हुनरमंद कारीगरों को आगें बढनें क़े लियें मिली कद्रदानों की "संगत"

By Shobhna Jain | Posted on 19th Nov 2021 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 19 नवंबर (सुनील/वीएनआई) जानी-मानी स्वयंसेवी संस्था ‘संगत फ़ाउंडेशन’ अब  हस्त कला कलाकारों को उन के नायाब उत्पादों को  एक प्ळेट्फोर्म देने,सहयोग का हाथ आगें बढानें के लियें मैदान में उतरी हैं. संगत की नयी‘नवधा’ परियोजना के जरियें  इन का मकसद हैं कि इन के बनायें  गयें उत्पादों को कला  पारखियों के सम्मुख लाना जिस से ना केवल वे आर्थिक रूप से आत्म निर्भर हो सकें बल्कि ऐसी छुपी प्रतिभाओं को मंच मिल सकें और ज्यादा से ज्यादा कलाकार ऐसे मंचों के जरियें कद्र दानों के सामने लायें जा सकें.
 
" संगत" ने पिछलें दिनों  महिला पत्रकारों की राष्ट्रीय संस्था ‘इंडियन विमन प्रेस कोर्प्स’  द्वारा आयोजित दिवाली मेलें में  अपने नए प्रोजेक्ट ‘नवधा’ की शुरुआत की, जिसके तहत वहा प्रदर्शित उत्पादों को खासा सराहा गया. संस्था ने यह प्रोजेक्ट 'नवधा' इसी मेलें से शुरू किया है जिसके अंतर्गत देश भर की अलग - अलग विधाओं के हस्त शिल्प कलाकारों को एक सशक्त मंच प्रदान किया जाएगा ताकि उनकी हस्त कला पारखियों के सामने आ सके.संस्था से जुड़ी एक कार्यकर्ता के अनुसार  संगत फ़ाउंडेशन ने इसी प्रेरक उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रही है। समाज के सहयोग और धन के अभाव के कारण आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने सपनों को हासिल नहीं कर पाते, 'संगत्' की कोशिश है ऐसे लोगों को उनकी अपनी ज़मीन और उनका अपना आसमान देने की। उन्हें हौसला देने की ताकि वे सही फैसले ले सकें और अपना और अपनी आनेवाली पीढ़ी का भविष्य सँवार सकें और ऐसे लोगों के लिए संगत्त आरम्भ से ही काम कर रही है।
 
इस संस्था से जुड़ी जानी- मानी कवयित्री और शिक्षाविद श्रीमती रेणु शाहनवाज़ ने नवधा परियोजना का उदघाटन करतें हुए कहा  ‘हमारे देश में कला का अद्भुत संगम है लेकिन नयी पीढ़ी इस कला से तादात्म्य नहीं बना पाती जिस कारण कारीगरों को उचित देय नहीं मिल पता।’ संगत फ़ाउंडेशन ने समय की इसी आवश्यकता को पहचानकर प्रोजेक्ट ‘नवधा’ आरम्भ किया है जो पुरातन से आधुनिकता का समावेश करके परम्परागत कला को उचित मंच तक पहुँचाएगा और साथ ही गाँव में बैठे हुनरमंद कारीगरों के उत्पादों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि देश ही नहीं विदेशों तक उनके प्रॉडक्ट्स बिक सकें। उन्होंने कहा कि 'संगत्' की कोशिश है ऐसे लोगों को उनकी अपनी ज़मीन और उनका अपना आसमान देने की. उन्हें हौसला देने की ताकि वे सही फैसले ले सकें और अपना और अपनी आनेवाली पीढ़ी का भविष्य सँवार सकें और ऐसे लोगों के लिए संगत्त आरम्भ से ही काम कर रही है.
 
न्यास की सक्रिय सदस्य विमी करण सूद के अनुसार‘संगत फ़ाउंडेशन’ का ध्येय बहुत बड़ा है क्यूँकि समाज में परिवर्तन लाना विशेषकर आर्थिक परिवर्तन लाना एक मुश्किल काम है पर यदि निजी व सरकारी तंत्र सकारात्मक रवैया रखे तो मंज़िल दूर नहीं। 'संगत् फ़ाउंडेशन' की प्रवक्ता के अनुसार    इस की स्थापना सन 2011 में हुई थी और इसको बनाने का एकमात्र उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को शिक्षा, पूर्ण रोज़गार, आत्मनिर्भरता और आर्थिक सशक्तिकरण उपलब्ध कराना है। महिलाओं, युवाओं व बच्चों के लिए कौशल विकास, शिक्षा और स्वावलंबन की दिशा में काम करने के बाद अब ‘संगत्त फ़ाउंडेशन’ ने हाल ही में प्रोजेक्ट 'नवधा' शुरू किया है जिसके अंतर्गत देश भर की अलग - अलग विधाओं को एक सशक्त मंच प्रदान किया जाएगा ताकि उनकी हस्त कला पारखियों के सामने आ सके।
 
संगत्त फ़ाउंडेशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनस्वी सूद ने  कहा ‘हमारा उद्देश्य हालांकि प्रत्येक राज्य की कला को बढ़ाने का है पर शुरुआत लखनऊ की चिकनकारी और मधुबनी की मिथिला पेंटिंग्स से कर रहे हैं। सुश्री सूद के अनुसार'नवधा' प्रोजेक्ट का उद्देश्य है कि कलाकारों को उनके गाँव में ही जाकर रोज़गार उपलब्ध कराया जाए और उनके लिए ऑनलाइन मार्केट बनायी जाए ताकि उन्हें उनके काम का उचित दाम मिल सके। इस सिलसिले में बिहार के मधुबनी जिले के एक गाँव को गोद लिया जा रहा है। फिर इन कारीगरों को आधुनिक डिज़ाइंज़ और नए प्लेटफ़ॉर्म्ज़ दिए जाएँगे ताकि ये भी एनआइडी या निफ़्ट जैसे स्कूल्ज़ के युवाओं की बराबरी कर सकें।’ मेलें में मौजूद एक मधुबनी कलाकार के अनुसार  "मधुबनी कला का आरम्भ काग़ज़ पर ऊँची जाति की महिलाओं द्वारा चित्र बनाने से हुआ था जिसे आज जाति के बंधनों से मुक्त करके सबके लिए उपलब्ध कर दिया गया है।

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