नई दिल्ली, 27 जुलाई, (वीएनआई) साहित्य अकादेमी ने अपनी वेब लाइन साहित्य श्रृंखला के अंतर्गत आज आभासी मंच पर पूर्वोत्तर तथा पश्चिमी लेखक सम्मिलन का आयोजन किया, जिसमे नगेन शइकिया ने कहा हर भाषा का साहित्य मानवता की ही आवाज़।
इस सम्मलेन में पूर्वोत्तर तथा पश्चिमी क्षेत्रों के 27 रचनाकारों ने भाग लिया। समेल्लन में असमिया लेखक एवं साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य नगेन शइकिया ने अवसर पर कहा कि मैं इस सम्मिलन में जहां से सूर्य उगता है और जहां डूबता है के प्रतिकात्मक स्वरूप को महसूस कर पा रहा हूं। यह बिल्कुल ही अनूठी कल्पना है जो बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक भी है । भाषाओं की विविधता के बाद भी हर भाषा का साहित्य मानवता की ही आवाज़ होता है। उन्होंने इस सम्मिलन में युवाओं की भागेदारी पर भी हर्ष व्यक्त किया।
इससे पहले साहित्य अकादेमी के सचिव के.श्रीनिवासराव ने स्वागत भाषण में कहा कि दो विभिन्न क्षेत्रों के रचनाकारों को एक दूसरे के पास लाने के उद्देश्य से इस तरह के सम्मिलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मिलन दो क्षेत्रों की विभिन्न संस्कृतियों को एक दूसरे से जोड़ने का प्रयास भी है। वहीं साहित्य अकादेमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि दोनों क्षेत्रों की भाषाओं के कवियों का सरोकार एक ही है। सभी का दिल एक ही प्रकार धड़कता है और इन कविताओं में उनकी माटी की सुगंध भी महसूस की जा सकती है। आगे उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से देश की रचनात्मक एकता को पाठकों तक पहुंचाने में सहायता मिलती है।
साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि यह दो विभिन्न क्षेत्रों के बीच का मिलन है और इसमें अपार संभावनाएं हैं । यह दोनों क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से जुड़े हुए हैं और इस कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन के उपनिवेश और स्वाधीन भारत के बाद के साहित्य को जानने और समझने में आसानी होगी। आगे उन्होंने कहा कि भूमंडलीकरण के इस समय में हमारे गांव और वहां की स्थानीय संस्कृति किस प्रकार प्रभावित हो रही है यह जानना भी रोचक होगा। उन्होंने ऐसे आयोजनों को भाषाई विविधता के उत्सव की संज्ञा देते हुए स्थानीय परंपराओं का संरक्षक बताया।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे साहित्य अकादेमी में उपसचिव कृष्णा किंबहुने ने कार्यक्रम के पहले सत्र में कविता पाठ करवाया। जिसमें कौशिक किसलय (असमिया) ,गोपीनाथ ब्रह्मा( बोडो) डेसमंड खर्माफ्लांग (अंग्रेजी पूर्वोत्तर) हिमल पांड्या ( गुजराती),पूर्णानंद चारी (कोंकणी), विनोद कुमार सिन्हा (मणिपुरी), प्रकाश होलकर (मराठी)और विनोद असुदानी(सिंधी) ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की।
वहीं कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कहानी पाठ की अध्यक्षता एन. किरणकुमार ने की और मीना खेरकत्री (बोडो), एन.शिवदास (कोंकणी) ने अपनी अपनी कहानियां प्रस्तुत की। जबकि प्रदीप आचार्य अध्यक्षता में विचार विमर्श सत्र किया गया, जिसका विषय " क्या कविता का अंत हो रहा है?" था। इसमें अपना पक्ष रखने वालों में प्राणजीत बोहरा (असमिया), दर्शिनी दादावाला(गुजराती), केएसएच. प्रेमचंद सिंह(मणिपुरी) एवं नामदेव ताराचंदानी(सिंधी) थे।
कार्यक्रम के तृतीय और अंतिम सत्र कवि सम्मलेन की अध्यक्षता वासदेव मोही ने की और दिगंत निबिर (असमिया), अकबर अहमद (बांग्ला पूर्वोत्तर), लंकेश्वर हाईनारी (बोडो), ऊषाकिरण अत्राम ( गोंडी), विवेक टेलर (गुजराती), ओ. मेमा देवी(मणिपुरी), किशोर कदम (मराठी) , एस.डी. ढकाल (नेपाली पूर्वोत्तर)और हिना अग्नानी ( सिंधी) ने कविताएं प्रस्तुत की। किय
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