नई दिल्ली, 18 दिसंबर (वीएनआई)| बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला का मानना है कि आज लड़कियों पर काफी दवाब है और वह यह देखकर हैरान हैं कि लड़कियों का छोटे कपड़े पहनना और 'जीरो साइज' दिखना 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' हैं। उन्होंने कहा कि मनोरंजन जगत में महिलाओं के लिए भले ही काफी बदलाव आया है, लेकिन कुछ चीजें पहले जैसी हैं, जैसे कि फिल्में अब भी नायक केंद्रित ही हैं।
एपिक चैनल के टीवी शो 'शरणम' की टीम में वर्णनकर्ता के रूप में शामिल हुईं अभिनेत्री इस बात को नहीं समझती कि महिलाओं पर समानता साबित करने के लिए दवाब क्यों है। जूही ने साझात्कार में कहा, "मुझे यकीन नहीं है कि अभी दुनिया में लिंग और समानता पर बहस क्यों है। कुछ चीजें बेहतर हुई हैं और कुछ चीजें बदल गई हैं। मुझे यकीन नहीं है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जैसे, 15 वर्ष पहले एक फिल्म के सेट पर 100 लोगों के साथ एक या दो महिलाएं होती थीं। आज, एक फिल्म इकाई में 35 महिलाएं और 65 पुरुष होंगे, जो बेहतरीन था। उन्होंने कहा, "इसलिए हां, महिलाओं के लिए बाहर जाने और काम करने के स्वतंत्रता है, लेकिन दूसरी तरफ फिल्म अब भी नायक-केंद्रित है। अधिकांश फिल्मों में हीरो नायक हैं।"
अभिनेत्री का मानना है कि अभिनेत्रियों पर दवाब बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि पर्दे पर लड़कियों के लिए अधिक दवाब है, उन्हें छोटे कपड़े पहने, जीरो-साइज दिखने, लिव-इन रिलेशनशिप के साथ सहज और शांत दिखना होता है। महिलाओं पर दवाब क्यों है? क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?, यह सही है ना? उन्होंने कहा, "मुझे यह भी नहीं पता कि महिलाओं को ही क्यों समानता साबित करनी होती। मुझे लगता है कि वे कहीं बेहतर हैं। मेरा मतलब है कि महिलाएं समाज का आधा हिस्सा हैं और अन्य आधों को बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है, इसलिए वे ही खुद को साबित क्यों करें? काम के बारे में जूही ने कहा, जब तक मैं कर सकती हूं, तब तक अभिनय करुं गी- चाहे बड़ा पर्दा हो या टेलीविजन। मैं इसे जारी रखूंगी। पहले की तुलना में थोड़ा कम हो सकता है। उन्होंने कहा, "मैं एक फिल्म में काम कर रही हूं, इसकी शूटिंग जनवरी से शुरू होगी और यह बहुत ही दिलचस्प पटकथा है। मुझे लगता है कि प्रोडक्शन हाउस से अधिक विवरण सुनेंगे, जो कुछ बिंदु पर इसकी घोषणा करेगा। इस बीच, 'शरणम्' है और मैं टीवी पर कुछ काम पर विचार कर रहे हैं।"
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