नई दिल्ली, 23 जून, (शोभना जैन/वीएनआई) अगले सप्ताह जापान के ओसाका शहर में होने वाले जी 20 देशों के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली अहम द्विपक्षीय मुलाकात से पहले अमरीकी विदेश मंत्री माईक पोम्पियो का गत सप्ताह "मोदी हैं तो मुमकिन हैं" वाली टिप्पणी "भावी द्विपक्षीय संबंधों" के स्वरूप को लेकर खा्सी चर्चा का वि्षय बनी हुई हैं.यह टिप्पणी ऐसे वक्त की गई जबकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक, शुल्क मुद्दो को ले कर तनाव चल रहा हैं , साथ ही ऐसे अनेक फौरी मसले हैं जिन्हें ले कर दोनो देशों के बीच संबंध 'असहजता" के दौर से गुजर रहे हैं. दोनों शीर्ष नेताओं के बीच इस मुलाकात से ठीक पहले पोम्पियो अगले सप्ताह 25-27जून तक भारत यात्रा पर आ रहे हैं,जिस में द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा करने के साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर अमरीकी विदेश मंत्री के साथ दोनों शीर्ष नेताओं के बीच होने वाली वार्ता के एजेंडे को अंतिम रूप देंगे. ऐसे मे पोम्पियो के इस तरह के बयान से विचाराधीन "उलझे मुद्दों" को सुलझाने में सकारात्मक दृ्ष्टिकोण अपनाये जाने की उम्मीद हैं , जिस के आधार पर ओसाका में होने वाली मोदी ट्रंप वार्ता में इन मुद्दों पर गतिरोध को दूर करने के दिशा में करने की दिशा में शुरूआत हो सकती हैं. दरअसल "असहजता" वाले इन मुद्दों के बावजूद भारत ने इन तमाम मुद्दों पर ्सकारात्मक रवैया अपनाते हुए कहा हैं "कुछ मुद्दें तो बने रहते हैं,कुल मिला कर आपसी रिश्तों की दिशा बेहद सकारात्मक हैं.दोनों देशों के बीच व्यापार 150 अरब डॉलर तक पहुंच गया हैं". दोनों देशों के बीच फौरी "असहजता" वाले मुद्दों में अमरीका द्वारा भारत पर ई कॉमर्स क्षेत्र को खोल देने के लिये दबाव बनाने के लिये एच-१बी वीजा को हथियार बतौर इस्तेमाल किये जाने की धमकी चिंताजनक हैं.्विशेष तौर पर भारतीय प्रौद्द्योगिकी प्रोफेशनल्स के लिये अमरीका द्वारा वीजा को 15 प्रतिशत सीमित किये जाने से भारतीय सूचना प्रौद्द्योगिकी क्षेत्र पर काफी बुरा असर पड़ेगा. भारत ने हालांकि आधिकारिक तौर पर फिलहाल तो यही कहा हैं कि आंकड़ों को स्थानीय स्तर पर रखे जाने को अनिवार्य बनाने वाले देशों के मामले में एच-1बी वीजा की संख्या सीमित करने की अमेरिका की योजना के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं मिली है.गौरतलब हैं कि भारत सरकार ने पिछले साल भुगतान सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के लिए देश के नागरिकों से जुड़ी तमाम जानकारी और आंकड़ों को भारत में ही रखने को कहा है. इन जानकारियों को विदेश में नहीं देखा जा सकेगा. कुछ अमेरिकी कंपनियों ने भारत सरकार के इस कदम का विरोध किया है क्योंकि इसके लिए उन्हें अतिरिक्त निवेश करना होगा रिपोर्टो के अनुसार भारत सरकार के इस प्रावधान से नाराज होकर अमेरिका एच-1बी वीजा की संख्या को सीमित करने पर विचार कर रहा है.यह वीजा अमेरिका में काम करने के लिये जाने वाले ्सभी देशों के आई टी पेशेवरों को दिया जाता है.
