2015 -दुनिया के प्रत्येक 113 लोगो मे एक को मजबूरन अपनी मिट्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा

By Shobhna Jain | Posted on 20th Jun 2016 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली,20 जून( शोभनाजैन/वीएनआई) संघर्षरत सीरिया से भाग कर सुरक्षित ठिकाना ढूंढने की तलाश मे समुद्र मे बह जाने वाले गुडडे जैसे दो वर्षीय आयलान कुर्दी की मृत देह ने कुछ समय पूर्व पूरी दुनिया को झिझोड़ कर रख दिया था.शरण के लिये दर दर भटकते इस बाल शरणार्थी की इस तस्वीर ने पूरी दुनिया का ध्यान एक बार फिर सीरिया के शरणार्थियो की भयावह समस्या की और खींचा. दुनिया भर मे दिनो दिन चिंताजनक रूप धारण करती शरणार्थियो की विकट समस्या से जुड़े कुछ चौंका देने वाले या यूं कहे आईना दिखाते ऑकड़े-गत वर्ष 2015 मे दुनिया के प्रत्येक 113 लोगो मे से एक को मजबूरन संघर्ष या उत्पीड़न की वजह से अपनी मिट्टी छोड़ने पर मजबूरन होना पड़ा यानि शरणार्थी बनना पड़ा. इस वर्ष 6 करोड़ 53 लाख लोगो को अपना घर छोड़ना पड़ा.यह वे लोग है, जिन्हे अपने देश के अंदरूनी हालात की वजह से दूसरे देशो मे शरण् लेने के लिये मजबूर होना , शरणार्थी बनना पड़ा या हालात की वजह से अपने ही देश मे अपनी मिट्टी, घर छोड़ कर देश के दूसरे हिस्से मे जाना पड़ा. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी युनाईटेड नेशंस रे्फ्युजीस एजेंसी ने आज विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर यह चौंका देने वाले ऑकड़े जारी किये गये.रिपोर्ट के अनुसार ऑकड़ो के अनुसार गत वर्ष दुनिया की 7.349 अरब जनसंख्या मे प्रत्येक 113 व्यक्तियो मे से एक इस श्रेणी मे रहा यह और भी चिंताजनक है कि यह ऑकड़ा पिछले वर्ष के 5 करोड़.95 लाख की ऑकड़े से कही ज्यादा है. रिपोर्ट के अनुसार हालत यह है कि इस अवधि मे हर एक मिनट मे 24 व्यक्ति को अपनी जगह छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा .पूरे ऑकड़ो मे सबसे चिंताजनक बात यह है कि दुनिया के इन शराणार्थियो मे आधे से ज्यादा बच्चे है यानि इनकी संख्या 51 प्रतिशत है.इनमे से काफी बच्चे अपने मॉ बाप , अभिभावकों से ,देश से भागते हुए बिछड़ गये या ये वो बच्चे है जो अकेले ही शरणार्थी बन दूसरे देशो मे पहुंचे, ऐसे कुल 98,400 शरणागत बच्चो के आवेदन विभिन्न देशो मे विचाराधीन है,यह संख्या अभी तक की सबसे बड़ी संख्या है. एक और चिंताजनक बात यह है कि जहा अपना वतन, अपनी मिट्टी छोड़ने वालो की संख्या तेजी से बढी , वही विभिन्न हालात की वजह से वापस घर लौटने वालो की संख्या बेहद मामूली यानि मात्र 20,1400 ही रही.रिपोर्ट के अनुसार सीरिया मे 49 लाख,अफगानिस्तान से 27 लाख और सोमालिया से 11 लाख शरणार्थी इस एजेंसी के पास दर्ज किये गये,इन तीन देशो की यह संख्या एजेंसी मे दर्ज कुल शरणार्थियो का आधा से ज्यादा है. इसी बीच गत वर्ष सीरिया मे 66 लाख और इराक मे 44 लाख लोग ऐसे रहे जिनको अपने देश मे विस्थापन झेलना पड़ा. यमन की हालत तो सबसे खराब रही वहा ऐसी आबादी नौ प्रतिशत है.योरोप लगभग 10 लाख् शरणार्थियो ,अप्रवासियो को अपने यहा रखने के प्रयासो मे जुटा है लेकिन इससे कही ज्यादा शरणार्थी दूसरी जगहो पर है. तुर्की मे सबसे ज्यादा यानि 25 लाख शरणार्थियो को शरण दी, जबकि विकसित देशो मे 20 लाख लोग शरणागत थे जिसमे जर्मनी मे सबसे ज्यादा शरणार्थी आवेदन यानि 4,41,900आवेदन मिले उसके बाद अमरीका का स्थान है. गौरतलब है कि सीरिया में जारी गृह युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर लोगों को वि्स्थापित होना पड़ रहा है। पिछले पांच सालों से जारी गृह युद्ध का अभी भी कोई अंत निकलता नहीं दिख रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन का अनुमान है कि साल 2015 में 10 लाख 11 हजार 700 से अधिक लोग समुद्र के रास्ते सीरिया छोड़कर यूरोप पहुंच चुके हैं। इतनी बड़ी संख्‍या में प्रवासियों के आने से यूरोपियन यूनियन में इस बात को लेकर विवाद है कि उन्‍हें कहां बसाया जाए। मगर, रास्ते में नाव डूब जाने के कारण साल 2015 में ही 3,770 लोगों की मौत भी हो चुकी है शरणार्थियो के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त फिलिपिनो ग्रान्दी के अनुसार इन हालात मे जबकि कितने ही शरणार्थी दम तोड़ रहे है,संघर्ष क्षेत्रो से लोग भाग् रहे है और उन्हे बंद दरवाजे मिलते है, कुछ देशो मे राजनीति हावी हो रही है जरूरत सभी देशो की इस समस्या से मिल कर निबटने की है.वीएनआई

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