नयी दिल्ली 7 अप्रैल (वीएनआई) आइआइटी यानि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी की वार्षिक फीस मे अब जबरदस्त बढो्तरी कर दी गयी है. यह फैसला केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री और आईआईटी काउंसिल की चेयरपर्सन स्मृति ईरानी के नेतृत्व में हुई आइआइटी काउंसिल की बैठक में लिया गया , अब वार्षिक फीस 90 हजार रुपये की जगह दो लाख रुपये होगी पर इसमें बीपीएल, एससी, एसटी व दिव्यांग विद्यार्थी शामिल नही होंगे यानि उन्हे फीस मे छूट दी जायेगी.
गौरतलब है कि गत फरवरी आईआईटी के वित्तीय प्रारूप पर गौर करने के लिए बनायी गयी एक कमेटी ने औसत वाषिर्क शुल्क 90,000 रूपये से बढाकर करीब तीन लाख रूपये करने की सिफारिश की थी। कमेटी ने सुझाव दिया था कि इन संस्थानों की सरकार पर से निर्भरता घटाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का कोष शुरू किया जाए। इससे पूर्व भी 2013 में भी ऐसी ही वृद्धि की गई थी, तब फीस 50 हजार से 90 हजार रूपये की गई थी।
नयी व्यवस्था के तहत वैसे परिवार जिनकी सालाना आय एक लाख रुपये से कम है, उनके बच्चों को किसी तरह की फीस आइआइटी में नहीं चुकाना होगी. इसी तरह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व दिव्यांग बच्चों के लिए यह नयी व्यवस्था लागू नहीं होगी. उन्हें शुल्क नहीं देना होगा.
जिन परिवारों की आय पांच लाख रुपये सालाना है, उन्हें शुल्क में दो तिहाई की छूट दी जायेगी, जबकि शेष एक तिहाई शुल्क के भुगतान के लिए सरकार बैंक से कर्ज दिलाने की व्यवस्था करेगी.
सरकार क इस फैसले पर सुपर 30 के संचालक व गरीब बच्चों को आइआइटी के लिए तैयान करने वाले आनंद कुमार ने सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इससे गरीब बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ेगा. उनके मन में यह संदेह रहेगा कि बैंक लोन देंगे या नहीं देंगे. बैंक आज भी बच्चों को कर्ज देने से कतराते हैं. उन्होंने मांग की है कि सरकार ने जो सीमा पांच लाख रुपये की तय की है, उसे बढ़ा कर 10 रुपये किया जाये.
उधर आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने इस फैसले की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि एक ओर जहां हम बच्चे तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर फी में भारी इजाफा निराश करने वाला फैसला है.