नई दिल्ली 14 फरवरी (सुनील कुमार/वीएनआई) मधु बाला का असली नाम मुमताज जेहन बेगम देहलवी था. मीना कुमारी और नर्गिस के साथ वो भी सिनेमा जगत का चमकता सितारा थी . दिल्ली में पठान परिवार में जन्मी मधुबाला के 11 भाई-बहनों में एक थी. इनके पिता पेशावर की एक कंपनी में कर्मचारी थे. पिता की पेशावर की नौकरी जाती रही और काम धंधे की तलाश में परिवार मुंबई आ गया मधुबाला ने फ़िल्मों में 9 वर्ष की उमर में प्रवेश किया.बाल कलाकार के रूप में उन्होंने कई फ़िल्मों में काम किया.. उस समय की मशहूर कलाकार देविका रानी उनके अभिनय से बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने उन्हें अपना नाम बदल कर मुमताज से मधुबाला रखने को कहा.
उनको पहला बडा ब्रेक केदार शर्मा ने राजकपूर के साथ फ़िल्म "नील कमल" (1947) में दिया . हालांकि यह फ़िल्म बोक्स आफ़िस पर अधिक नहीं चल पाई मगर उनके बेमिसाल सौंदर्य और प्रतिभा ने सब को प्रभावित किया और मिडिया व दर्शकों ने उन्हें पर्दे की रानी "विनस" कहना शुरू कर दिया. 1949 में आई वो फिल्म जिसका नाम था "महल",झूला झूलती वो रहस्यमयी सुंदरी सब के दिलों में छा गयी | 1950 में उनकी दिल की बिमारी सामने आई.1954-55 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान मद्रास में उनकी तबियत खराब हो गयी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया .दिल की बिमारी ने ताउम्र उनका पीछा नहीं छोडा.
मधुबाला ने अपने केरियर की शुरुआत में फ़िल्मों में काम किया क्योंकि उन्हें अपनी और परिवार की माली हालत को सुधारना था. इसी लिये इस बीच फ़िल्मों के चयन में उनसे कई गलत फ़ैसले भी हुये जिसपर उन्होंने बाद मे खेद भी जताया.उन्हें विमल राय की फ़िल्म की एक फिल्म मिलने वाली थी पर दुर्भाग्य वश वो फिल्म मधु नहीं कर पायी । मधु बाला ने उस समय के सभी मशहूर अभिनेता व अभिनेत्रियों के साथ काम किया जैसे अशोक कुमार, राज कपूर, रहमान, प्रदीप कुमार, शम्मी कपूर, दिलीप कुमार, सुनील दत्त, देव आन्नद, कामनी कौशल, सुरैया, गीता बाली, नलनी जयवंत और निम्मी. उन्होंने उस समय के मशहूर निर्माता निदेशकों जैसे मेहबूब खान (अमर), गुरु दत्त ( मिस्टर एंड मिसेज 55), कमाल अमरोही (महल), के आसिफ़ ( मुगले आजम) के साथ भी काम किया । एक फ़िल्म "नाता" (1955) उन्होंने निर्मित की जिसमें उन्होंने अभिनय भी किया.
फिल्म हावड़ा ब्रिज से पहले उन्होंने कुछ असफल फ़िल्में की . 1958 में सफ़ल फ़िल्म "हावडा ब्रिज" दे कर वापसी की. इस फ़िल्म में उन्होंने एक ऐंगलों इंडियन कैबरे डांसर का रोल किया. इसके बाद एक से एक हिट "फ़ागुन", "काला पानी", "चलती का नाम गाडी", "बरसात की रात" और 1960 में "मुगल-ए-आजम" के माध्यम से सूपर स्टार के रूप में छा गई. उनका नाम बहुत से साथी अभिनेताओं के साथ सुर्खियों में रहा जिसमें दिलीप कुमार जिनके साथ उन्होंने "ज्वार भाटा", "हार-सिंगार" और "तराना" फ़िल्में की.दिलीप कुमार के साथ यह संबंध बी आर चोपडा द्वारा किये गये एक कोर्ट केस से खत्म हो गया जो कि "नया दौर" फ़िल्म की शूटिंग की बजह से बजूद में आया. दिलीप कुमार ने बी आर चोपडा के पक्ष में गवाही दी जिससे मधुबाला और उनके पिता अताऊलाह खान यह केस हार गये.. इसके साथ ही दिलीप कुमार और मधुबाला के संबंधों का अन्त हो गया.
1960 में मधुबाला ने किशोर कुमार से विवाह कर लिया जिनके साथ उन्होंने कुछ फ़िल्में की थी पर ये शादी चल नहीं पायी और उनका वैवाहिक जीवन अंतिम समय तक तनावग्रस्त रहा. 1960 में उनकी फिल्म "मुगले-आजम" रिलीज हुई जो की ब्लॉक बस्टर साबित हुई और एक इतिहास कायम कर गयी । इस फिल्म में दर्शकों ने मधु बाला की वो खूबसूरती देखी वो अदाएँ देखीं जो सिनेमा में अब तक नहीं दिखी थीं । उसी वर्ष उनकी फ़िल्म "बरसात की रात" भी एक ब्लोक बस्टर साबित हुई. मुगले आजम के दौरान लम्बे समय तक शूटिंग से उनकी सेहत ज्यादा खराब हो गयी और वो वो आगे ज्यादा काम नहीं कर पायीं इस बीच उनकी दूसरी फ़िल्में "झूमरू", "हाफ़ टिकिट" "शराबी" भी रिलीज हुई.1960 में मधुबाला इलाज के लिये विदेश भी गई पर इलाज का ज्यादा फायदा नहीं हुआ .बीमारी ने उनके करियर को प्रभावित किया। उन्होंने निर्देशन में भी हाथ आज़माने की असफल कोशिश की । मात्र 36 वर्ष की आयु में फ़रवरी 1969 में उनका मुंबई में निधन हो गया. मधुबाला ने लगभग 75 फ़िल्मों में काम किया. खूबसूरती ,मासूमियत का अनोखा मेल थी मधु बाला ।
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