मुंबई, 20 नवंबर (वीएनआई)| केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी फिल्म 'पद्मावती' को प्रमाण पत्र मिले बिना ही संजय लीला भंसाली द्वारा चुनिंदा लोगों के लिए इसकी स्क्रीनिंग करने से निराश हैं। उन्होंने कहा कि यह एक अवसरवादी उदाहरण स्थापित करता है और फिल्म प्रमाणीकरण के मौजूदा मानदंड को नष्ट करने का प्रयास करता है।
प्रसून ने कहा, यह निराशाजनक है कि सीबीएफसी से प्रमाणित हुए बिना ही फिल्म 'पद्मावती' की स्क्रीनिंग मीडिया के लिए की जा रही है और राष्ट्रीय चैनलों पर इसकी समीक्षा की जा रही है। यह सिस्टम और संतुलन की भूमिका के साथ समझौता है, जो एक कार्यशील उद्योग का हिस्सा है। प्रसून का मानना है कि इस तरह के कदम से सेंसर प्रमाणीकरण व्यवस्था से समझौता होता है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सेंसर पर फिल्म को जल्द प्रमाणित करने का दबाव बनाया जा रहा है और दूसरी तरफ उस प्रक्रिया को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है, जो एक अवसरवादी उदाहरण दर्शाता है।
सीबीएफसी द्वारा प्रमाणीकरण के बिना 'पद्मावती' को लौटाए जाने के बारे में प्रसून ने कहा कि इस विशेष मामले की बात करें तो समीक्षा के लिए इस फिल्म का आवेदन इसी सप्ताह आया था। निर्माता जानते हैं और उन्होंने स्वीकार भी किया है कि कागजी कार्रवाई अधूरी है। प्रसून ने कहा कि फिल्म काल्पनिक है या ऐतिहासिक है, आवेदन पत्र में यह नहीं बताया गया है और फिल्म को प्रमाणित होने में देरी के लिए सीबीएफसी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अर्नब गोस्वामी ने शुक्रवार को यह घोषणा कर लोगों को हैरान कर दिया था कि उन्होंने 'पद्मावती' देख ली है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
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