नई दिल्ली 28 फरवरी ( सुनील जैन,वीएनआई) भारतीय जनता पार्टी के यशवंत सिन्हा ने पांच बार बजट पेश किया,आज उनके पुत्र जयंत सिन्हा वित्त राज्य मंत्री के रूप मे वित्त मंत्री अरूण जेतळी के साथ संसद मे बजट पेश किये जाने के समय मौजूद थे.
मार्च 1998 के आम चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी सरकार के वित्त मंत्री ्के नाते यशवंत सिन्हा ने 1998-99 के अंतरिम और अंतिम बजट को प्रस्तुत किया।
1999 के आम चुनाव के बाद, श्री सिन्हा एक बार फिर वित्त मंत्री बने और वर्ष 1999-2000 से 2002-2003 तक पांच वार्षिक बजट प्रस्तुत किया। श्री सिन्हा के वक्त ही बजट का समय शाम पांच बजे से हट कर सुबह ग्यारह बजे पेश किया जाना शुरू हुआ .
स्वतंत्र भारत का प्रथम बजट 26 नवम्बर 1947 को आर.के. शनमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
भारत सरकार का बजट संविधान के आर्टिकल 112 में भारत के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में लिखा गया है जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है, जिसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस में भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। भारत के वित्तीय वर्ष की शुरूआत, अर्थात 1 अप्रैल से इसे लागू करने से पहले बजट को सदन द्वारा इसे पास कराना जरुरी होता है।
पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने अभी तक सबसे ज्यादा आठ बार बजट प्रस्तुत किया है। 1962-63 के अंतरिम बजट के साथ 1959-60 से 1963-64 के वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट को मोरारजी देसाई द्वारा प्रस्तुत किया गया।
वे पहले ऐसे वित्त मंत्री थे जिन्होने अपने जन्म दिन पर बजट पेश किया ,वर्ष1964 और 1968 में फरवरी 29 को जब केंद्रीय बजट पेश किया तो उस दिन उनका जन्म दिन भी था .देसाई द्वारा प्रस्तुत बजट में पांच वार्षिक बजट शामिल हैं, अपने पहले कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और दूसरे कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और तीन अंतिम बजट प्रस्तुत किया, उस समय वे वित्त मंत्री और भारत के उप-प्रधानमंत्री दोनों थे।
देसाई के इस्तीफा देने के बाद, उस समय की भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय के पदभार को संभाल लिया और साथ ही वित्त मंत्री के पद को हासिल करने वाली एकमात्र महिला भी बन गई।इंदिराजी की उपलब्धियों में ये भी एक उपलब्धि थी ।
श्री प्रणव मुखर्जी राज्य सभा के पहले सदस्य थे जिन्होने 1982-83, 1983-84 और 1984-85 के वार्षिक बजट को प्रस्तुत किया।
ततकालीन प्रधान मंत्री वी.पी. सिंह के सरकार छोड़ने के बाद 1987-89 के बजट को ततकालीन प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी ने बजट पेश किया और मां और नाना के बाद बजट प्रस्तुत करने वाले वे तीसरे प्रधान मंत्री बने.
आंध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल तथा उत्तर प्रदेश के प्पूर्व मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी ने वर्ष 1988-89 के लिए बजट प्रस्तुत किया, 1989-90 के लिए एस.बी. चव्हाण, जबकि मधु दंडवते ने 1990-91 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया।
डॉ॰ मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री बने लेकिन चुनाव की वजह से उन्होंने 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत किया
मई 1991 में ाम चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाए और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991-92 के लिए बजट प्रस्तुत किया।
श्रीमनमोहन सिंह ने अपने अगले बजट 1992-93 में अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया, और देश मे आर्थिक सुधारो का सिलसिला शुरू हुआ,1996 में चुनाव के बाद, कॉग्रेसी सरकार मे एक गैर-कांग्रेसी मंत्री ने पद ग्रहण किया। इसलिए 1996-97 के अंतिम बजट को पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया जो उस समय तमिल मानिला कांग्रेस से संबंधित थे
एक संवैधानिक संकट के बाद श्री आई. के. गुजराल के बाद श्री पी चिदंबरम के 1997-98 बजट को पारित करने के लिए संसद की एक विशेष सत्र बुलाई गई थी। इस बजट को बिना बहस के ही पारित किया गया था।
मार्च 1998 के आम चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी सरकार के वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1998-99 के अंतरिम और अंतिम बजट को प्रस्तुत किया।
1999 के सामान्य चुनाव के बाद, सिन्हा एक बार फिर वित्त मंत्री बने और वर्ष 1999-2000 से 2002-2003 तक चार वार्षिक बजट प्रस्तुत किया। आज उनके पुत्र जयंत सिंहा वित्त राज्य मंत्री के रूप मे वित्त मंत्री अरूण जेतली के साथ संसद मे मौजूद थे. वी एन आई