नई दिल्ली, 11 जून (शोभनाजैन/वीएनआई) आस्ट्रेलिया ने भारत प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक व्यवस्था विकसित किये जाने में भारत के प्रभावी भूमिका निभाये जाने पर बल दिया हैं, साथ ही कहा हैं कि क्षेत्र के देशों के आपसी सहयोग से व्यापार और निवेश बढाने के लिये क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझीदारी -आर सी ई पी वार्ता के जल्द सफलता पूर्वक पूरा करने के लिये भारत अधिक सहयोग दें जिस से क्षेत्रीय व्यापार को बढावा देने के लिये एक नई प्रभावी व्यवस्था बन सके्गी.
भारतीय मूल की आस्ट्रेलियायी उच्चायुक्त हरिंदर ्सिद्धू ने आज यह इंडियन एसोसियेशन ऑफ फॉरेन अफेयर्स कॉरेस्पोंडेन्टस के तत्वाधान में विदेशी मामलों पर लिखने वाले पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही.आस्ट्रेलियायी उच्चायुक्त ने भारत और आस्ट्रेलिया, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढने की प्रचुर संभावनाये बताते हुए कहा "दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों मे आपसी सहयोग बढ रहा हैं लेकिन आर्थिक क्षेत्र मे द्विपक्षीय व्यापार जितना होना चाहिये, उतना हो नही पा रहा है,जबकि मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार के बढने की काफी संभावनायें "है.उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढाने के लिये एक विशेष नीति बनाई है जिस के तहत 2035 तक 100 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा गया हैं. इसी तरह भारत ने भी इस केलिये एक विशेष आर्थिक नीति बनाई हैं.उन्हों ने कहा "दरसल रिश्तों को मजबूत करने केलिये आर्थिक रिश्ते बहुत अहम भूमिका अदा करते हैं." सुश्री सिद्धू के माता पिता मूल रूप से पंजाब के रहने वाले थे. पंजाब से वे सिंगापुर गये तथा वहा से वे आस्ट्रेलिया जा बसे. वे आस्ट्रेलियायी विदेश सेवा की वरिष्ठ राजनयिक हैं.
उन्होंने कहा " पिछले लगभग एक दशक से भारत और आस्ट्रेलिया दोनों देश भारत प्रशांत क्षेत्र में सामरिक क्षेत्र में आपसी भरोसे से मिल कर काम कर रहे हैं,अच्छा होगा अब दोनों इस क्षेत्र में एक नई आर्थिक व्यवस्था मजबूत करने में मिल कर काम करें. उन्होंने कहा " दर असल भारत के प्रभावी सहयोग से आर सी ई पी वार्ता के सफलता पूर्वक सम्पन्न होने से भारत को भी भारत प्रशांत क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था के जुड़ने से लाभ होगा, साथ ही क्षेत्र में व्यापार, निवेश और कुल मिला कर आपसी सहयोग से क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था को बेहतर बनाने में क्षेत्रीय नियम कायदे बनाये जा सकेंगे".
आर सी ई पी आसियान और छह एशिया प्रशांत देशों के बीच प्रस्तावित संधि हैं, जिस की गत मार्च मे ही कंबोडिया में मंत्री स्तरीय बैठ हुई. लक्ष्य हई कि यह समझौता इसी वर्ष तक कर लिया जायें. भारत और आस्ट्रेलिया के अलावा चीन और भी इस वार्ता से जुड़ा हैं. निश्चित ्तौर पर यह समूह एक ताकतवर आर्थिक समूह हो सकता हैं. लेकिन भारत के अनेक क्षेत्रों मे इसे ले कर आशंकायें हैं.कहा जा रहा कि इस से भारत के बाजार पर चीन के उत्पादों के छा जाने का अंदेशा हैं. ऐसी ही अनेक वजहों से भारत आर सी ई पी वार्ता ्में अधिक सक्रियता से हिस्सा नही ले रहा हैं. चीन के साथ उस का व्यापारिक घाटा पहले से ही 63 अरब डॉलर को छू रहा हैं, भारतीय उद्द्योग जगत की आंशका हैं कि चीन के आने से खास कर भारत के अनेक उद्द्योगों पर बुरा असर पड़ेगा साथ ही भारत को अपने बाजारों में गैर मुक्त व्यापार क्षेत्र वाले सहयोगी देशों के भी छा जाने की आशंका हैं.भारत इस के प्रारूप के हर पहलू पर सजगता से विचार कर रहा हैं, देखना होगा कि भारत इस वार्ता के किन प्रावधानों पर सहमति देता हैं और किन पर संशोधन सुझाता हैं.
सुश्री सिद्धू ने कहा " भारत एशिया और भारत प्रशांत क्षेत्र की बड़ी ताकत हैं ऐसे मे जरूरी हैं कि क्षेत्रीय व्यावारिक व्यव्स्था बनाने मे उस की अहम भूमिका हो'क्षेत्रीय सहयोग की चर्चा करते हुए उन्हों ने कहा " भारत,आस्ट्रेलिया,अमरीका और जापान ्चार देशों का समूह "क्वेड" दरसल इसी क्षेत्रीय सहयोग बढाने की दिशा में कदम हैं ताकि ्क्षेत्रीय मुद्दों को आपसी, समझ बूझ से तेजी से और प्रभावी ढंग से हल किया जायें, और क्वेड इसी दिशा में एक कदम हैं. साथ ही क्वाड समूह समुद्री्य सुरक्षा, औऱ समुद्री नौवहन नियमों के उल्लघंन जैसे मुद्दों पर भी विचार करते है जिस मे दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन द्वारा नौवहन को ले कर खड़ी के जाने वाली समस्याओं पर भी विचार करना शामिल हैं.
दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र मे आपसी सहयोग पिछले ्पॉच वर्षॉ में लगभग चार गुना बढा हैं. दोनों देशों की नौसेनाओं ने साझा नौसैनिक अभ्यासों का स्तर काफी ऊंचा कर दिया है। दो महीना पहले ही भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आसि इंडेक्स नाम से साझा नौसैनिक अभ्यास किया. वी एन आई
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