नई दिल्ली, 09 मई, (सुनील कुमार/वीएनआई)
ये रास्ते कभी नहीं देते रास्ता,
कभी आने वाली मुश्किलों का
कभी आने वाली दिक्कतों
का देते हैं वास्ता
सफर का मकसद मंज़िल तक पहुंचना होता है
पर याद रहे सफर खुद एक तजुर्बा होता है
हर सफर की एक दास्तान होती है
तेज कदमों से नहीं, बिना रुके,
चलने से सफर की पहचान् होती है
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