एसओएल की छात्राओं ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का कार्यक्रम जश्न के साथ मनाया

By Shobhna Jain | Posted on 11th Mar 2015 | देश
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नई दिल्ली, 09 मार्च, (वीएनआई) अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बीते रविवार 8 मार्च को दिल्ली विश्वविधालय के स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग (एसओएल) की छात्राएं भारी संख्या में संघर्षशील महिला केंद्र के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए नार्थ कैंपस स्थित आर्ट्स फैकल्टी पर इकठ्ठा हुई | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर संघर्षशील महिला केंद्र(सीएसडब्लू) और क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के संयुक्त तत्वावधान में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया| सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान नुक्कड़ नाटक, गीत और ‘गैरबराबरी और शोषण युक्त समाज में महिला मुक्ति’ विषय पर भाषण प्रतियोगिता का मंचन किया गया| इसके साथ-साथ एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसके द्वारा महिला आन्दोलन के संघर्षों और सफलताओं के इतिहास को आम छात्र-छात्राओं तक पहुचाने की कोशिश की गयी| संगठन ने बताया की संघर्षशील महिला केंद्र (सीएसडब्लू) और क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) लगातार कॉरेस्पोंडेंस स्टूडेंट्स के बीच में सक्रिय रहा है और कॉरेस्पोंडेंस स्टूडेंट्स के साथ हो रहे गैरबराबरी के खिलाफ लगातार संघर्ष करता रहा है| दोनों संगठनों ने मिलकर एसओएल के छात्राओं के साथ बढ़ते यौन हिंसा के खिलाफ विश्वविधालय में आन्दोलन छेड़ा था| इस बात को ध्यान में रखते हुए कि एसओएल में 2,50000 लाख छात्राएं पढ़ती हैं (रेगुलर मोड से चार गुना संख्या!), दोनों संगठनों ने यह निश्चय किया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस इन्ही छात्राओं के बीच मनाया जाये | विदित हो कि कॉरेस्पोंडेंस छात्रों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम इसलिए किया गया क्योंकि एसओएल स्टूडेंट्स के बीच में कभी कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं किया जाता है और एसओएल छात्रों को दिल्ली विश्वविधालय प्रशासन द्वारा उपेक्षा का ही शिकार होना पड़ता है| संघर्षशील महिला केंद्र के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली विश्वविधालय में कार्यक्रम के बाद पश्चिमी दिल्ली के आनंद पर्वत-पंजाबी बस्ती-बलजीत नगर क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया | जहां संघर्षशील महिला केंद्र द्वारा एक सभा का आयोजन भी किया गया और महिलाओं-स्कूली छात्राओं के बीच में जागरूकता अभियान चलाया गया| सभा का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के एतिहासिक दिन को आम महिलाओं और स्कूली छात्राओं के बीच मनाना और उन्हें यौन हिंसा के खिलाफ संगठित करना था|

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