नई दिल्ली, 27 जनवरी, (शोभना जैन/वीएनआई) वाराणसी में इसी सप्ताह समपन्न 15 वें प्रवासी भारतीय दिवस के समारोह के मुख्य अतिथि रहे मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद्र जगन्नाथ की भारत यात्रा उत्साह से भरी रही।एक बड़े शिष्टमंडल के साथ भारत आये जगन्नाथ ने पूरे पूजा- पाठ, मंत्रो्चार और शंखध्वनि के बीच अपने पुरखो के देश में आयोजित कुंभ मे दर्शन- स्नान किया, अपने पुरखों की भोजपुरी बोली मे सभा को संबोधित किया,यूपी के बलिया जिले के अठिलापुरा गांव में अपने पुरखो की जड़े तलाशने का प्रयास किया जो कि लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व यहां से मजदूर बन एक पराये देश में गये और जिसे उन्होंने अपने खून पसीने से सोना बना दिया और खुद भी वे वहा समृद्ध और ताकतवर हस्ती बने। जिन16 सीढियों से उतर कर 36 'गिरमिटिया' यानि प्रवासी भारतीय मजदूरों का पहला जत्था 1834 में डरते सहमते इन्ही सोलह सीढ़ियों से चढ कर वहा उतरा।
वह घाट जो पहले 'कुली घाट' 'कहलाता था अब 'आप्रवासी घाट 'कहलाता है। शायद हम अपनी कल्पना में भी उस उथल पुथल, मन के तूफान को अपने मन मे पूरी तरह से महसूस नही कर पाये जब कि कलकत्ता से एम।वी। एटलस समुद्री जहाज पर सवार होकर, उथल-पुथल भरे हिंद महासागर से गुजरते हुए एक अजनबी देश मे डरे-सहमे, बदहाल 36 भारतीयों का एक जत्था मॉरीशस की पोर्ट लुई बंदरगाह से उतरकर कीचड़ सनी पथरीली सोलह सीढ़ियों पर डगमगाते कदमो से आगे बढ़ रहा होगा।।।देश पराया, मंजिल का पता नही, रोजी-रोटी की तलाश मे सात समंदर पार आ तो गए लेकिन चारों ओर पसरे अंधेरे में वे सब एक दूसरे का हाथ थामे बंदरगाह की सोलह सीढ़ियों से लड़खड़ाते, डगमग़ाते आगे बढ़ रहे होंगे।उन्हेंपुरखो के वंशज मे से एक जगन्नाथ हैं जिन के पिता अनिरुद्ध जगन्नाथ भी मॉरीशस के प्रधान मंत्री रहे।
मॉरीशस, सूरी नाम और ट्रिनिडाड और टोबेगो जैसे केरिबियायी देशों मे ये' गिरमिटिया'गये और आज इन देशों मे' प्रभावशाली' बहुसंख्यक है।मॉरीशस में तो इन की आबादी लगभग १२ लाख है यानि कुल आबादी का ६८ प्रतिशत।्पुरखो से जुड़े दोनो देशों के बीच प्रगाढ सांस्कृतिक संबंधों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में गहरे द्विपक्षीय संबंध है मॉरीशस के्राष्ट्रपति की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने व्यापार,निवेश जैसे क्षेत्रों और विकास संबंधी साझीदारी परियोजनाये बढाने के साथ साथ सांस्कृतिक रिश्ते और मजबूत करने के लिये कदम उठाने पर सहमति जाहिर की।दोनों ने आर्थिक , सामरिक रिश्तों को और प्रगाढ बनाने के साथ ब्लू इकॉनोमी क्षेत्र में सहयोग बढाने यानि हिंद महासागर के तट के पास बसे इस देश के साथ समुद्र से जुड़ी अर्थ व्यवस्था को विशेष तौर पर और मजबूत करने के उपायों पर विशेष तौर पर चर्चा की।
गौरतलब है कि आर्थिक संसाधनो के सतत इस्तेमाल, समुद्रीय पर्यावरण की रक्षा करने के साथ ही ब्लू इकॉनोमी रोजगार का बेहतर माध्यम है। दोनों ने ्व्यापक आर्थिक सहयोग साझीदारी संधि -से्पाक " के अंतिम मसौदे पर विचार किया। उम्मीद है लंबे विचार विमर्श के बाद जल्द ही इस संधि पर हस्ताकक्षर हो जायेंगे। निश्चय ही इस संधि से दोनो देशो के बीच आर्थिक साझीदारी को तीव्र गति मिल सकेगी।गौरतलब हैं कि भारत मॉरीशस का सब से बड़ा व्यापारिक साझीदार है, वर्ष 2007 के बाद से भारत गुडस और सर्विसेस के साथ साथ पेट्रोलियम पदर्थों का सब से बड़ा निर्यातक रहा है।इस के साथ ही स्वास्थय,आपदा प्रबंधन और उर्जा क्षेत्र में भी दोनो आपसी सहयोग से अनेक नयी परियोजनाये चलाने के प्रस्तावों पर ्विचार कर रहे हैं।इन तमाम बातों के साथ यह जानना अहम है कि हिंद महासागर के किनारे बसे छोटे से देश मॉरीशस पर चीन की खास नजरे है। चीन अपने विस्तारवादी एजेंडे के तहत यहा विकास संबंधी विशेष तौर पर आधारभूत क्षेत्र में विकास परियोजनाये बनाने की जुगत मे लगा है।इस समीकरण के बीच अफ्रीका की खास अहमियत है।भारत के जहा अफ्रीकी देशोंके साथ रिश्ते विशेष तौर पर आर्थिक रिश्ते बढ रहे हैं,वही यहा यह जानना अहम होगा कि भारत मॉरीशस आर्थिक रिश्तो मे अफ्रीका भी अहम है ऐसे में खास तौर पर जब कि चीन अफ्रीका मे निवेश और विकास परियोजनाओं के नाम पर तेजी से आर्थिक रिश्ते बना रहा है। चीन ने कुछ माह पूर्व ही मॉरीशस के साथ मुक्त व्यापार संधि पर हस्ताक्षर किये है जिस से निश्चय ही चीन और अफ्रीका के बीच व्यापारिक संबंध बढने में अहम माना जा रहा है एक पूर्व राजनयिक के अनुसार मॉरीशस के साथ अफ्रीका और अन्य देशों के साथ एफ टी ए और अन्य आर्थिक व्यव्स्थाये है उस से मॉरीशस के जरिये नेक क्षेत्रों मे भारतीय वस्तुओं का बाजार बढ सकता है।
भारत के मॉरेशस के साथ रिश्ते पुरखो पुराने है ऐसे मे निश्चय ही भारत और मॉरीशस के बीच रिश्ते और नजदीक आने की काफी संभावनाये हो सकते है। आर्थिक व्यापारिक और सामरिक क्षेत्रों मे आपसी सहयोग बढाने के साथ दोनो देशों की जनता के बीच संपर्क बढाने के प्रयास इस दिशा मे अहम साबित हो सकते है।दोनो देशों के बीच भौगोलिक दूरियॉ होने के बावजूद मॉरीशस में ढलती सॉझ मे वहा के किसी घाट पर् भजन कीर्तन की आवाज तो भारत में आज भी सुनाई देती है।
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