नई दिल्ली, 31 मार्च, (सुनील कुमार/वीएनआई) किसी विद्वान ने कहा है जीवन की त्रासदी है की हमारे भीतर कुछ न कुछ मरता रहता है पर हम जीने के लिए बाध्य रहते हैं. ये कथन अभिनेत्री मीना कुमारी के लिए बिल्कुल सही बैठते हैं.
हिंदी फिल्मों में अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों के दिलों को छू लेने वाली महान अदाकारा मीना कुमारी रील लाइफ में \'ट्रेजडी क्वीन\' के नाम से मशहूर हुई। मीना(असली नाम माहजबीं) का जन्म 1 दिस .1932 को मुंबई में हुआ का पिता थे अलीबख्श और मां इकबाल बानो घर की आर्थिक स्थिति क्योंकि ठीक नहीं थी इस लिए चार वर्ष की उम्र में ही मीना कुमारी ने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया।
प्रकाश पिक्चर के बैनर तले बनी फिल्म \'लेदर फेस\' में उनका नाम रखा गया बेबी मीना। इसके बाद मीना ने बच्चों का खेल में बतौर अभिनेत्री काम किया। इस फिल्म में उन्हें मीना कुमारी का नाम दिया गया। मीना कुमारी को फिल्मों अभिनय करने के अलावा शेरो-शायरी का भी बेहद शौक था। वर्ष 1952 मे मीना कुमारी ने फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही के साथ शादी कर ली। 1962 में उनकी फ़िल्में \'आरती\', \'मैं चुप रहूंगी\' और \'साहिब बीबी और गुलाम\' प्रदर्शित हुई,जिनमे उनके काम को बहुत सराहा गया । वर्ष 1964 में मीना कुमारी और कमाल अमरोही अलग हो गए
30 साल अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों के दिलपर राज करने वाली हिन्दी सिने जगत की महान अभिनेत्री मीना कुमारी 31 मार्च 1972 को सदा के लिए अलविदा कह गई। मीना के देहांत पर किसी ने सच ही कहा था. मीना शराब पीती थी मजलिस में बैठ कर. पाकीज़ा बन गई तो ख़ुदा ने उठा लिया.
मीना के फ़िल्मी सफर की फिल्मों में \'आजाद\', \'एक हीं रास्ता\', \'यहूदी\', \'दिल अपना और प्रीत पराई\', \'कोहीनूर\', \'दिल एक मंदिर\', \'चित्रलेखा\', \'फूल और पत्थर\', \'बहू बेगम\', \'शारदा\', \'बंदिश\', \'भींगी रात\', \'जवाब\', \'दुश्मन\' कौन भूल सकता है ।
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