गौरेला छत्तीसगढ, 25 अप्रैल (वीएनआई) मैदानी जंगलों के लिये दुर्लभ सफेद भालू का शावक पुनः छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल के गांव में पाया गया.गरमी में प्यास से व्याकुल, शावक मां से बिछड़कर भटक गया था, सूचना पाकर वनविभाग का दल चिकित्सक के साथ स्थल पर पहुंचा। सफेद भालू मुख्यतः बर्फीय ध्रुवीय प्रदेशों का प्राणी है। जैव विविधता के लिये प्रसिद्ध मरवाही के जंगलों में यदाकदा सफेद भालु देखे जाते हैं।
मरवाही वनमंडल के मरवाही वन रेंज के महौरा बीट में सफेद भालू का शावक प्यास से व्याकुल हो अस्वस्थ अवस्था में अपने परिवार से बिछड़ कर भटक गया और अलग थलग हो गया, अनुमानित दो वर्ष की आयु के सफेद शावक को ग्रामीण ने उठाकर पानी पिलाया और इस की रक्षा की।
मरवाही के जंगलो में भालुओं की संख्या बहुतायत है इस क्षेत्र को भालु लैंड के नाम से भी जाना जाता है पहले भी इस इस वनक्षेत्र में सफेद भालू पाया और देखा जाता रहा है । वैसे, यहां मिलने वाले सफेद भालू प्रजाति के नहीं है,ये एल्बिनो हैं जो कि जीन्स में परिवर्तन के कारण सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं, मैदानी और पहाड़ी जंगलों के ये दुर्लभ प्राणी हैं.
मरवाही वन मंडल पेण्ड्रारोड वनमंडलाधिकारी रौनक गोयल ने इस संबंध में बताया कि अपने परिवार से शावक भालू बिछड़ गया है।गाँव वालों से इसकी जानकारी सुबह मिली है सूचना मिलते ही वन विभाग ने शावक भालू को अपनी देखरेख में लेकर उसका पशु चिकित्सक से स्वास्थ्य परीक्षण कराया। वनमंडलाधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक परीक्षण के बाद शावक सामान्य स्वस्थ है और अब उस के परिवार को ढूंढ कर उसे वहा भेजने की दिशा में काम किया ज रहा हैं उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में मादा भालू के साथ 2 नन्हे सफेद शावक पहले भी देखे जा चुके हैं। ऐसी संभावना है कि ये उसी काली मादा भालू का सफेद शावक है। इसलिए बच्चे को वन विभाग के दल से देखरेख कराई जा रही है। आसपास ही उसके परिवार के होने का अनुमान है ,बिछड़े परिवार की तलाश कर माँ के साथ वापस बच्चा सुरक्षित जा सके और प्राकृतिक विचरण कर सके। बिलासपुर से भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बुलाई जा रही है जो भालू का स्वास्थ्य संबंधित परीक्षण करे।
जैव विविधता से परिपूर्ण जीपीएम जिला के जंगल औषधीय विशेषताओं और वन्य प्राणियों प्रजातियों के लिये सुप्रसिद्ध हैं। शासन इन विशेषताओं और विविधता पर निरंतर शोध कर इसकी रक्षा के लिये आवश्यक प्रबंध करे। वर्षों से प्रस्ताव की बातें तो बहुत होती हैं मगर धरातल पर कार्यरूप में परिणत होते नहीं दिखती. वेद चंद जैन / वी एन आई
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