द हेग 18 फरवरी (वीएनआई) भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में चार दिवसीय सार्वजनिक सुनवाई शुरू हो चुकी है. इसमें भारत और पाकिस्तान दोनों बहस करेंगे.आईसीजे में हरीश साल्वे की दलील- कुलभूषण के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से कोई विश्वसनीय सबूत नहीं दिया गया. साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान बिना देरी जाधव को काउंसलर उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है। बिना काउंसलर एक्सेस के जाधव को कस्टडी में रखे जाने को गैरकानूनी करार दिया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान जाधव मामले का इस्तेमाल प्रोपागैंडा के लिए कर रहा है।
साल्वे ने यह भी कहा कि 30 मार्च 2016 को भारत ने पाकिस्तान को याद दिलाया था कि जाधव को कॉन्स्युलर उपलब्ध कराया जाना है। हमें इस पर कोई जवाब नहीं मिला। अलग-अलग तारीखों में पाकिस्तान को 13 रिमाइंडर भेजे गए थे।
साल्वे ने कहा, "पाकिस्तान बिना देरी जाधव को कॉन्स्युलर उपबल्ध कराने के लिए बाध्य है। बिना काउंसलर एक्सेस के जाधव को कस्टडी में रखे जाने को गैरकानूनी करार दिया जाना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान जाधव मामले का इस्तेमाल प्रोपागैंडा के लिए कर रहा है।'कुलभूषण जाधव से उनके परिवार को जिस तरह से मिलाया गया, उससे भारत में काफी निराशा हुई. भारत ने इसके विरोध में पाकिस्तान को पत्र भी लिखा
गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के पूर्व अफसर 48 वर्षीय कुलभूषण जाधव को पाक सैनिकों ने कुलभूषण जाधव को मार्च 2016 में बलूचिस्तान प्रांत से पकड़ा था।
जाधव को जासूसी और आतंकवाद फैलाने के आरोप मे पाक की मिलिट्री कोर्ट ने अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी,भारत ने कहा है कि जाधव निर्दोष हैं और इसीलिये भारत पाकिस्तान कोर्ट की सजा के खिलाफ मई 2017 में आईसीजे गया था.
बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों के निपटारे के लिए संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का गठन किया था आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 को मामले का निपटारा होने तक जाधव की सजा पर अमल करने से पाकिस्तान को रोक दिया था.
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