प्रसिद्ध रामजस कॉलेज में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन
नई दिल्ली, 23 फरवरी (वीएनआई)। दिल्ली के प्रसिद्ध रामजस कॉलेज में छात्रों के दो वर्गों के बीच हुई झड़प के बाद गुरुवार को दिल्ली पुलिस हेड क्वार्टर के बाहर बड़ी संख्या में छात्र एकत्रित हुए और प्रदर्शन किया।
विरोध-प्रदर्शन का आयोजन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने किया और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की, जिन पर उन्होंने बुधवार को छात्रों को पीटने का आरोप लगाया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुछ शिक्षक भी प्रदर्शन में शामिल हुए और बुधवार को आक्रामक हुए एबीवीपी के छात्रों के खिलाफ पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न करने की निंदा की।
प्रदर्शनकारियों ने एबीवीपी तथा दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारे लगाए।
दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट एसोसिएशन (डूटा) की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा, "हम विश्वविद्यालयों के मृतप्राय लोगों के समूह हैं और कोई भी विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व नहीं कर रहा है।"
उन्होंने कहा, "हम सबको तकलीफ है। मैं छात्रों व शिक्षकों के खिलाफ हिंसा तथा एबीवीपी के गैरकानूनी व्यवहार की निंदा करती हूं।"
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर स्थित रामजस कॉलेज में एबीवीपी कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा को रोकने में नाकाम होने को लेकर दिल्ली पुलिस की आलोचना की।
उन्होंने कहा कि उनके कॉलेज सेंट स्टीफेंस के कम से कम 50 छात्र घायल हुए हैं और आधी रात को हौजखास पुलिस थाने से तनाव की हालत में वापस लौटे। बुधवार को उन्हें हिरासत में लिया गया था।
उन्होंने कहा, "यह बेहद दुखद है, क्योंकि सेंट स्टीफेंस कॉलेज का राजनीति से दूर-दूर तक नाता नहीं है। पुलिस ने छात्रों की पिटाई भी की।"
वामदल समर्थित आइसा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एबीवीपी के बीच हिंसा के बाद पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा भड़काने तथा मारपीट करने का एक मामला दर्ज किया था, जिसके बाद गुरुवार को छात्रों का यह प्रदर्शन सामने आया है।
राष्ट्रद्रोह के आरोप में पिछले साल जेल की हवा खा चुके जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र उमर खालिद को रामजस कॉलेज में 'विरोध की संस्कृति' नामक साहित्यिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित करने को लेकर झड़प हुई।
मंगलवार तथा बुधवार को होने वाला दो दिवसीय कार्यक्रम एबीवीपी के विरोध के कारण रद्द करना पड़ा।