नई दिल्ली 18 सितंबर, (वीएनआई) साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए साहित्य अकादेमी द्वारा आज दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2020 विभिन्न भाषाओं के लेखकों को प्रदान किए गए। जिसमें प्रख्यात लेखिका अनामिका जी जो हिंदी क्षेत्र के लिए चुना गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और प्रख्यात कवि विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा प्रकृति ने सबको कुछ न कुछ विशेष दिया है और लेखकों को तीन योग्यताएं संवेदनशीलता, परकाया प्रवेश और अभिव्यक्ति की विशेष क्षमता प्रदान की है। इन्हीं विशेष योग्यताओं के कारण वह स्व अन्य को जोड़ता है और दूसरे की वेदना का प्रवक्ता बन जाता है। लेखक यह अपना धर्म समझकर करता है। इतनी शक्तियां जब प्रकृति ने दी हैं तो लेखक को कुछ विशेष करना चाहिए। आज जब पूरी दुनिया हिंसा से जूझ रही है, तब लेखक को अहिंसा का रास्ता अपनाकर समाज का मार्गदर्शन करना चाहिए। साहित्य परिवर्तन की अहिंसक प्रक्रिया है।
वहीं साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि आज जब यह पुरस्कार दिया जा रहा है तब आप हमारे भारत की हर भाषा के श्रेष्ठ साहित्य लिखने वाले लेखकों को यहाँ देख सकते हैं। यह भारत की बहुभाषिक, बहुसांस्कृतिक प्रतिभा का सम्मान है यह सांस्कृतिक उच्चता और मानवधर्मी विचारों के सुंदर संयोग का सम्मान है। यह श्रेष्ठ साहित्य विभिन्न विधाओं में अपनी विविध वर्णी आभा के साथ स्थानीय और वैश्विक यथार्थ को हमारे सामने लाने का बड़ा कार्य कर रहा है। यह सम्मान उसी श्रेष्ठ का है।
अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कार्यक्रम के समापन वक्तव्य में कहा भारत की बहुभाषिकता और बहुवचनात्मकता को पूरी दुनिया में अनूठा कहा। उन्होंने कहा कि साहित्यकार सामान्य जन की पीड़ा का प्रवक्ता होता है। यह सम्मान ऐसे ही साहित्यकारों का है। साहित्य अकादेमी पैसा नहीं प्रतिष्ठा देती है। वहीं अकादेमी के सचिव डा.के श्रीनिवास राव ने कहा कि भारत एक है भले ही अनेक भाषाओं में बोलता है। साहित्य और भाषा में वह क्षमता होती है जो अपनी भाषा, सभ्यता, संस्कृति और सामाजिक यथार्थ को अपने साहित्य के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं।
कार्यक्रम में आज पुरस्कृत हुए लेखक है, हिंदी भाषा में अनामिका, अंग्रेजी भाषा में अरुंधति सुब्रमण्यम, उर्दू भाषा में हुसैन-उल-हक़, पंजाबी भाषा में गुरदेव सिंह रूपाणा, संस्कृत भाषा में महेशचन्द्र शर्मा गौतम, तमिल भाषा में इमाइयम, तेलगु भाषा में निखिलेश्वर, गुजराती भाषा में हरीश मीनाश्रु, राजस्थानी भाषा में भंवरसिंह सामौर, उड़िया भाषा में यशोधरा मिश्रा, कन्नड़ भाषा में एम. वीरप्पा मोइली, सिंधी भाषा में जेठो लालवाणी, असमिया भाषा में अपूर्व कुमार शइकीया, बांग्ला भाषा में शंकर, कश्मीरी भाषा में स्व. हृदय कौल भारती, इसके आलावा बोडो भाषा में स्व. धरणीधर औवारि, कोंकणी भाषा में आर. एस. भास्कर, मैथिली भाषा में कमलकान्त झा, मलयाळम् भाषा में ओमचेरी एन.एन. पिल्लई, मणिपुरी भाषा में इरुङ्गबम देवेन सिंह, नेपाली भाषा में शंकर देव ढकाल और संताली भाषा में रूपचंद हांसदा को पुरस्कृत किया गया। वहीं कार्यक्रम में पंजाबी और बंगाली के विजेता पुरस्कार लेने नहीं आ पाए । जबकि बोडो, कश्मीरी तथा मलयालम के विजेताओं के परिजनों ने पुरस्कार ग्रहण किए ।
इसके अलावा साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में आज 2020 के अनुवाद पुरस्कारों की घोषणा भी की गई। कार्यकारी मंडल की बैठक में 24 पुस्तकों को साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार 2020 के लिए अनुमोदित किया गया । पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपये की राशि और उत्कीर्ण ताम्रफलक इन पुस्तकों के अनुवादकों को इसी वर्ष आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदान किए जाएंगे।
No comments found. Be a first comment here!