नई दिल्ली, 25 जून (सुनील कुमार/वीएनआई) फ़िल्मी संगीत को जिन संगीतकारों ने बहुत सम्मान दिलवाया उनमे मदन मोहन का नाम प्रमुख है ,चाहे वो गजल हो ,राग आधारित गीत हों ,या कोई और गीत । बड़े बड़े गैर फ़िल्मी फनकार मदनजी के गीत ,नग्मे सुन कर हैरान हो जाते थे । उनके संगीत बद्ध नग्मे वो ऊंचाई वो स्तर लिए होते थे की गुणीजन और आम जनता वाह वाह कह उठते थे फिल्मों में गजल को सम्मान और एक मुकाम दिलाया मदनमोहन ने ।
मदन मोहन को यह प्रेरणा बेगम अख्तर से ही मिली थी। इसी प्रकार उनके अनेक गीतों में रागों के अनेक रंग सामने आते हैं । फिल्म संगीत को रागों में ढालने और कर्ण प्रिय बनाने प्रेरणा उन्हें लखनऊ के उस्तादों और लखनऊ की संगीत परंपरा से ही मिली । फिल्म 'देख कबीरा रोया ' के गीत सुन कर ऐसा लगता है जैसे कोई उस्ताद अपने नग्मों के जरये राग सिखा रहा हो|
जब श्रोता मदन मोहन के संगीत को सुनने लगते हैं तो शर्तिया किसी दूसरी दुनिया में पहुँच जाते हैं । मदन मोहन के संगीत बध्ध किये ये नग्मे कौन भूल सकता है ,लगजा गले की फिर ...... ,आप की नज़रों ने समझा ...... ,है इसी में प्यार की आबरू .....,होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा .....,अदि अदि !
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