सुनील जैन ,नयी दिल्ली ,वी एन आई,25/9/2016
यूँ तो शेरोँ -शायरी गीतों की महफिलें हमेशा ही दिलकश होती हैं! पर जब ये महफ़िल इबादत फाउंडेशन की पेशकश हो वो भी राजेंद्र कृष्ण की याद में हो (उनकी पुण्य तिथि पर ),राजेंद्र कृष्ण के सुपुत्र की मौजूदगी में,फिर महफ़िल का और भी दिलकश होना लाजमी है,ये महफ़िल सजी ,नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में 23 सितंबर की शाम! इबादत के पृथ्वी हल्दिया ,संगीता बेदी ,नवीन आनंद व् अन्य सदस्यों के साथ कलाकारों ने इस महफ़िल को पेशेवर रंग देने में कोई कसर नहीं छोड़ी!जब राजेंद्र जी के लिखे लफ्ज ,आंसू समझ के क्यों मुझे , बाद मुद्दत के ये घड़ी आई ,हम से आया न गया तुमसे बुलाया न गया ,वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग ,ये जिदगी उसी की है जो किसी का हो गया और अन्य गीत ,राजेंद्र कृष्ण जी से जुड़े सँस्मरणों के साथ लोगों को सुनंने को मिले तो लोग मंत्रमुग्ध हो गए ,उम्मीद है इबादत फाउंडेशन की इबादत जारी रहेगी