नाकामियों को छुपाने के लिए पाक की नई पैंतरेबाजी

By Shobhna Jain | Posted on 18th Mar 2018 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 18 मार्च (शोभना जैन/वीएनआई) घरेलू नाकामियों की वजह से निरंतर दल-दल में फंसते जा रहे पाकिस्तान ने एक बार फिर पूरे जोर से भारत के खिलाफ हर मोर्चे पर हमले तेज करने की नई पैतरेबाजी शुरू कर दी है,जिससे दोनो देशो के बीच तल्खियां और बढ रही है.मामला चाहे  भारतीयो राजनयिको के  उत्पीडित करने का मुद्दा हो,प्रॉक्सी वार हो या कश्मीर राग हो. एक तरफ वह जहां सीमा पर प्रॉक्सी वार लगातार तेज  किये हुए है ,वही  इन्ही नाकामियों  के चलते उसने न केवल अपने देश के लोगो का ध्यान बंटाने के लिये और अंतराष्ट्रीय जगत मे अलग थलग पड़ते जाने की स्थति मे अपनी बेचारगी  जताने के लिये विक्टिम कार्ड को जोर शोर से उछालना शुरू कर दिया है.

हालत यह है कि वह उल्टा चोर कोतवाल को डांटे  वाले भाव से अब भारत मे अपने राजनयिको के उत्पीड़न के आरोप को तूल दे रहा है. इस सब के साथ पाकिस्तान कश्मीर मे अलगावादियों को तो प्रश्रय दे ही रहा है,  कल देर रात  संयुक्त राष्ट्र में  उस ने एक बार फिर से कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया. दरअसल पाकिस्तान मे सरकार के हर मोर्चे पर नाकाम रहने की वजह से देश मे जन आक्रोष बढ रहा है, ऐसे मे  देश मे जब अगले वर्ष चुनाव होने वाले है,  पाकिस्तान मे राजनैतिक अस्थिरता का आलम है, देश के राजनैतिक भविष्य को तय करने वाली सेना हमेशा की तरह ताकतवर बनी हुई है,ऐसे मे  पाकिस्तान की पैतरेबाजी भारत पाक रिश्तों मे तल्खियॉ ही बढा  रही है. दरअसल पिछले कुछ दिनो से दोनो देशो के बीच  एक दूसरे के राजनयिको के उत्पीड़न करने को ले कर  आरोप प्रत्यारोप चल रहे है. इसी मामले को  तूल दे कर सुर्खियो मे ला्ने ने की मंशा से  परसो पाकिस्तान ने  भारत स्थित अपने उच्चायुक्त सोहेल महमूद को 'विचार विमर्श' के लिये इस्लामाबाद वापस बुलाया. भारत ने दोनो देशो के संबंधो को बिगड़ने से बचाने के लिये इस मामले को तूल नही दिये जाने को तरजीह दी और महज यह कहा कि उच्चायुक्तो को विचार विमर्श के लिये स्वदेश बुलाना एक सामान्य प्रक्रिया है.भारत ने  साफ तौर पर कहा कि सोहेल महमूद को उनकी सरकार ने बातचीत करने के लिए बुलाया है, न कि भारत से वापस बुला लिया है.

