आखिर कैसे -चमकती दमकती रहती है दिल्ली की मेट्रो

By Shobhna Jain | Posted on 1st Jul 2015 | देश
altimg
नई दिल्ली (अनुपमा जैन, वीएनआई) मेट्रो के शानदार, अत्याधुनिक सुविधाओ से लैसे वातानुकूलित रेलवे स्टेशनो पर धड़धड़ाती दिल्ली मेट्रो रेल... आखिर कैसे रहती है मेट्रो रेल इतनी जगमगाती दमदमाती, दिल्ली की शान और पहचान मेट्रो जो हर समय चमकती दमकती रहती है इसको देखकर मन मे अक्सर सवाल उठता है कि दिल्ली मेट्रो का आखिर ऐसा क्या राज़ है जो हर दिन सुबह 6 बजे से रात 12.30 तक 20 लाख से अधिक लोगों को सफ़र कराने के बाद भी उसे हमेशा टिप टॉप रखता है, पर यह कोई राज़ नही बल्कि मेट्रो के कर्मचारियों और उसका रखरखाव करने वालो की कड़ी मेहनत का नतीजा है, हालांकि टेलिकॉम ऑपरेशन, सिग्नल सिस्टम, इलेक्ट्रिक रख् रखाव के कारण दिल्ली मेट्रो को 24 घंटे चलाना संभव नहीं है पर फिर भी मेट्रो साढे अठारह घंटे जनता के लिये उपलब्ध है दिल्ली में मेट्रो के कुल 8 डिपो हैं जिनमे क़रीब 208 मेट्रो ट्रेनें रात 11 बजे से 1 बजे के बीच ट्रेनें अपनी मेंटेनेंस के लिए आती हैं. यमुना बैंक डिपो में हर दिन 40 ट्रेनें आती हैं.दिल्ली में क़रीब 208 मेट्रो ट्रेनें हैं और किसी भी डिपो में लगभग 100 कर्मचारी प्रतिदिन इन ट्रेनों की सफाई करते हैं.सामान्यतः एक ट्रेन को पूरी तरह से तैयार करने में 20 घंटे का समय लगता है. सूत्रों के अनुसार मेट्रो में गंदगी फैलाने वालों का 100 से 200 रुपये का चालान काटा जाता है। ऐसे यात्रियों को पकड़ने के लिए मेट्रो की अपनी टीम और प्लेटफॉर्म पर लगे सिक्यॉरिटी गार्ड अहम भूमिका निभाते हैं। कभी-कभी सीआईएसएफ के जवान भी पीक मारने वाले पैसेंजर्स को पकड़ लेते हैं। सीसीटीवी से भी ऐसे लोगों की निगरानी की जाती है। इससे गंदगी फैलाने वाले यात्री के मन में यह डर लगा रहता है कि अगर उसने कहीं थूका या गंदगी फैलाई तो वह पकड़ा जाएगा। मेट्रो का रख-रखाव ्का भी अनोखा तरीका है और यह दो भागों में होता है. पहला, हाउसकीपिंग या बाहरी साफ-सफाई का होता है. डिपो में आने के बाद सबसे पहले स्वाचलित मशीन से मेट्रो की धूल मिट्टी की सफाई होती है.हाउसकीपिंग का काम करने वाले कर्मचारी की ड्यूटी रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक होती है.सूत्रों के अनुसार डीएमआरसी का सफाई और हाउस कीपिंग का कुल खर्च पांच करोड़ रुपये प्रति माह है। सफाई व्यवस्था में पहले की अपेक्षा नये बदलाव किये गये हैं ः नई मशीनें जैसे बिजली से चलने वाले स्क्रबर ड्रायरस, बैक पैक वेक्यूम क्लीनर आदि का इस्तेमाल होगा शुरू हो चुका है। धूल रहित स्वीपिंग और सफाई सुनिश्चित की गयी है । अपशिष्ट और कचरे का निपटान बायो डिग्रेडेबल कचरा निपटान बैगों में स्वच्छतापूर्ण तरीके से किया जा रहा है। सफाई के लिए पर्यावरण अनुकूल रसायनों का इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। मेट्रो के रखरखाव का दूसरा हिस्सा है उसका तकनीकी भाग, जिसमें सॉफ्टवेयर अपडेट, इलेक्ट्रिक सप्लाई, एयर कंडीशन, पहियों की देखभाल, कोच की बॉडी इत्यादि शामिल हैं. मेट्रो के इंजीनियर हर ट्रेन की बारीक जांच-पड़ताल करते हैं. सामान्य निगरानी में इन तकनीकी ख़राबियों का पता नहीं चलता. कंट्रोल रूम की भूमिका इसमे बहुत अहम है वहींयह निर्णय लिया जाता है कि ट्रेन में आई गड़बड़ी को कहां ठीक किया जाएगा, और उसी के अनुसार ड्राइवर को निर्देश दिए जाते हैं कि वे ट्रेन को किस ट्रैक पर खड़ा करें.

Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Thought of the Day
Posted on 25th Apr 2025

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india