धूप में समंदर कभी सूखा नही करते

By Shobhna Jain | Posted on 28th Oct 2023 | VNI स्पेशल
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हस्तिनापुर (मेरठ), 28 अक्टूबर ( शोभना/अनुपमा जैन/वीएनआई) अक्टूबर की गुनगुनी ठंड  के बावजूद चटख धूप में नहाता हुआ हस्तिनापुर का दिव्य जम्बूद्वीप मंदिर परिसर,लेकिन इस चटख धूप का सूरज फिलहाल इस मंदिर परिसर के विशालकाय कक्ष में उतर आया हैं  और उस के प्रकाश से पूरा माहौल आभामय हो गया हैं. यह माहौल हैं वात्सल्य मुनि एवं दार्शनिक जैन संत मुनिश्री क्षमा सागर  जी की प्रेरणा से  जैन दर्शन के सिद्धांतों के आधार पर शुरू की गयी संस्था "मैत्री समूह" के  जैन समुदाय के अत्यंत मेधावी छात्रों को सम्मानित करने का है. यहा हम  सम्मानित अन्य मेधावी छात्रों के साथ चर्चा कर रहे हैं.जैन धर्म के तीर्थंकर  भगवान, शांतिनाथ जी, अरहनाथ और कुंथुनाथ जी के विशाल प्रतिमाओं की छत्रछाया मे हो रहे  इस कक्ष में   जैसे पूरा सौर मंडल उतर आया हैं. और यहा खास तौर पर बात सौरमंडल के अन्य सूर्यों की तरह  अपने अपने प्रकाश से एक अनोखी प्रेरणा की आभा बिखेरता एक दिव्य सूर्य की.बात  हैं राजस्थान के दौसा जिलें के लालसोट कस्बें के एक साधारण परिवार के  पंकज जैन की जो  विकलांग हैं, लेकिन शारीरिक विकलांगता उनके सपनों के आड़ें नहीं आ पायी. उन के शरीर का निचला हिस्सा जन्म से ही  विकसित नहीं है. लेकिन वे असीमित प्रतिभा की धनी हैं. इसी विकलांगता के चलते उन्होंने घर पर ही रह कर पढाई की. फिलहाल वे  बारहवीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लेकर सीए पाठ्यक्रम पूरा कर रहे हैं. पंकज बैठ तक भी नहीं आ पाते है, उन के पिता या कोई शुभचिंतक उन्हें गोद में उठा कर चलता हैं, लेकिन उन के हौंसलें  इस्पात जैसे है और  तमाम चुनौतियों को झेलते हुए समाज में  अपना मुकाम बनाने का  जज्बा अप्रतिम. पंकज की जीवन यात्रा बेहद कठिन है लेकिन  उन की आवाज में जो विश्वास भरा हैं, जीवन दर्शन के प्रति जो सकारात्मकता हैं वह सभी के लिये संदेश हैं.

   गणिनी प्रमुख विदुषी आर्यिका ज्ञान मति माता जी की प्रेरणा और आर्यिका चंदना माताजी और रवीन्द्र कीर्ति जी महाराज के मार्ग दर्शन में   30 एकड़ क्षेत्र मे प्रकृति  की अनुपम छटा और दिव्य शांति से भरे इस मंदिर समूह परिसर में इसी सप्ताह सम्पन्न हुये इस वर्ष के यंग जैना एवार्ड्स  ्समारोह में इन मेधावी छात्रों को सम्मानित  होते  देखना  ही प्रेरणा से भर गया. पंकज को इसी समारोह में सम्मानित किया गया. जानी मानी वरिष्ठ पत्रकार और महिला पत्रकारों की दक्षिण एशिया की एकमात्र एसोसिएशन 'आईडब्ल्युपीसी'- IWPC की अध्यक्ष  तथा समारोह की मुख्य अतिथि शोभना जैन ने छात्रों को सम्मानित करते हुए कहा कि ये छात्र समाज के लिए प्रेरणा हैं, लेकिन जो छात्र पीछे छूट गये हैं वे हतोत्साहित ना  हो. कही और भी बेहद सुंदर अवसर उन का इंतजार  कर रहे हो बस वे एकाग्रता से अपनी मंजिल की और बढते रहें. " दरअसल ये समारोह सिर्फ इन छात्रों की शैक्षिक उपलब्धियों का जश्न ही नहीं इन के संस्कार, अनुशासन, और लक्ष्य प्राप्ति के लिये पूर्ण समर्पण का  जश्न हैं, जो सभी के लिये प्रेरक हैं  समारोह की अन्य मुख्य अतिथि   विदुषी लेखिका प्रभा किरण ने भी   इस अवसर पर मुनि क्षमासागर की कुछ क्षणिकाओं को उद्धत करते हुए छात्रों को निरंतर मेहनत कर आगे बढ़ने पर बल दिया कहा उन से समाज गौरवान्वित हैं.  

दसवीं कक्षा में 100 प्रतिशत और बारहवीं मे 90 प्रतिशत से अधिक नंबर पाने वाले पंकज के सपने उंचे है, निरंतर उड़ते  जा रहे हैं. सीए के बाद प्रशासनिक सेवाओं मे जाना  उन का एक सपना है.पंकज के आदर्श हैं  मशहूर वैज्ञानिक, शोधकर्ता तथा लेखक स्टीफन हॉकिंस जो उम्र भर सिर से ले कर एड़ी तक पक्षाघात से पीड़ित रहे और मात्र वॉयस सिन्थे साईजर के  छोटें से यंत्र की बल पर संवाद करते रहे. शरीर के सभी अंगों के निष्क्रिय होने  की वजह स्टीफन की  गाल  पर लगी एक छोटी सी मांसपेशी से उस यंत्र को चलाते थे लेकिन उन्होंने कभी हौसला कभी नहीं हारा .

