टोक्यो 1 सितंबर (शोभना जैन,वी एन आई)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जापानी शिक्षकों को भारत आने और भारतीयो को जापानी भाषा सिखाने का न्यौता दिया. अपनी चर्चित जापान यात्रा के तीसरे दिन आज श्री मोदी ने दोनो देशो के बीच बढ्ती रिश्तो की गर्माहट के बीच यह निमंत्रण दिया. भारत और जापान के बीच प्रगाढ संबंधो पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी शिक्षकों से मुलाकात की और उनसे भारत में लोगों को जापानी भाषा सिखाने क सुझाव दिया. जापान की पांच दिवसीय यात्रा पर शनिवार को पहुंचे मोदी ने आज ताईमेई प्राथमिक स्कूल में शिक्षकों से कहा \' हम अपने स्कूलों में जापानी भाषा सिखाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें इसके लिए शिक्षकों की आवश्यकता है। मैं आप सभी को भारत आने और वहां लोगों को जापानी भाषा सिखाने का न्यौता देता हूं। \'उन्होंने कहा कि भारत के स्कूलो में जापानी भाषा को एक वैकल्पिक भाषा के रूप में शुरू किया है लेकिन भारत में इसके अध्यापकों की कमी है। उन्होंने जापानी भाषा को ऑन लाइन सिखाने की शुरूआत करने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान में भारतीय भाषाएं भी शुरू की जा सकती हैं और ऐसे आदान-प्रदान से इस सदी में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। प्रधान्मंत्री ने कहा कि भारत के केन्द्रीय उच्चतर शिक्षा बोर्ड ने अपने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्र्म मे जापानी भाषा को एक विदेशी भाषा के रूप मे पढाना शुरू किया है, लेकिन भरत मे जापानी शिक्षको की कमी है.
मोदी ने यह भी कहा कि एशियाई देशों को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक तैयार होने की जरूरत है। करीब 136 साल पुराना ताईमेई प्राथमिक स्कूल साल 2011 में आए भूकंप के कारण नष्ट हो गया था, जिसका बाद में पुनर्निर्माण किया गया। मोदी ने इस अवसर पर गुजरात में 2001 में आए भूकंप के दौरान भुज शहर मे तबाह हुए स्कूल के नुकसान का भी जिक्र किया\' जिसका पुनर्निर्माण कर उसे दोबारा फिर खडा किया गया. मोदी ने बाद में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे से भी बातचीत की।
गौरतलब है ्कि जापान के टुफस विशवविद्यालय सहित अनेक विशवविद्यालयो मे हिन्दी पढाई जाती है. इसके अलावा अनेक निजी स्कूल तथा शिक्षक भी हिंदी के प्रति यहा के लोगो मे बढती रूचि को देखते हुए हिंदी पढा रहे है.टुफ्स विशवविद्दयालय वहा का ऐसा विशवविद्दयालय है जहा हिंदी एक प्रमुख विषय के रूप मे पढाई जाती है. हिंदी के अलावा छात्रो को भारतीय दर्शन, संस्कृति इतिहास तथा आज के भारत से भी उन्हे अवगत करया जाता है. इस विशव्विद्द्यालय सहित कुछ ऐसे संस्थान छात्रो को भारत दर्शन पर भी लाते है. यह जानना भी दिल्चस्प होगा कि भारत और जापान के बीच बढते व्यापारिक रिश्तो की वजह से रोजगार संभावनओ के मद्देनजर भारत मे भी जापानी सीखने वले छात्रो की संखया निरंतर बढ रही है लेकिन जानकारो के अनुसार उद्दयोग जगत की बढती जरूरतो के मद्देनजर मांग और आपूर्ति मे अब भी अंतर है. कानपुर स्थित भारतीय औद्दोगिक संस्थान आई आई टी ने वर्ष १९९५ से अपने यहा विदेशी भाषा पाढय्क्र्म के तहत जापानी भाषा पढाना शुरु किया है. इसी माह जा्पान के विदेश मंत्री हकुबुन शिमोमुरा की भारत यात्रा की दौरान भी दोनो देशो के बीच शैक्षणिक क्षेत्र मे सह्योग बढाये जाने के बारे मे समझोता हुआ था, लेकिन अनेक कारणो से अब भी जापान जा कर पढाई करने वाले भारतीय छात्रो की संख्या काफी कम है लेकिन उनका मानना है कि दोनो देशो के बीच बढती नजदीकियो का शैक्षाणिक आदान प्रदान पर भी अच्छा असर पडने की उम्मीद है.