दरअसल  पाकिस्तान मे हमेशा ही  भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियो को परेशान किया जाता रहा है. एक पूर्व राजनयिक के अनुसार उच्चायोग के कर्मचारियों की ्जासूसी की जाती है, उन्हे फॉलो किया जाता है उन्हे सरेआम प्रताड़ित किया जाता है और यह बात जग जाहिर भी है.यही स्थति वहा जाने वाले भारतीयो/व्यापारियों  की है लेकिन फिर भी भारत ने इस बार भी इस मामले को ज्यादा तूल नही दे कर परिपक्व सोच का परिचय दिया,लेकिन इस के विपरीत पाकिस्तान ने उलटा चोर कोतवाल को डॉटे वाला रवैया अपनाया और अपने राजनयिको के उत्पीडन का आरोप लगा दिया.सूत्रो के अनुसार भारत के अलावा वैसे भी दक्षिण पूर्व एशिया मे तैनात पाकिस्तान दूतावासों के राजनयिको पर इस तरह की जासूसी करने की खबरें आती रही  है.  कुछ समय पूर्व ही भारत के विरोध के बावजूद भारत मे पाकिस्तान के तत्कालीन उच्चायुक्त कश्मीरी अलगाववादियों को  उच्चायोग मे दावत देने, उन्हे अपने यहा बुला कर कश्मीर पर बातचीत करने के लिये काफी चर्चित रहे थे, इस तरह की हरकते  पाकिस्तानी उच्चायोग के राजनयिक समय समय पर करते रहे हैं.   
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने राजनयिको के उत्पीड़न संबंधी पाकिस्तान के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया तथा भारत का पक्ष रखते हुए  कहा कि इस्लामाबाद में हमारे राजनयिकों को परेशान किया जाता है. हमनें इस मुद्दे को पाकिस्तान के सामने रखा भी है. हम चाहते हैं कि पाकिस्तान हमारी शिकायत पर ध्यान दे और नियमों के मुताबिक ही वहां मौजूद हमारे अधिकारियों को सुरक्षा और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. साथ ही उन्होंने कहा कि  हम पाक के आरोपों का जवाब नहीं देना चाहते. हम अपने मुद्दे डिप्लोमैटिक चैनल के ज़रिये उठाते हैं और आगे भी उठाएंगे. साथ ही उन्होने कहा कि पाकिस्तान हमारे राजनयिक स्टॉफ की सुरक्षा की गारंटी दे करें.

इस पूरे मामले मे, एक पूर्व राजनयिक का कहना है कि भारत ने राजनयिक मामले पर काफी संयम बरत कर परिपक्वता  का परिचय दिया  है. पिछले कुछ दिनो मे पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के राजनयिक के उच्चायोग के परिसर  ्के अंदर स्थित आवास पर चोरी हुई, एक  ्लैपटॉप चोरी हो गया. यही नही ्पिछले दिनों इस्लामाबाद स्थित भारतीय उप उच्चायुक्त जे पी सिंह के परिसर के अंदर बने आवास पर देर रात तीन बजे किसी ने डोर बेल बजाई और बाहर देखने पर कोई नही मिला, अन्य भारतीय राजनयिको को भी डराया धमकाया  जाता रहा है लेकिन भारत इस मामले को सावधानी पूर्वक ्पूरी परिपक्वता से राजनयिक स्तर पर ही उठाता रहा है. सूत्रो के अनुसार वैसे भी भारतीय राजनयिको के लिये इस्लामाबाद पोस्टिंग  खासी संवेदनशील मानी जाती है ्वर्ष २०१६ के बाद से संबंधो मे कड़वाहट बढ जाने से इसी तरह के हालात के चलते भारत के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद पोस्टिंग को " नॉन फैलीस्टेशन " का दर्जा दिया यानि एक ऐसी जगह जहा उच्चायोग के कर्मचारियों के परिवार नही रह सकते है लेकिन वहा तैनात भारतीय राजनयिको के उत्पीड़न का क्रम तो बदस्तूर जारी रहा.भारतीय सूत्रों के अनुसार इस स्थति के विपरीत इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिकों की  भारत मे तैनात  पाकिस्तान के राजनयिकों से तुलना करें, तो नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान के राजनयिक वहां से कहीं बेहतर स्थिति में हैं.
 
राजनयिक मामले को तूल दिये जाने पर भारत का यही कहना कि राजनयिकों या उच्चायोग को बुलाना एक सामान्य सी प्रक्रिया का हिस्सा है. ऐसा करना कुछ भी अलग या नया नहीं है. भारत ने भी ऐसा ही किया है. इसमें कोई भी परेशान करने या तंग करने जैसी बात नहीं है. जब भी ज़रूरत होती है भारत भी दुनिया के अलग अलग देशों से अपने राजनयिकों को सलाह के लिए बुलाता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को चाहिए की वह अपनी शिकायतों को मीडिया की जगह राजनयिक माध्यम से उठाए. हम विएना कंवेंशन को पूरी तरह से लागू करते हैं.राजनयिक प्रोटोकोल के अनुसार दो देशो के बीच संबंध अ्त्यंत तनावपूर्ण होने की ही स्थति मे कोई देश अपने राजनयिक को वापस बुलाता है. इसी बीच पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त को बैठक के लिए बुलाया है ताकि दिल्ली में पाकिस्तान के राजनयिकों को 'परेशान' करने की जो घटनाएं हो रही हैं उस पर आगे क्या फैसला हो इस पर सलाह मशविरा किया जा सके. पाकिस्तानी उच्चायुक्त दिल्ली तब लौटेंगे जब पाकिस्तान इस  बाबत अपना कोई फैसला कर ले.
 
