रायपुर, 26 जनवरी (वीएनआई) छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन को विलुप्त होने से बचाने के लिए संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ी व्यंजन सेन्टर खोलने जा रहा है, जिसे गढ़ कलेवा नाम दिया गया है जिसमें छत्तीसगढ़ के पारपंरिक व्यंजनों का आस्वादन किया जा सकता है। देश में यह पहला सरकारी प्रयास है, जहां नाश्ता के साथ छत्तीसगढ़ी संगीत की धुन भी सुनने को मिलेगी।
शुरुआती दौर में प्रदेश के प्रमुख पारंपरिक व्यंजन न्यूनतम दर पर ग्राहकों को उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं छग की संस्कृति में रचे-बसे ठेठरी, खुरमी, चीला, मुठिया, अंगाकर रोटी, बफौरी, चउसेला जैसे 36 तरह केपारंपरिक व्यंजनों को शामिल किया गया है। इसके अलावा मिठाइयों में बबरा, देहरउरी, मालपुआ, दूधफरा, अईरसा, ठेठरी, खुरमी, बिड़िया, पिड़िया, पपची, पूरन लाडू, करी लाडू, बूंदी लाडू, पर्रा लाडू, खाजा, कोचई पपची आदि परोसा जाएगा। कालांतर में आइटम बढ़ाने के साथ मध्याह्न् तथा रात्रि में भोजन की उपलब्धता के प्रयास भी किए जाएंगे
छत्तीसगढ़ी परिवेश उपलब्ध कराने के लिए परिसर में लकड़ियों की आकर्षक कलाकृतियां भी बनाई गई हैं और दीवारों की भित्तिचित्र के माध्यम से सजावट की गई है।
संस्कृति विभाग के संचालक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि 'गढ़ कलेवा' एक प्रयास है उस संकल्प का, जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य की समेकित सांस्कृतिक विरासत के विविध पक्षों का संरक्षण, संवर्धन और उन्नयन शामिल हैं।
उन्होंने कहा, "राज्य की परंपराओं में अज्ञात समय से विद्यमान और प्रवाहमान विविध आयाम, हमारी धरोहर के वे सुनहरे पन्ने हैं, जिन्होंने हमें गौरव के साथ, उल्लास, उत्साहमय जीवन जीने के लिए उत्प्रेरित किया है और हमारे लिए प्रकाशमान पथ का सृजन किया है।"
चतुर्वेदी ने कहा कि देश के कई राज्यों में पारंपरिक व्यंजनों के आस्वादन को प्रोत्साहित करने के लिए निजी व्यवसायियों द्वारा उद्यम के रूप में कार्य किया जा रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इसका अभाव सा रहा है। इसे ध्यान में रखकर संस्कृति संचालनालय द्वारा गढ़ कलेवा के माध्यम से पारपंरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का आस्वादन अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।
चतुर्वेदी ने कहा कि गढ़ कलेवा का एक अति महत्वपूर्ण पक्ष है इसका परिसर, जिसे ठेठ छत्तीसगढ़ी ग्रामीण परिवेश के रूप में तैयार किया गया है। इसकी साज-सज्जा और जनसुविधाएं सभी कुछ छत्तीसगढ़ ग्रामीण जीवन का आनंद उपलब्ध कराने की क्षमता रखते हैं।सेन्टर में खपरैल, घास फूस और बांस की छत बनाई जा रही है जिसके नीचे बैठकर छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का रसास्वादन लिया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को फूलकांस के बर्तन में परोसा जाएगा और पैकिंग के लिए दोना पत्तल का उपयोग किया जाएगा। इससे यहां के लोगों को छत्तीसगढ़ी व्यंजन आसानी से मिलेगा और संस्कृति विभाग में आने वाले मेहमानों को भी परोसा जाएगा।
आईएएनएस/वीएनएस के इनपुट के साथ