नई दिल्ली 13 नवंबर (अनुपमा जैन,वीएनआई) आज यानि शुक्रवार को 5 दिवसीय दीपोत्सव का समापन दिवस है जिसे भैयादूज कहा जाता है। आज के दिन बहन भाई को तिलक कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करेंगी। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज अथवा यम द्वितीया को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य है भाई-बहन के मध्य सौमनस्य और सद्भावना का पावन प्रवाह अनवरत प्रवाहित रखना तथा एक-दूसरे के प्रति निष्कपट प्रेम को प्रोत्साहित करना। इस प्रकार 'दीपोत्सव-पर्व' का धार्मिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय महत्व अनुपम है।
इसकी पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन पूरे साल मे यमराज अपना सारा कामकाज छोड़कर धरती पर अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। उन्हीं का अनुकरण करते हुए भारतीय भ्रातृ परंपरा अपनी बहनों से मिलती है और उनका यथेष्ट सम्मान पूजनादि कर उनसे आशीर्वाद रूप तिलक प्राप्त कर कृतकृत्य होती हैं|
इस पर्व के संबंध में पौराणिक कथा इस प्रकार मिलती है। सूर्य की संज्ञा से 2 संतानें थीं- पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई। छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, किंतु यम और यमुना में बहुत प्रेम था।
यमुना अपने भाई यमराज के यहां प्राय: जाती और उनके सुख-दुख की बातें पूछा करती। यमुना यमराज को अपने घर पर आने के लिए कहती, किंतु व्यस्तता तथा दायित्व बोझ के कारण वे उसके घर न जा पाते थे।
एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर अचानक जा पहुंचे। बहन यमुना ने अपने सहोदर भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया। विविध व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया तथा भाल पर तिलक लगाया। यमराज अपनी बहन से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना को विविध भेंटें समर्पित कीं। जब वे वहां से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से कोई भी मनोवांछित वर मांगने का अनुरोध किया।
यमुना ने उनके आग्रह को देखकर कहा- भैया! यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रतिवर्ष आप मेरे यहां आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार किया करेंगे।
इसी प्रकार जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करे तथा उसे भेंट दें, उसकी सब अभिलाषाएं आप पूर्ण किया करें एवं उसे आपका भय न हो। यमुना की प्रार्थना को यमराज ने स्वीकार कर लिया। तभी से बहन-भाई का यह त्योहार मनाया जाने लगा।
आज 13 नवम्बर 2015 ,शुक्रवार को सूर्योदय 06:41 पर हुआ तथा सूर्यास्त 17:28 बजे होगा। इसी प्रकार चंद्रोदय: 07:49 आैर चंद्रास्त: 18:55 बजे होगा
भाई दूज टीका मुहूर्त: 13:09 से 15:16,अवधि :2 घण्टे 7 मिनट्
शुभ समय ,अभिजीत मुहूर्त: 11:43 - 12:26 अमृत काल: कोई नहीं।
गौरतलब है कि दिल्ली में आज से यानी भाईदूज के दिन से यमुना पर महाआरती की शुरुआत होने वाली है जिस तरह से बनारस और हरिद्वार के गंगा के घाट पर होती है। इसको लेकर दिल्ली सरकार की ज़ोर शोर से तैयारियां कर रही है हैं। कश्मीरी गेट के पास जिस गीता घाट पर महाआरती की शुरुआत होगी, आज शाम 4 बजे से इस कार्यक्रम की शुरुआत होगी, जिसमे खुद सीएम केजरीवाल आएंगे और यमुना के घाट पर आरती की परंपरा की शुरुआत करेंगे।