राजनयिक मामले के तूल देने के साथ ही सीमा पर पाकिस्तान के युद्ध विराम के भारी उल्लंघन के मामले तेजी से बढे है हालत यह  कि जम्मू कश्मीर सीमा पर इस वर्ष के पहले दो माह मे उल्लघं के ६३३ मामले दर्ज हुए जो एक रिकॉर्ड है और कश्मीर राग तो वह जारी ही रखे हुए है.इसी क्रम मे कल रात पाकिस्तान ने मानवाधिकार परिषद में दोहरा हथकंडा अपनाते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की ओर से और फिर अपनी ओर से कश्मीर मुद्दा उठाया। भारत ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में चर्चा के दौरान यह कहते हुए ओआईसी का बयान खारिज कर दिया कि भारत के आंतरिक मामलों में संगठन का कोई आधार नहीं है और पाकिस्तान पर मानवाधिकारों की चिंता की आड़ में आतंकवाद को अपनी नीति के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। पाकिस्तान ने  कुलभूषण जाधव का मुद्दा भी उठाया लेकिन  जिनेवा में भारतीय मिशन के वरि्ष्ठ राजनयिक सुमित सेठ ने कहा कि विश्व को एक नाकाम देश से लोकतंत्र और मानवाधिकारों का पाठ सीखने की जरूरत नहीं है। एक ऐसा देश जो खुद इस मोर्चे पर असफल रहा है और ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों का संरक्षण करता है। उन्होंने  इन सभी उल्लेखों को खारिज करते हुए कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में ओआईसी की कोई भूमिका नहीं है।” 

गौरतलब है कि घरेलू नाकामियों के दबाव के चलते ही पाकिस्तान द्वारा लगातर भारत विरोधी हमलो के मद्देनजर भारत और पाकिस्तान के बीच ्तनाव आए दिन बढ़ता जा रहा है। ्हालत यह हुई कि पाकिस्तान के एक विशिष्ट क्लब ने पिछले दिनों असाधारण कदम उठाते हुए पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया की सदस्यता को लटकाकर रखा हुआ है। दोनों देशों के संबंधों में यह पहली बार देखने को मिला है, जब पाकिस्तान में भारत के किसी राजनयिक के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा हो।  इस्लामाबाद क्लब पाकिस्तान के सबसे खास क्लबों में से एक है। विदेशी देशों के उच्चायुक्तों की नियुक्ति जब पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में होती है, तो वे सभी यहां के इस नामी क्लब की सदस्यता जरूर लेते हैं। इस्लामाबाद में विदेशी राजनयिकों के एकजुट होने के लिए यह क्लब बेहद प्रचलित है।

बिसारिया इस्लामाबाद में भारत के उच्चायुक्त पिछले साल के अंतिम महीने  दिसंबर में नियुक्त हुए थे। इसके तुरंत बाद उन्होंने इस क्लब की सदस्यता पाने के लिए आवेदन कर दिया था। लेकिन इस क्लब ने अभी तक बिसारिया के आवेदन को मंजूर नहीं किया है। ऐसी भी खबरे है कि इस क्लब ने सिर्फ  श्री बिसारिया के आवेदन को ही मंजूरी नहीं दी है बल्कि, उसे यह  निर्देश भी मिला है कि वह भारत के बाकी राजनयिकों की भी सदस्यता को दोबारा नवींकरण  न करे। यह पहली बार है, जब इस्लामाबाद क्लब ने भारत के उच्चायुक्त की सदस्यता को अब तक लटका रखा है। बहरहाल रिश्तों मे कड़वाहट के इस दौर मे अब बाजी पाकिस्तान के हाथ मे है.उकसाने वाली गतिविधियो की जगह वह संयम का रास्ता अपनाये और सीमा पार से भारत के खिलाफ चलाई जा रही  तमाम भारत विरोधी गतिविधियों नही चलायें ताकि रिश्तें ऐसे सामान्य स्तर पर पहुंचे जहा पाकिस्तान की तरफ से गोली बारी बंद हो,संबंधो मे तल्खियॉ कम हो और संवाद का सिलसिला बने लेकिन निश्चित तौर पर जैसा कि भारत का पक्ष रहा है गोलोयों के बीच बातचीत तो कतई नही हो सकती है. साभार : लोकमत ( लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है)


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