नई दिल्ली,4 जुलाई (्शोभनाजैन/वीएनआई) प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह इस्रायल के चर्चित दो दिवसीय दौरे पर रवाना हो गये.इस दौरे की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला इस्ररायली दौरा है. पीएम मोदी द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की स्थापना के 25वीं वर्षगांठ पर वहां पहुंच रहे हैं. इस्रायल ने भारतीय पीएम के इस दौरे को ऐतिहासिक करार दिया है. कुछ दिन पूर्व एक इस्रायल अखबार ने अपने संपादकीय में इस दौरे की अहमियत बताते हुए लिखा था कि दुनिया के सबसे अहम पीएम इस्रायल आ रहे हैं.इजरायल का मानना है कि इस यात्रा के 'बेहद प्रतीकात्मक मायने' है.भारत के लिये यह भी अच्छी बात है कि आतंकवाद पर भारत की चिताओ और सरोकारो पर इजरायल भारत के साथ खड़ा रहा है.इजरायल के सूत्रो ने पाकिस्तान स्थित आतंकी गुट लशकरे-तायबे और फलस्तीनी आतंकी गुट हमास को समान बताते हुए कहा है कि आतंकवास से सख्ती से निबटना चाहिये और पूरी दुनिया को आतंकवाद से एक जुट हो कर लड़ना चाहिये. ्वैसे इस दौरे मे दोनो देशो के बीच द्विपक्षीय आर्थिक,रक्षा, अंतरिक्ष,कृषि सहित अनेक क्षेत्रो मे संबंध मजबूत करने की दिशा मे अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिये जाने की उम्मीद है
्दोनो देशो के बीच बढती घनिष्ठता इसी बात से समझी जा सकती है कि पीएम मोदी जब तेल अवीव एयरपोर्ट पर उतरेंगे तो उनका स्वागत कमोबेश उसी अंदाज में होगा जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति का होता है. माना जा रहा है कि इस्रायल पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और उनके कैबिनेट मंत्रियों समेत 50 बड़ी हस्तियां मोदी के स्वागत के लिए वहां मौजूद होंगी.पिछले एक दशक में दोनों देशों के रिश्ते काफी गहरे हुए हैं. इस दौर में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और यूपीए सरकार के दौरान एसएम कृष्णा इस्रायल की यात्रा कर चुके हैं. इन नेताओं के दौरे की खास बात यह रही है कि इन्होंने इजरायल यात्रा के साथ फलस्तीनी क्षेत्रों का भी दौरा किया था. लेकिन इन सबसे इतर पीएम मोदी फलीस्तीनी क्षेत्रों का दौरा नहीं करेंगे. इस्ररायल में इसे भारत की बदलती विदेशी नीति के रूप में देखा जा रहा है और संभवतया इसीलिए पीएम मोदी के दौरे को ऐतिहासिक बताते हुए इतनी तवज्जो भी दे रहा है
विदेश नीति के जानकारो के अनुसार पीएम मोदी के दौरे की अहमियत खास हैं. दरअसल भारत की शुरुआती विदेश नीति का झुकाव इस्ररायल के विरोधी अरब देशों की तरफ रहा है. 1947 में संयुक्त राष्ट्र में इस्रायलदेश बनाने के लिए फलीस्तीन विभाजन प्रस्ताव का विरोध किया था. हालांकि तीन वर्षों बाद 1950 में भारत ने इस्रायल को मान्यता दे दी. उसके बाद 1992 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान दोनों देशों के बीच पूर्ण कूटनयिक संबंध स्थापित हुए.
उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस्रायल के साथ संबंधों को तरजीह दी गई. बीजेपी शुरू से ही इस्रायल के साथ बेहतर संबंधों की हिमायती रही है. उसके दौर में दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत बनकर उभरे हैं.
इसके अलावा भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था वाला देश है. उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से उनकी इस्रायल नीति के बारे में अभी अनिश्चितता का माहौल बरकरार है. इस पृष्ठभूमि में इस्रायल के एक अखबार 'हारिट्ज' ने विश्लेषण करते हुए लिखा है कि अनिश्चितता के इस माहौल में भारत, ''इस्रायल का सबसे बड़ा सहयोगी'' बनकर उभर सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक खतरा करार देते हुए कहा है कि इसके खिलाफ लड़ाई में नई दिल्ली तथा तेल अवीव 'अधिक घनिष्ठतापूर्वक सहयोग' कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इजरायली समाचार पत्र 'इजरायल हायोम' से एक साक्षात्कार में कहा कि उनके तीन दिवसीय इजरायल दौरे का अपना महत्व है और यह द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या इजरायल तथा भारत आतंकवाद के एक जैसे खतरे का सामना कर रहे हैं? मोदी ने कहा, "आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है। इससे न तो भारत और न ही इजरायल सुरक्षित है। हमारे बीच पूर्णतया समझौता है कि जो तत्व निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा की साजिश रचते हैं, उन्हें फलने-फूलने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा, "सीमा पार आतंकवाद हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। सीमा पार विभाजनकारी ताकतें हमारे देश की एकता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं। समस्या पैदा करने वाले ऐसे तत्व हमारे देश तथा क्षेत्रों में युवाओं को गुमराह करने के लिए मजहब को एक औजार की तरह इस्तेमाल करते हैं।" प्रधान मंत्री की इजरायल यात्रा आपसी संबंधो मे एक नये पड़ाव की सूचक मानी जा रही है.शोभना जैन यह भी बताया गया है कि इजरायली प्राधान मंत्री पी एम मोदी की इजरायली प्रतिपक्ष के नेता से मुलाकात को छोड़ कर इजरायल प्रधान मंत्री हर मुलाकात के समय उनके साथ रहेंगे
प्रधानमंत्री ने कहा, आतंकवाद को किसी खास मजहब से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। भारत तथा इजरायल आतंकवाद की बुराई से लड़ने के लिए पहले से अधिक सहयोग कर सकते हैं और एक-दूसरे के प्रयास का पूरक बन सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उनका दौरा भारत-इजरायल संबंधों को और घनिष्ठ करने के लिए है? उन्होंने कहा, "मेरे दौरे का अपना महत्व है..मैं आश्वस्त हूं कि यह दौरा विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंधों को और मजबूत करेगा और सहयोग की नई प्राथमिकताएं तय करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि फिलिस्तीन मुद्दे का समाधान दो राष्ट्र है, ताकि इजरायल और भविष्य का फिलिस्तीन दोनों एक-साथ शांतिपूर्वक रह सकें।
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