हमें नहीं पता कैसे बेची जाती हैं फिल्में : पंकज त्रिपाठी

By Shobhna Jain | Posted on 7th May 2017 | मनोरंजन
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मंबई , 7 मई । अपने जीवंत अभिनय से धीरे-धीरे हिंदी फिल्म उद्योग में पैर जमा चुके अभिनेता पंकज त्रिपाठी का कहना है कि हिंदी फिल्म उद्योग को फिल्में बेचना नहीं आता। पंकज को फिल्म 'निल बट्टे सन्नाटा' में गणित के प्रोफेसर के किरदार में देखा गया था। उनके इस किरदार की काफी प्रशंसा हुई थी। उनकी फिल्म 'न्यूटन' को अभिनेता राज कुमार राव के साथ बर्लिन फिल्म समारोह में एक पुरस्कार से सम्मानित की गई थी और हांगकांग फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था। अभिनेता फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सफलता मिलने से काफी खुश हैं लेकिन उन्हें इसके अकादमी पुरस्कार में जाने की कोई आशा नहीं है। न्यूटन के लिए ऑस्कर की संभावनाओं पर उन्होंने आईएएनएस से कहा, "मैं नहीं सोचता कि इसकी कोई संभावना है, क्योंकि यह अमेरिका में होता है। अमेरिका अपने उत्पादों को बेचना जानता है और यही यूरोपीय देशों में होता है। कांस, बर्लिन और किसी अमेरिकी फिल्म पुरस्कार को ले लीजिए और देखिए कि उन्होंने विश्व में अपना कैसा स्तर बनाया है।" उन्होंने कहा, "मैं नहीं सोचता कि हमारे यहां गोवा में आयोजित होने वाला भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के बारे में कभी अमेरिका और यूरोप में बातचीत की जाती होगी, जैसा कि अमेरिकी और यूरोपीय फिल्म समारोहों की होती है। क्योंकि हम अपने बाजार को चमकाना नहीं जानते हैं।" पंकज का मानना है कि ऑस्कर हासिल करने के लिए फिल्म निर्देशक की पकड़ अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, "यदि आप ऑस्कर जीतना चाहते हैं तो आपको मजबूत समर्थन की जरूरत होती है। यह मेरे व्यक्तिगत विचार हैं कि यदि कोई हॉलीवुड का स्टूडियो फिल्म की निर्माण प्रक्रिया में शामिल है। तब निश्चित रूप से इसके लिए मजबूत समर्थन शामिल होगा। अच्छा विषय वस्तु होने के अलावा निर्माता या स्टूडियो का फिल्म में शमिल होना बहुत मायने रखता है।" पंकज यह भी कहते हैं कि भारत में स्वतंत्र फिल्म निर्माता अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हमारे व्यावसायिक फिल्म निर्माताओं का मुख्य ध्यान जल्दी से जल्दी और दो से तीन बार रुपये कमाने पर होता है वहीं स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं को किसी भी शुक्रवार को 200 से 300 थियेटरों पर अपनी फिल्म रिलीज करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।" विश्व के व्यावसायिक सिनेमा को होने वाली कमाई की बजाय वह स्वतंत्र सिनेमा को मिलने वाली प्रतिक्रिया से खुश होते हैं। फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में अपने सुल्तान किरदार के लिए पहचाने जाने वाले त्रिपाठी ने कहा, "मैं खुश हूं कि भारतीय दर्शक दिन पर दिन सिनेमाहॉल की ओर आ रहे हैं। यह पीढ़ी फिल्मों का मनोरंजन और उनकी प्रशंसा कर रही है जैसे कि 'निल बट्टे सन्नाटा', 'न्यूटन' और 'आंखों देखी'। ये फिल्में देखी जा रही हैं और बाजार में अपना स्थान बना रही हैं और यह एक अच्छा संकेत है।" 'न्यूटन' राजकुमार राव और अंजली पटेल अभिनीत एक राजनीतिक कॉमेडी फिल्म है और छत्तीसगढ़ के हिंसा के क्षेत्र में एक क्लर्क की चुनाव में ड्यूटी लगने के आसपास घूमती है। त्रिपाठी 'बरेली की बर्फी', 'मुन्ना माइकल', 'फुकरे 2' और 'जूली 2' में दिखाई देंगे।--आईएएनएस

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