नई दिल्ली 19 जुलाई (शोभना जैन वीएनआई) एक तरफ जहा अमरीका के आगामी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार बनें 81वर्षीय राष्ट्रपति जो बाय़डन की सेहत को ले कर उन की उम्मीदवारी को ले कर अभी तक सवालियॉ निशान लगे हुये हैं, वही पूर्व राष्ट्रपति 78 वर्षीयडोनाल्ड ट्रंप पर हाल में उन की रिपब्लिकन पार्टी की चुनाव सभा में हुयें हमलें से पिछलें कई दशकों से पहले से ही काफी सैद्धांतिक सांस्कृतिक तौर पर बंट चुकें अमरीका में और दुनिया में यह सवाल और मुखरता से पूछा जा रहा कि क्या " मेक अमरीका ग्रेट अगेन" के रिपब्लिकन नारे के तहत अमरीका का इकबाल भले ही दोबारा से बुलंद किये जने की बार कही जायी लेकिन देश के अंदर खाईयॉ और गहरी होने का अंदेशा जताया जा रहा हैं खास तौर पर ऐसी स्थति में वहा यह सवाल और मुखरता से पूछा जा रहा हैं कि क्या यह हमला अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दिशा बदल सकता हैं ?
अमेरिकी चुनाव के मतदान में चार महीने बचे हैं. लेकिन समाज में राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अलगाव इस कदर बढ चुका हैं कि विभाजन खत्म होने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. अगर वहा राजनैतिक ध्रुवीकरण की बात करें तो वहां बहुत अधिक राजनीतिक ध्रुवीकरण हो चुका है. लेकिन, वहां अगर तनावपूर्ण हालात में किसी तरह की राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति पैदा होती है तो यह पूरी दुनिया के लिए अच्छी खबर नहीं होगी.कुल मिला कर इस सब के चलतें चुनाव में अब तक व्यापार नीति,विदेश नीति, आव्रजन. गर्भपात जैसे अहम चुनावी मुद्दें फिलहाल तो दबें ही नजर आते हैं.
दर असल अमरीका की राजनीतिक संस्कृति में ऐसा देखा जाता है कि जो व्यक्ति डेमोक्रेट या रिपब्लिकन होता है, माना जाता हैं कि जीवन भर अपनी पार्टी का समर्थक बना रहता है. ऐसे बहुत कम लोग अपनी पसंदीदा पार्टी को छोड़कर विरोधी पार्टी के लिए मतदान करते हैं. लेकिन हाल के हमले के बाद ऐसा लगता है कि जो मध्यमार्गी मतदाता हैं, जो किसी पार्टी से संबद्ध नहीं हैं और वैसे रिपब्लिकन, जो ट्रंप को लेकर आश्वस्त नहीं थे, ये लोग अब ट्रंप को समर्थन दें सकते हैं. घटना के बाद बाइडेन ने राजनीतिक तनातनी कम करने का जो आह्वान किया है. किसी भी लोकतंत्र में जब राजनीतिक विमर्श हिंसक हो जाता है, तो उससे लोकतंत्र को ही नुकसान होता है, वह समाज के लिए घातक हो जाता है.एक विश्लेषक के अनुसार अगर नेता या समर्थक सार्वजनिक रूप से हिंसा की बात करेंगे, तो हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक ही है. हालांकि इस घटना के बाद दोनों शीर्ष नेताओं ने शांति की अपील की है, "गन लॉबी ने अमरीकी समाज विशेष तौर पर युवाओं में अपनी गहरी पैठ बना ली हैं. ट्र्म पर हमलें का दोषी बीस वर्षीय युवा ऐसे ही बंदूक जूटा लाया थाअमेरिका में लोगों को हथियार रखने का कानूनी अधिकार है. अधिकतर नागरिकों के पास बंदूकें हैं.
अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में शनिवार की रात एक रैली में टृंप पर दागी गई भले ही पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कनपटी को छूकर निकल गयी, लेकिन चुनावी माहौल निरंतर आक्रामक होता जा रहा हैं, ऐसे में तो ्सिर्फ उम्मीद ही की जा सकती हैं पूरी चुनावी प्रक्रिया शांति से संपन्न हो सकेगी जब कोई ऐसी घटना होती है, तो यह बहस तेज हो जाती है. अभी कांग्रेस में हथियार रखने के बारे में नियम बनाने को लेकर प्रस्ताव भी विचाराधीन है, पर इस मुद्दे पर भी अलग अलग राय हैं.. ट्रंप भी इस लॉबी के बड़े समर्थक हैं. ्वैसे भी दुनिया के सब से पुराने लोकतंत्र अमरीका मे छह जनवरी 2021 को हुये राष्ट्रपति चुनाव मे टृंप की हार के बाद उनके समर्थकों द्वारा व्हाईट हाउस में किये गये अराजक गतिविधियों को भुले नही हैं .अमेरिका में ‘गन लॉबी’ बहुत ताकतवर है और हिंसक माहौल बनाने में उसकी भी एक भूमिका है.
बहरहाल, यह तो भविष्य ही बतायेगा कि क्या चुनाव के बाद जो भी राष्ट्रपति बनें उस से समाज में अलगाव कुछ कम होगा, लेकिन चुनाव प्रचार जिस तरह से आक्रामक होता जा रहा हैं, खास तौर पर टृंप और उन के समर्थक जिस तरह की भाषा बोल रहे हैं, उस से ऐसी संभावना वैसे तो क्षीण ही नजर आती हैं. ्दुनिया ्सहित सभी देशों को यह समझना होगा कि चुनाव के बाद देश को एकजुट करना चुनौतियों भ रहता हैं जिस से विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और नीतियॉ लागू करना बड़ी चुनौती बन जाता हैं. समाप्त
No comments found. Be a first comment here!