नई दिल्ली, 25 जून, (वीएनआई), संघर्षशील महिला केंद्र (सीएसडब्लू) ने सैंट स्टीफेंस कॉलेज प्रशासन द्वारा यौन उत्पीड़न के पूरे मामले में किये गए गैरजिम्मेदार रवैये की भर्त्सना करते इस मामले में नेशनल कमीशन फॉर वीमेन को तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है| साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि राष्ट्रीय महिला आयोग पिछले पांच साल में हुए यौन उत्पीडन के मामलों की ऑडिट कराए| गौरतलब है कि सैंट स्टीफेंस कॉलेज की पीएचडी की पीड़ित छात्रा ने अपने अस्सिटेंट प्रोफेसर सतीश कुमार द्वारा 2013 से यौन रूप से प्रताड़ित किये जाने को लेकर इस साल जनवरी में कॉलेज प्रशासन को शिकायत दर्ज़ करवाई थी|
सीएसडब्लू ने बताया कि सतीश कुमार द्वारा बर्सर के पद से दिए गए इस्तीफे से ये बात साफ़ हो गई है कि जो भी इलज़ाम उसके ऊपर लगाये गए थे वो सही हैं| पिछले दिनों भारी दबाव और इंटरनल कमेटी कि भेदभावपूर्ण रवैये के कारण पीडिता का विश्वास टूट गया था और इसलिए उन्होंने केस वापस ले लिया था| आगे उन्होंने बताया कि 2013 एक्ट अगेंस्ट सेक्सुअल हरास्मेंट इन वर्कप्लेस के तहत कोई भी इन्क्वायरी 90 दिनों के भीतर हो जाना चाहिए था परन्तु नियमों को ताक पर रखकर कॉलेज के मीडिया को-ऑर्डिनेटर द्वारा कॉलेज के प्रिंसिपल को बचाने की कोशिश की जा रही है| पूछताछ के दौरान अभियुक्त को उसके पोस्ट से नहीं हटाया गया ये बात जानते हुए कि वो एक ऐसे पद पर था जिसका वो गलत फायदा उठा सकता था जो सतीश कुमार ने किया भी – पीडिता को 18000 रुपए का शोध स्टाइपेंड रोककर|
सीएसडब्लू ने आरोप लगाते हुए कहा पूरे मामले में 2013 एक्ट अगेंस्ट सेक्सुअल हरास्मेंट इन वर्कप्लेस की अंदरूनी समस्याएँ भी बाहर आई| इस कानून के तहत शैक्षिक संस्थानों में समितियों का गठन संस्था के प्रमुखों / प्रिंसिपलों करेगा| इससे साफ़ पता चलता है कि ये समितियां कभी निष्पक्ष नहीं हो सकती| हमने पहले भी देखा है कैसे इन समितियों द्वारा पूरे मामले को दबाये जाने कि कोशिश कि जाती है| हमने राष्ट्रीय महिला आयोग से भी इस क़ानून में उचित बदलाव करने कि मांग की है|