नई दिल्ली/ भोपाल, 14 मई (शोभना/वेदचंद/वीएनआई) कल्पना कीजिये शाम के धुंधलकें में मध्यप्रदेश के जंगलों से गुजरता भारी माल से लदें विशाल टृक की. शायद आप को इस मंजर में कुछ नया नहीं लगे लेकिन ठहरियें, ध्यान से देखियें इस टृक की चालिका महिला हैं.
मिलियें भोपाल की पैंतीस वर्षीय योगिता रघुवंशी से जो देश के गिनती की उन महिलाओं में से है जो ट्र्क चलाती हैं यानि इस डगर पर चलने वाली दुर्लभ महिलाओं में से एक हैं. योगिता रघुवंशी 2 बच्चों की माँ है. बच्चों का अच्छे से पालनपोषण हो सके, इसलिए ट्रक चलाती हैं. भोपाल से देश के हर कोने में ट्रक चलाकर गई हैं. सब कुछ अकेले सम्हालने वाली योगिता ने सहानुभूति की जगह संघर्ष को अपनाया. योगिता को देख कर बरबस से यादों में बसी जुझारू आस्ट्रेलियायी टेसी सामनें आ कर खड़ी हो गई.टेसी मेरे आस्ट्रेलिया दौरें में मेरी गाईड थी और ट्र्क भी चलाती थी.अति संवेदनशील टेसी ्कुछ कहने से पहले ही जान जाती थी कि मै क्या सोच रही हूं.
तीस बरस बाद टेसी ऐसी शादी से बाहर आयी थी जहा, पति पत्नि दोनों ही एक दूसरें को ढो रहे थें. टेसी के अनुसार पति शराबी था न/न तो अपनी न/न ही बच्चों की जिम्मेवारी बॉटनें को तैयार था. टेसी का कहना था कि अक्सर मुझे वो बेचारा ही लगता था, बच्चों के जब घर बस गये तो उस ने व बच्चों ने पति की आर्थिक सुरक्षा की व्यवस्था की और शादी से बाहर आते ही टेसी ने अपना मन पंसद काम यानि ट्र्क चलाना शुरू कर दिया. निश्चय ही योगिता ने समाज के सामने ये संदेश दिया कि इच्छाशक्ति हो तो असंभव भी संभव है. अभिनंदन हैं कर्मठ और शक्तिस्वरूपा योगिता आपका. वीएनआई