 शारीरिक विकलांगता को ले कर  पंकज को जीवन से कोई मलाल नहीं हैं .खूब पढते है, पढाई से कुछ पल निकाल कर दोस्तों से हंसी मजाक भी करते हैं, लेकिन कुल मिला कर दोस्तो के साथ चर्चा का   विषय पढाई  ही होती हैं. मंदिर नियमित रूप से जाते हैं. क्षमा सागर मुनि जी के गुरू आचार्य  एवं तपस्वी  दार्शनिक संतश्री विद्द्यासागर महाराज जे के दर्शन की अभिलाषा है.क्षमा सागर सागर  मुनि जी का यह  संदेश  उन्हें निरंतर बल देता हैं कि अपने लक्ष्य से  कभी भी भटको नहीं., इच्छा हैं बड़े महाराज, आचार्य भगवन के दर्शन की. समाज   स्कूल सभी ने  हमेशा ही  उन का  सम्मान किया हौसला बढ़ाया. क्या कभी जीवन में कुछ कमजोर क्षण भी आये,मुस्कुराते हुए पंकज बताते हैं" कोरोना काल मे जब दुनिया बंद हो गई थी तब उन्हें लगा था कि   अब उन की पढाई रूक जायेगी, और साथ ही उन का जीवन यही रूक जायेगा, लेकिन उस वक्त उन की दीदी प्रेरणा ने उन्हें पढ़ाई  करवाने मे अहम भूमिका निभाई, मॉ पिता  का तो निरंतर संबल हैं ही और समाज जिस तरह से   उन्हें सम्मान देता है तो उन का हौसला  और मजबूत होता है.

 ं मुनि श्री क्षमा सागर समारोह   की प्रेरक अनुभूति मे  हुए इस समारोह मे  इस बार लगभग 200 मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया इस के अलावा अपने अपने क्षेत्रों मे सेवा भाव से काम कर आदर्श स्थापित करने वाले युवाओं को भी  समारोह में पुरस्कृत किया गया. मैत्री समूह सही मायनें मे एक ऐसा समूह हैं  जो जैन दर्शन , नैतिक मूल्यों, परस्पर सद्भाव, सहयोग की भावना पर  आधारित है जहा मैत्री भावना के पुल से  इस के सभी सदस्य जुड़े है, 2001 मे गठित इस समूह की कई परिवारों की तो  अब चौथी पीढी  तक  समूह से जुड़ ्चुकी हैं, ये वो स्थान हैं अपने  जहा बिना किसी भेद भाव से समता भाव से जुड़े हैं, शायद जयपुर के एक जौहरी भाई जोइस समूह की स्थापना से ही इस से जुड़े हैं, उन की इस टिप्पणी से इस समूह की भावना समझी जा सकती हैम" ये वो समूह है जो मंच, कुरसियों की राज नीति से कही उपर हैं.सभी शांत और सौंपी गई अपनी जिम्मेवारी  चुपचाप निभाते हैं. इस टीम वर्क को देखना सुखद अनुभव हैं, हर कम बेहद अनुशासित  ढंग से  होता हैं,चाहें वो संस्थापक वरिष्ठ सदस्य योगेन्द्र जैन जी , निशा दीदी हो या  अतुल जैन,या फिर नयी पीढ़ी के सुजस,,रेशु, सुबोध, मीनल, अमित, आस्था, सुरभि  ्प्रतीति हो, लेकिन ठहरिये, ये सिर्फ प्रतीकात्मक कुछ नाम हैं, ये सूची बहुत लंबी हैं. समूह से जुड़े सभी कार्यकर्ता  सेवा भाव के साथ देश विदेश रह कर  इस समूह से जुड़े हैं. कोई दीमापुर ,नागालैंड से आया हैं तो कोई सु दूर तेलंगाना से तो कोई मुंबई  या गुजरात से.  युवा पीढ़ी के आकाश, सुरभी जो इस सम्मेलन के लिए  खास तौर पर कनाडा और अमेरिका जैसे देशों से आये है इस के अब तक समूह स्थापना के 28 वर्ष में 21000 कुशाग्र  छात्रों को सम्मानित कर चुके हैं, और इस दायरे में  उन छात्रों पर भी पूरा ध्यान है जो कुछ पीछे छूट गये है.

पंकज के सपने उंचे है, निरंतर उड़ते रहे हैं. सी ए के बाद प्रशासनिक सेवाओं मे जाना भी उन का एक सपना हैं.  जिंदगी ऐसी जीना चाहते हैं जि खुद को खुशी दे, माता पिता और बहिन को खुशियाँ दे, उन की जिम्मेदारी निभायें साथ ही अपने जैसों के लिये भी काम करें.  वे कहते हैं"दुनिया में ऐसा मुकाम बना लूं कि दुनिया मेरे नाम से  माता पिता को पहचानें. शायद पंकज जैसे युवाओं की जीवन यात्रा, उन के बुलंद हौसलों   पर ही किसी शायर ने लिखा हैं...

'मैं ये सोच उम्र भर तपिश में चलता रहा,  कि धूप में समंदर कभी सूखा नही करते'  . वी एन आई
 
 

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