससे परेशान होकर पहले मैंने गोबर के लिए अलग से स्थान बनवाया. इसके बाद मैं किसी से कहने के बजाए खुद ही नालियों और सड़कों को साफ़ करने लगा. मुझे ऐसा करते देख बाकी लोग भी इस सफ़ाई से जुड़ गए.”संतोष बताते हैं कि अब गांववाले खुद-ब-खुद सफ़ाई रखने लगे हैं.उनके अनुसार साफ़-सफ़ाई के चलते दूसरे गांव के लड़कों की तुलना में इस गांव के लड़कों के लिए शादी के रिश्ते भी ज़्यादा आते हैं.
करीब 1500 की आबादी वाले इस गांव को सभी ग्रामवासी मिल कर साफ करते हैं पर महिलाये सफाई के मामले मे ज़्यादा जागरूक है, अरुणा भोईर दूसरी महिलाओं के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाती हैं. उनके अनुसार “इस गांव की महिला मंडली मिलकर साफ़-सफ़ाई के विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए अन्य गांवों में भी जाती हैं.”अरूणा ने बताया कि गांव की स्वच्छता का बखान उनके मायके में भी होता है.
आदिवासी बहुल तमनाथ सिरसा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है. गाँव की सरपंच रतन गोपाल वाघमारे कहती हैं, “तमनाथ को देखकर अन्य गांव भी सफ़ाई रखने लगे हैं. हमने चालीस शौचालय बनवाए हैं,पहले आदिवासी महिलाएं घर में शौचालय बनवाने के ख़िलाफ़ थीं, लेकिन मैंने खुले में शौच जाने से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया और सफ़ाई की अहमियत बताई. तब जाकर वे मानीं.\"
तमनाथ की सफ़ाई से प्रभावित होकर आस-पास के गांव भी अब इस अभियान से जुड़ गए हैं.वी एन आई