लंदन, 1 मई (वीएनआई) कोलकाता में जन्मी इतिहासकार-लेखिका श्राबणी बासु को साहित्य तथा साझा ब्रिटिश भारतीय इतिहास के अध्ययन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए लंदन विश्वविद्यालय ने ‘डॉक्टरेट’ की मानद उपाधि प्रदान की है।
लेखिका बासु ने बीते मंगलवार को एक दीक्षांत समारोह में ‘डॉक्टर ऑफ लिटरेचर’ की अपनी मानद उपाधि ग्रहण की। ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय की बहन प्रिसेंज रॉयल– प्रिसेंज एन्नी ने विश्वविद्यालय की कुलाधिपति के तौर पर बासु को यह डिग्री प्रदान की। वहीं बासु ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘2009 में यह लंदन विश्वविद्यालय ही था जिसने हमें गॉर्डन स्क्वायर पर द्वितीय विश्वयुद्ध की नायिका नूर इनायत खान का स्मारक बनाने की अनुमति दी थी। उन्होंने आगे कहा, विश्वविद्यालय ने नूर इनायत खान की स्मृतियों के महत्व को पहचाना जिनके बारे में उस समय लोग बहुत कम जानते थे। यह उनका स्मारक दिवस था जब 2012 में प्रिसेंज रॉयल ने उनकी आवक्ष प्रतिमा का अनावरण किया था। आज दुनियाभर से लोग इस स्मारक पर आते हैं और नूर की कहानी अच्छी तरह लोगों को पता चल गयी है। डॉ. बासु ने साथ ही अपने संबोधन में 1980 के दशक में पत्रकार के रूप में भारत से ब्रिटेन आने की अपनी यात्रा का जिक्र किया जब वह कई छिपी हुई अद्भुत बातों से रूबरु हुईं और इन बातों को उनकी किताबों में जगह मिली। अब वह लंदन में रहती हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक करने वाली बासु ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल: द ट्रू स्टोरी ऑफ क्वीन्स क्लोजेस्ट कॉन्फिडेंट’ की लेखिका है, जिसपर एक फिल्म भी बनी है जिसे ऑस्कर के लिए नामित किया गया था और उसमें डेम जूडी डेंच ने अभिनय किया था। इसके आलावा सर्वाधिक बिकने वाली जीवनी संबंधी पुस्तक ‘स्पाई प्रिंसेंज : द लाईफ ऑफ नूर इनायत खान’ की भी वह लेखिका है।
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