संगीतकार नौशाद की पुण्यतिथि पर

By Shobhna Jain | Posted on 5th May 2020 | मनोरंजन
altimg

नई दिल्ली 05 मई (सुनील कुमार/वीएनआई) नौशाद अली का जन्म 25  दिस . 1919  को  हुआ  और देहांत  5  मई  2006 को  हुआ! 

यह नौशाद के संगीत का ही जादू था कि 'मुग़ल-ए-आजम', 'बैजू बावरा', 'अनमोल घड़ी', 'शारदा', 'आन', 'संजोग' आदि कई फ़िल्मों को न केवल हिट बनाया बल्कि कालजयी भी बना दिया। 'दीदार' के गीत- 'बचपन के दिन भुला न देना', 'हुए हम जिनके लिए बरबाद', 'ले जा मेरी दुआएँ ले जा परदेश जाने वाले' बहुत  ही लोकप्रिय  हुए । 'बैजू बावरा' की सफलता से नौशाद को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का पहला फ़िल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। संगीत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए 1982 में फालके अवॉर्ड, 1984 में लता अलंकरण तथा 1992 में पद्म भूषण से उन्हें नवाजा गया।

नौशाद को सुरैया, अमीरबाई कर्नाटकी, निर्मलादेवी, उमा देवी आदि को प्रोत्साहित कर आगे लाने का श्रेय जाता है। सुरैया को पहली बार उन्होंने 'नई दुनिया' में गाने का मौका दिया। इसके बाद 'शारदा' व 'संजोग' में भी गाने गवाए। सुरैया के अलावा निर्मलादेवी से सबसे पहले 'शारदा' में तथा उमा देवी यानी टुनटुन की आवाज का इस्तेमाल 'दर्द' में 'अफ़साना लिख रही हूँ' के लिए नौशाद ने किया। नौशाद ने ही मुकेश की दर्दभरी आवाज का इस्तेमाल 'अनोखी अदा' और 'अंदाज' में किया। 'अंदाज' में नौशाद ने दिलीप कुमार के लिए मुकेश और राज कपूर के लिए मो. रफी की आवाज का उपयोग किया। 1944 में युवा प्रेम पर आधारित 'रतन' के गाने उस समय के दौर में सुपरहिट हुए थे।कौन  भूल  सकता  है  रतन  के नग्में   "अँखियाँ  मिला  के ......"," ओ  जाने  वाले---", "मिल  के  बिछड़  गयीं  अंखिया ......." !


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india