एक तरफ जबकि अमरीका और चीन व्यापारिक युद्ध को ले कर पूरी दुनिया में संकट के बादल हैं .्वही भारत और अमरीका के बीच भी इन" व्यापारिक मतभेदों" को ले कर द्विपक्षीय संबंधों में "असहजता" सी आ गई हैं. हालांकि ईरान से तेल नही खरीदने के अमरीकी अल्टीमेटम जैसे कुछ मुद्दों को अगर अलग रखे तो रिश्तों का एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि दोनों देशों के बीच पिछले काफी समय से बढती सामरिक साझीदारी सहित अन्य क्षेत्रों में बढते सहयोग में संभावानओं के नये अवसर भी बन रहे हैं. ऐसे में मोदी सरकार के कार्यकाल की दूसरी पारी में मोदी ट्रंप के बीच पहली मुलाकात से ठीक पहले पोम्पियो का यह बयान दोनों देशों के भावी संबंधो को लेकर ट्रंप प्रशासन की मंशा के रूप में देखा जा सकता हैं.पोम्पियो ने पिछले सप्ताह भारत संबंधी एक महत्वपूर्ण नीतिगत उद्बोधन मे ्हाल के आम चुनाव में भाजपा के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल की गई पंक्ति"मोदी हैं तो मुमकिन हैं को दोहराते हुए कहा था कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से प्रगाढ संबंध रहे हैं , दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र के बीच आगे बढने के लिये " अविश्वसनीय अनूठा अवसर हैं.पोम्पियो ने उम्मीद जताई थी कि इस दौरान दोनों देशों के बीच बड़े मुद्दों और विचारों पर चर्चा होगी.जिससे द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम मिलेगा.जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हीदोनो नेता जापान के प्रधान मंत्री शिंजो आबे के साथ तीनों देशों के बीच भारत प्रशांत क्षेत्र पर होने वाली त्रिपक्षीय बैठक में भी हिस्सा लेंगे. समझा जाता हैं कि यह बैठक इस लिये भी अहम हैं क्योंकि अमरीका और जापान दोनों की ही भारत के पक्ष से अलग हट कर इस बारे में एक मत हैं कि ई कॉमर्स क्षेत्र को खोल दिया जायें.
इन असहज मुद्दों के बावजूद पोम्पियो का यह बयान अहम हैं कि अमरीका व्यापारिक मतभेद समाप्त करने के लिये बातचीत के लिये तैयार हैं और उम्मीद हैं कि भारत भी अपने व्यापारिक अड़चने खत्म करेगा और प्रतिस्पर्धा मे भरोसा रखेगाT.इस सब के चलते संभावना हैं कि मोदी कार्यकाल की दूसरी पारी में पहली मोदी ट्रंप शिखर वार्ता से गतिरोध टूटने और इस को सुलझाने के लिये अधिकारी स्तर की वार्ता शुरू हो सकती हैं. वैसे जी20 शिखर सम्मेलन इस लिये भी अहम है कि अमरीका चीन व्यापार युद्ध की लपेट ंमे आने से दुनिया भर में चिंता के बादल हैं. चीन दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में प्रभुत्व के नाम पर अपना दबदबा दिखाने की कोशिश करता है. इस प्रमुख नौवहन व्यापारिक मार्ग पर नियंत्रण को लेकर अमेरिका. और चीन के बीच तकरार चल रही है.
समझा जाता हैं कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच रक्षा, उर्जा, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों मे सहयोग बढाने के अलावा ईरान तथा अफगानिस्तान, भारत प्रशांत क्षेत्र साझीदारी तथा आतंकवाद से निबटने में आपसी सहयोग जैसे मसले चर्चा के अहम केन्द्र रहेंगे .पिछले कुछ वर्षों से से दोनों देशों के संबंधों में आपसी समझ बूझ और सहयोग विशेष तौर पर सामरिक साझीदारी काफी बढी हैं.भारत इसी कड़ी में अमरीका से अपाछे हेलीकॉप्टर खरीदने का ऑर्डर दे चुका है.्जब कि प्रस्तावित २४ एम एच ६० सी हॉक नौ सेना के हेलीकॉप्टर एफ 21 तथा एफ/18 अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों से उस की रक्षा प्रणाली और मजबूत होगी. वैसे एक और सकारात्मक घटना क्रम में दो दिन पूर्व ही अमरीका के दो सॉसदों ने भारत को सैन्य सामग्री बेचे जाने के मामलें में अमरीका के नाटों गठबंधन सहयोगियों के सम कक्ष लाने का एक प्रस्ताव अमरीकी संसद मे रखा हैं.
व्यापारिक तनाव की अगर बात करे तो अमेरिका ने भारत को मिले जीएस पीदर्जे को खत्म कर दिया है.जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस अमेरिकी ट्रेड प्रोग्राम है जिसके तहत अमेरिका विकासशील देशों में आर्थिक तरक्की के लिए अपने यहां बिना टैक्स सामानों का आयात करता है। इसके तहत भारत को 5.6 अरब डॉलर यानि करीब 40,000 करोड़ रुपए के सामान का निर्यात करता है . भारत ने भी जवाबी कार्रवाई के तहत अमेरिका से मंगाई जाने वाले दाल-दलहन, लौह एवं इस्पात उत्पादों समेत 29 उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है। इसमें मटर, बंगाल चना और मसूर दाल, बादाम, अखरोट, सेब, लोहा और इस्पात शामिल हैं। इन उत्पादों पर आयात शुल्क में 25 से 90 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है. समाप्त
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