वियना,17 जनवरी (वीएनआई, शोभना जैन ) विश्वसमुदाय ने गत वर्ष जुलाई में ईरान के अमरीका सहित दुनिया की छह बड़ी ताकतों के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते के ' सफल पालन' के बाद ईरान के खिलाफ पिछले कुछ दशको से लागू लगे आर्थिक प्रतिबंध कल से हटा लिए हैं और इसके साथ ही ईरान ने विश्व बिरादरी द्वारा उसके 'परमाणु कार्यक्रम' को ले कर उपजी चिन्ताओ की वजह से उसे ' दुनिया में अलग थलग ' किये जाने को खत्म करने की दिशा में एक बडा कदम बढा लिया है.
दुनिया की छह बड़ी ताकतों का प्रतिनिधित्व करते हुए यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख फेडेरिका मोघेरिनी ने कल यह घोषणा करते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरुप ‘‘ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुडे बहुपक्षीय और राष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय प्रतिबंध हटा लिए गए हैं.'इस घोषणा के फ़ौरन बाद अमरीका और ईरान ने अपने अपने कैद यहाँ एक दूसरे के कुछ बंदियों को भी रिहा करने का फैसला किया जिसे विश्व में तनाव करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है
विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिबंध हटाये जाने के कदम से भारत भी लाभाांन्वित होगा और ऊर्जा क्षेत्र में उसे ईरान से फिर से काफी सहयोग मिल सकेगा जिसका अच्छा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और भारत का ईरान से कच्चे तेल का आयात बढ़ेगा. ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले भारत बड़ी मात्रा में ईरान से तेल आयात करता था जिसमें धीरे-धीरे काफ़ी हद तक कमी आ गई थी. प्रतिबंध हटने के बाद अब फिर से भारत ईरान सहयोग बढ़ेगा इस फैसले का ख़ास तौर पर ईरान में चाबहार बंदरगाह के विस्तार में भारतीय निवेश , वहा भारतीय पेट्रोकेमिकल्स परियोजना स्थापित करने और प्रस्तावित भारत ईरान और पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना के कार्यान्वन को शीघ्र अमली जामा पहनाया जा सकेगा यानी इस कदम से भारत ईरान के बीच सहयोग काफी बढ़ सकता है.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ले कर दुनिया में व्याप्त चिंता के बाद उसकेखिलाफ यह प्रतिबंध लागूकिये गए थे लंबे प्रतिबंध को झेलते हुए हुए बाद में
ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम के शांतिपूर्ण होने के बारे में विश्वसमुदाय को आश्वासन और भरोसा दिलाये जाने के बाद गत वर्ष काफी जद्दोजहद और अनवरत लम्बी राजनयिक मंत्रणाओ के बाद १४ जुलाई को यह समझौता संभव हो पाया . कल अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी ने घोषणा की थी की ईरान ने निर्धारित अवधि में इस समझौते के सभी नियमो का पालन किया .एजेंसी ने कहा कि उसके ‘‘निरीक्षकों ने जमीनी स्तर पर यह प्रमाणित किया है कि ईरान ने समझौते के तहत सभी नियमो का पालन किया हैं.
गौरतलब है की 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति और उसके परमाणु कार्यक्रम के निरंतर संदेह के दायरे में आने जाने को ले कर अमरीकाने उस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लागू किये थे वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र ने इस बाबत ईरान के अड़ियल रूख के चलते उस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिए इन प्रतिबंधों से ईरान की अर्थ व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई
अब इस घोषणा से ईरान के खिलाफ तेल निर्यात पर लगे प्रतिबंध भी हटाना शामिल होंगे और साथ ही आठ करोड की आबादी वाले देश के लिए कारोबार के द्वार भी खोल दिए जाएंगे जिससे उसकी अर्थव्यवस्था भी बेहतर हो सकेगी . ईरान के राष्ट्रपति रुहानी ने इस साल को अपने देश के लिए ‘समृद्धि का साल' बताया है. मोघेरिनी ने भी वियना में ईरानी विदेश मंत्री मुहम्मद जवाद जरीफ के साथ एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘यह उपलब्धि निश्चित तौर पर दिखाती है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, धैर्य के साथ और बहुपक्षीय कूटनीति के जरिए हम बेहद मुश्किल मुद्दों को हल कर सकते हैं.'
इस घोषणा के बाद ईरान और अमेरिका के बीच संबंधों पर जमी बर्फ पिघलने के एक अन्य संकेत के तहत दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के बंदियों को रिहा करने की भी खबर आई.
ईरान द्वारा उठाए गए कदमों में उसके दो तिहाई यूरेनियम अपकेंद्रण यंत्रों की कटौती करना, यूरेनियम के अपने भंडार को कम करना और ईरान को हथियारों के स्तर के प्लूटोनियम उपलब्ध करा पाने में सक्षम अराक संयंत्र का मूल हिस्सा हटाना शामिल है. ईरान हमेशा परमाणु हथियार होने और परमाणु हथियार बनाने के आरोपों को खारिज करता रहा है और कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम बिजली उत्पादन जैसे शांतिपूर्ण कार्यों के लिए हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘अब अमेरिका, हमारे मित्र और पश्चिमी एशिया में हमारे सहयोगी और पूरी दुनिया सुरक्षित है क्योंकि परमाणु हथियारों का खतरा कम हो गया है.' संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा कि यह ‘‘एक अहम उपलब्धि है, जो प्रतिबद्धताओं का पालन करने के लिए सभी पक्षों द्वारा अच्छे इरादे के साथ किए गए प्रयास को दर्शाती है.' ब्रिटिश विदेश सचिव फिलिप हेमंड ने कहा, ‘‘वर्षों की धैर्यपूर्ण और सतत कूटनीति का फल मिला है.' जर्मन विदेश मंत्री फ्रैंक-वॉल्टर स्टीनमियर ने परमाणु समझौते के क्रियान्वयन को ‘‘कूटनीति की एक ऐतिहासिक सफलता' करार दिया है. नरमपंथी रुहानी के जून 2013 में राष्ट्रपति बनने के बाद दो साल तक वार्ताएं चलीं और तब जाकर जुलाई में वियना समझौता हुआ और इसे एक शानदार कूटनीतिक उपलब्धि कहकर सराहा गया.
इस बेहद जटिल समझौते ने विफल राजनयिक पहलों, अभूतपूर्व कडे प्रतिबंधों, ईरान द्वारा अवज्ञापूर्ण ढंग से परमाणु प्रसार और सैन्य कार्रवाई की धमकियों के चलते वर्ष 2002 से आए गतिरोध को रेखांकित किया है.वी एन आई